उत्तर प्रदेश औद्योगिक विकास समिति 2018 के परिप्रेक्ष्य में कुछ महत्वपूर्ण सुझाव:
महोदय,
उत्तर प्रदेश के विकास की बातें आपके व मुख्यमंत्री योगी जी द्वारा सकारात्मक पहल करते हुए की जा रही हैं। इसके लिए जेवर में जिस तरह से विश्व के चौथे नंबर पर आने वाले विशाल अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे का निर्माण कराए जाने का आपकी सरकार का निर्णय स्वागत योग्य है। आपकी सरकार द्वारा वर्तमान एवं भविष्य की आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु जो लक्ष्य रखा गया है वह सराहनीय कदम है। इसमें अभी से यदि कुछ और तथ्यों एवं आवश्यकताओं,परिस्थितियों को विचार में लाया जाएगा तो बहुत ही बेहतरीन विकल्प तैयार हो सकता है, जैसे कि-
1. एक रेलवे लाइन सराय कालेखाँ दिल्ली से निकालकर नोएडा, ग्रेटर नोएडा जेवर में यमुना एक्सप्रेस वे के साथ-साथ होती हुई आगरा के एत्माद्पुर रेलवे स्टेशन पर (यमुना एक्सप्रेस-वे के अंतिम बिन्दु पर) मिला दी जाए तो दिल्ली, गाजियाबाद, अलीगढ़ के रेलवे रूट पर यातायात का दबाव कम हो जाएगा तथा रेल की लेटलतीफी से जनता को राहत मिलेगी। साथ ही रेलवे संचालन प्रचालन की समस्या समाप्त हो जाएगी। उपरोक्त के अतिरिक्त देश के प्रथम अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे से स्वत: बहुत सारे शहरों से संपर्क स्थापित हो जाएगा। इस संपर्क के जुडऩे से लोगों को रेलवे से अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर किसी भी दिशा से पहुंचने में सुलभ एवं सस्ता साधन प्राप्त हो जाएगा। इस प्रकार से दिल्ली, नोएडा, ग्रेटर नोएडा, जेवर, खुर्जा, बुलंदशहर, अलीगढ़, हाथरस, मथुरा, फिरोजाबाद, टूंडला, आगरा, भरतपुर, धौलपुर, मुरैना, मैनपुरी, इटावा, कन्नौज व एटा जिले के लोगों को सीधे हवाई अड्डे पहुंचने में देर नहीं लगेगी।
2. दूसरी नई रेलवे लाइन दादरी-ग्रेटर नोएडा से सिकंदराबाद-बुलंदशहर के उत्तर की दिशा से ले जाते हुए डिबाई रेलवे स्टेशन पर मिलाकर डिबाई से अतरौली छर्रा होते हुए कासगंज रेलवे स्टेशन जोड़ा जाए। कासगंज से आगे रेलवे लाइन है जो फर्रुखाबाद (फ़तहगढ़), मकनपुर तक है। केवल मकनपुर से बांगरमऊ औरास होते हुए नई दिल्ली रेलवे लाइन मलिहाबाद लखनऊ तक जोड़ी जाए। जिससे पश्चिमी उत्तर प्रदेश के लोग लखनऊ से सीधे जुड़ जायेंगे। इस प्रस्तावित रेलवे लाइन पर इंटरसिटी ट्रेन लखनऊ को जोड़ा जा सकता है। लखनऊ जाने के लिए हफ्तों पहले आरक्षण कराना तथा समय की बर्बादी से लोगों को निजात मिल जाएगी और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के विभाजन की मांग भी समाप्त हो जाएगी। वर्तमान स्थिति में लखनऊ जाने के लिए पश्चिमी उत्तर प्रदेश के लोगों को मात्र दो ही विकल्प मार्ग उपलब्ध हैं एक तो मुरादाबाद, बरेली होते हुए तथा दूसरा गाजियाबाद, अलीगढ़, कानपुर होते हुए जिसमें काफी समय व धन लग जाता है। लोगों के पास आज समय नहीं है, लोगों की व्यस्तता दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। देश विकासोन्मुख है, सरकार का उत्तरदायित्व है कि विकास के रास्ते लोगों के लिए प्रशस्त करे।
