रोगों की रोकथाम और स्वास्थ्य में अखरोट (वालनट) की भूमिका पर यहां चिकित्सा जगत के विशेषज्ञों ने चर्चा की और कहा कि अखरोट का सेवन हृदय रोगों, कैंसर, आयु से जुड़े रोगों और मधुमेह जैसी समस्याओं में सकारात्मक परिणाम देता है तथा पोषक तत्वों की विविधता के साथ यह पूरे साल उपयोग के लिये आदर्श मेवा है। कैलिफोर्निया वालनट कमीशन (सीडब्ल्यूसी) ने यहां रोगों की रोकथाम और स्वास्थ्य में अखरोट की भूमिका पर चर्चा के लिये एक दिवसीय वैज्ञानिक एवं स्वास्थ्य शोध सम्मेलन का आयोजन किया। कार्यक्रम में कई अनुसंधानकर्ताओं और चिकित्सा जगत के पेशेवरों ने सामान्य पोषण एवं आहार, हृदय के स्वास्थ्य, अल्झाइमर रोग और मधुमेह पर आयोजित सत्रों में भाग लिया। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कॉर्डियोलोजिकल सोसायटी ऑफ इंडिया के पूर्व अध्यक्ष डॉ. एच.के. चोपड़ा, ने कहा, ”इस सम्मेलन ने अध्ययन के नये क्षेत्रों को जानने, स्वास्थ्य सम्बंधी चिंताओं पर चर्चा करने और भारतीयों की स्वस्थ्य जीवन शैली में अखरोट के योगदान के बारे में विचार करने के लिये निश्चित रूप से एक गति प्रदान की है।” उन्होंने बताया कि अखरोट एकमात्र ऐसा सूखा मेवा है, जिसमें पादप-आधारित ओमेगा-3 और अल्फा-लिनोलेनिक एसिड प्रचुर मात्रा में होता है, जो मानव शरीर के लिये आवश्यक है। एक मु_ी अखरोट में 4 ग्राम प्रोटीन, 2 ग्राम फाइबर और मैग्नीशियम (10 प्रतिशत डीवी) होता है। पोषक तत्वों की विविधता और प्रमुख व्यंजनों में मिश्रण की योग्यता के साथ अखरोट पूरे साल उपयोग के लिये एक आदर्श है।
एक विज्ञप्ति के अनुसार कैलिफोर्निया वालनट कमीशन के मुख्य कार्यकारी अधिकारी मिशेल मैकनील कॉनेली ने कहा, ”यह वैज्ञानिक एवं स्वास्थ्य शोध सम्मेलन भारत में स्वास्थ्य की अवस्था, आहार पद्धति के साथ स्वस्थ जीवन शैली को बढ़ावा देने पर चर्चा के लिये एक मंच था। हमें आशा है कि यह सम्मेलन उन शोधकर्ताओं और चिकित्सा जगत के पेशेवर लोगों को नेटवर्क बनाये रखने का मौका प्रदान करता है, जो भारत में अखरोट से सम्बंधित स्वास्थ्य शोध में योगदान दे सकते हैं।”