1. यह रक्त व विष की विकृति को हटाता है, बड़ी आंत में गति को शक्ति देता है, शरीर में वात पित्त व कफ दोष को स्थिर रखने में सहयोग करता है।
2. यह अनिच्छित व अनावश्यक वसा को निर्मित होने से रोकता है, लाल रक्त कोशिकाओं एव हीमोग्लोबिन के उत्पादन में सन्तुलन रखता है।
3. यह जीवाणुनाशी व मूत्रवर्धक होने से विश (टोक्सिन) को नष्ट करता है, मूत्र मार्ग से पथरी को हटाने में सहायक है, रक्तशुद्धि करता है।
4. यह तेजाब विहीन, वंशानुगत गठिया रोग से मुक्त करता है। आलस्य व मांसपेशियों की कमजोरी को हटाता है, कीटाणु नाशक, कीटाणु की वृद्धि रोकता है, (गेन्गरीन) मांस सड़ाव से रक्षा करता है।
5. यह रक्तशुद्धि कर्ता अस्थि में शक्ति प्रदाता (कीटाणुनाशक), रक्त में तेजाबी अवयवों को कम करता है।
6. यह जीवन में शक्ति व उत्साहवद्र्धन में सक्रियता लाता है व मानसिक रूग्णता व प्यास से बचाता है। अस्थि में पुन: शक्ति प्रदान कर जीवन में उमंग वृद्धि करते हुए पुनरोत्पादक शक्ति प्रदान करता है।
7. यह रोग प्रतिरोधात्मक शक्ति वद्र्धक, हृदय को शक्ति व संतोष प्रदान करता है।
निरोगी रहने और गऊ माता की उपयोगिता बढ़ाने के लिए गौ धन अर्क का नियमित पान कीजिये।
प्रस्तुति- राकेश आर्य (बागपत)