3. तीसरी रेलवे लाइन पलवल से जेवर होते हुए खुर्जा जंक्शन तक बनवाई जाए, इसमें भी जेवर की कनेक्टिविटी सरल, सुलभ हो जाएगी। हरियाणा के लोगों को दिल्ली नहीं जाना पड़ेगा और दिल्ली पर यातायात का भार कम होने से माननीय सर्वोच्च न्यायालय व नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के निर्देशों का अनुपालन व प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के नियमों का पालन तथा सरकार की नीतियों का विस्तार संभव हो सकेगा। दिल्ली को प्रदूषण से मुक्त करने में भी सहायक होगा।
4. चौथे विकल्प के रूप में दिल्ली के वजीराबाद व जगतपुर के बीच से यमुना पर पुल बनाकर सीधे लोनी के आगे दिल्ली-सहारनपुर मार्ग में जोड़ी जाए, जिसमे बागपत, शामली, मुजफ्फरनगर, सहारनपुर, मेरठ आदि शहरों को दिल्ली से सुगमता से जोड़ा जा सकता है। इस प्रकार लोगों के समय की बचत होगी तथा जाम में फंसने से होने वाले डीजल पेट्रोल की बचत तथा जाम के झाम से होने वाली प्रदूषण पर मानसिक तनाव, गाड़ी के बार-बार ब्रेक क्लच से होने वाले आर्थिक एवं इंजन में मशीनी नुकसान से बचा जा सकता है।
5. पांचवे एक रेलवे लाइन पानीपत से कैराना, शामली, मुजफ़्फ़ऱनगर तथा बिजनौर तक बिछाई जाए। इससे भी दिल्ली पर दबाव कम होगा। उत्तराखंड व उत्तर प्रदेश तथा हरियाणा को भली भांति जोडक़र लोगों को नया मार्ग प्रशस्त करेगा। यदि उक्त सुझाव उचित लगे तो सोनीपत से बागपत, मेरठ, परीक्षितगढ़, धनौरा(अमरोहा) रेलवे लाइन से जोड़ा जाए। इससे भी उक्त प्रकार की कनेक्टिविटी बन जाएगी। लोगों के लिए दिल्ली जाना अनिवार्य नहीं होगा, वैकल्पिक मार्ग उपलब्ध होंगे। पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश के लोगों को सुविधा होगी।
6. मथुरा-आगरा के दर्शनीय धार्मिक स्थलों को एक दूसरे से जोडऩे के लिए एक सर्किट विकसित किया जाए। जिसमें मथुरा के कोसी से नई रेलवे लाइन नंदगांव, बरसाना, राधा कुंड, गोवर्धन, आगरा के अछनेरा, फतेहपुर सीकरी, आगरा (ताजमहल) से होती हुई बलदेव, गोकुल, वृंदावन से कोसी तक बनाकर सभी स्थलों को जोडक़र जनता को सुलभ व सस्ता मार्ग उपलब्ध कराया जा सकता है, और अधिक राजस्व प्राप्त करके सरकार को भी लाभ हो सकता है।
7. उत्तर प्रदेश में असीम संभावनाएं पर्यटन की हैं। इसके लिए मथुरा-आगरा, आगरा से बटेश्वर होते हुए इटावा की रेलवे लाइन पर इटावा से आगे औरैया, हमीरपुर, चित्रकूट, कौशांबी, इलाहाबाद, वाराणसी, गोरखपुर, अयोध्या से जोड़ा जाए।
8. दिल्ली के चारों तरफ बनाए जा रहे पेरिफेरियल एक्सप्रेस-वे के साथ-साथ रेलवे लाइन भी होनी चाहिए, इससे भी दिल्ली पर यातायात का दबाव कम होगा और उसे प्रदूषण से बचाया जा सकता है। दिल्ली में संभावित जनसंख्या विस्फोट को रोका जा सकता है।
आशा है आपके स्तर पर हमारे द्वारा जनहित में सुझाए गए इन सुझावों पर अवश्य ही ध्यान दिया जाएगा। आपके तेजस्वी नेतृत्व से लोगों को अपेक्षाएँ हैं। साथ ही आपके द्वारा सरकार को जनहितकारी बनाने के हर अवसर को प्रदर्शित करने का सरहनीय प्रयास किया जाता है। जिसके दृष्टिगत हमे विश्वास है कि आप ऊपरोक्तानुसार सुझाए गए मार्गों पर शीघ्र ही सर्वेक्षण कराएंगे और उचित निर्णय लेकर करोड़ों लोगों के हित में ठोस कार्यवाही करेंगे।
भवदीय
देवेन्द्र सिंह आर्य
चेयरमैन: उगता भारत समाचार पत्र
लेखक उगता भारत समाचार पत्र के चेयरमैन हैं।