महाभारतकालीन भारत
महाभारत काल में भारत के अंदर 101 प्रसिद्घ क्षत्रिय राजवंश थे। इनमें 86 राजा मगध नरेश जरासंध ने पराजित कर जेल में डाल रखे थे। इन 101 राजवंशों के इतने ही महाजनपद (प्रांत या राज्य क्षेत्र) थे। इससे महाभारत (विशाल भारत) का निर्माण होता था। ये राजा किसी एक राजा से होने वाले दूसरे राजा के युद्घ की भांति कौरव पांडवों के युद्घ में सम्मिलित नही हुए थे अपितु सभी राजा एक दूसरे के पक्ष में सम्मिलित होकर लड़े थे। इसीलिए यह महाभारत का युद्घ कहलाया। आज इस तथ्य से बहुत कम लोग भारत में परिचित हैं कि वह युद्घ महाभारत का युद्घ क्यों कहा जाता है? महाभारत काल में एक वंश का नाम तर्जिका आता है। इनके प्रांत का नाम कालतोयक था। गुप्तों के काल में कालतोयकों पर मणिन्धान्मजों का राज्य था। वर्तमान अफरीदी (मूलपाठ अपरन्ध्र) पठानों के प्रांत का नाम अपरांत या अपरीत था। आज का समरकंद चर्मखण्डिक कहलाता था। सम्राट द्रहयु के वंशज गांधार ने गांधार राज्य की स्थापना की। जो कि मांधाता से कुछ काल पश्चात हुआ था। महाराजा दशरथ के पुत्र और श्रीराम के अनुज भरत के पुत्रों तक्ष और पुष्कर की नगरियां इसी गांधार देश की सीमा में थीं। सम्राट मांधाता के काल से ही भारत की उत्तर पश्चिमी सीमा पर यवन लोगों का एक समुदाय था। कालांतर में ये लोग यहां से आगे बढ़े और यूनान व ग्रीस देश की स्थापना की। यूनान और ग्रीस से भारत के युगों पुराने संबंध हैं। उसकी संस्कृति की प्राचीनता भारत की देन है।
अल्बरूनी के अनुसार वर्तमान मुल्तान वह स्थान है जहां कभी प्राचीन राजवंश सैवीर के शासक राज्य करते थे। इसी प्रकार वर्तमान स्यालकोट कभी शाकल नगरी थी। जिसे अल्बेरूनी ने सालकोट लिखा है। वर्तमान बंगाल कभी का अंग देश था, जिस पर कर्ण ने शासन किया था। बंग इसी से लगता हुआ प्रांत था। कालांतर में यह बंग ही बंगाल के रूप में रूढ़ हो गया।
इससे आगे का प्रांत प्राग्ज्योतिषपुर (वर्तमान असम) था। इसे कामरूप भी कहा जाता है। कभी इसी का नाम चीन भी था। जबकि वर्तमान चीन का नाम महाचीन था। इसी प्रकार कौटिल्य ने भी चीन शब्द का प्रयोग कामरूप के लिए किया है। जो विशाल भारत को दर्शित करता है।
इसमें अरूणाचल ही नही पूर्व के सभी सात प्रांत तथा चीन का भी बहुत बड़ा भाग सम्मिलित था। यहां तक कि कम्बोडिया तक यह प्रांत था। जबकि वर्तमान नेपाल भारत के विदेह नामक प्रांत से जाना जाता रहा है। इसकी राजधानी मिथिला थी। जिसे आजकल जनकपुर कहा जाता है, जो नेपाल में स्थित है। वैदेह जनक इसी नगरी के राजा थे। जो कि सीता जी के पिता थे।
,मेरी नई पुस्तक “25 मानचित्रों में भारत के इतिहास का सच” से
डॉ राकेश कुमार आर्य
संपादक : उगता भारत