जीवात्मा के स्वरूप को जानना मनुष्य जीवन की सार्थकता ::: आचार्य कर्मवीर,

महरौनी (ललितपुर)। महर्षि दयानंद सरस्वती योग संस्थान आर्य समाज महरौनी के तत्वावधान में विगत 2 वर्षों से वैदिक धर्म के मर्म को युवा पीढ़ी को परिचित कराने के उद्देश्य से प्रतिदिन मंत्री आर्य रत्न शिक्षक लखनलाल आर्य द्वारा आयोजित आर्यों का महाकुंभ में दिनांक 5 दिसंबर 2022 सोमवार को “”जीवात्मा की सिद्धि का शास्त्रीय आधार “”विषय पर मुख्य वक्ता के रूप में प्रसिद्ध वैदिक विद्वान्आचार्य कर्मवीर अजमेर ने कहा कि प्रत्येक मनुष्य का यह विशेष धर्म है कि वह अपनी आत्मा के विषय में अवश्य ज्ञान प्राप्त करें ।उन्होंने बताया कि शास्त्रानुसार जीवात्मा के 6 लक्षण हैं– सुख ,दुख ,इच्छा द्वेष, ज्ञान और प्रयत्न । आचार्य श्री ने 1-1 लक्षणों को लेकर उदाहरणों द्वारा समझाने का पूर्ण प्रयास किया और सरल शब्दों में श्रोताओं को लाभान्वित किया। उन्होंने बताया कि जीवात्मा के बिना शरीर की स्थिति कुछ भी नहीं है ।सारी इंद्रियां एक गोलक की भांति विद्यमान रहते हुए भी रूप ,रस ,गंध, स्पर्श और शब्द शब्द की अनुभूति किंचित मात्र भी नहीं कर पाती ।आत्मा के रहते ही शरीर चेतन बना रहता है। और सुख ,दुख ,इच्छा ,द्वेष, ज्ञान और प्रयत्न की प्रतीति बनी रहने से जीवन की सार्थकता होती है। इसीलिए मानव मात्र का यह धर्म है की वह जीवात्मा के स्वरूप को समझ कर जीवन की सार्थकता प्राप्त करेंऔर जीवमात्र को बेवजह कष्ट न दे।
अन्य वक्ताओं ने प्रो.डा.व्यास नंदन शास्त्री वैदिक बिहार, प्रो. डॉ. वेद प्रकाश शर्मा बरेली, अनिल कुमार नरूला दिल्ली, प्रधान प्रेम सचदेवा दिल्ली, आर्य चंद्रकांता क्रांति हरियाणा, युद्धवीर सिंह हरियाणा, भोगी प्रसाद म्यांमार, देवी सिंह आर्य दुबई, भंवर सिंह आर्य दुबई, शिक्षिका आराधना सिंह, परमानंद सोनी भोपाल, चंद्रशेखर शर्मा जयपुर, सुरेश कुमार गर्ग गाजियाबाद ,विमलेश कुमार सिंह ,अवधेश प्रसाद सिंह बैंस ,रामसेवक पाठक सुमनलता सेन आर्यां शिक्षिका आदि ने भी अपने विचार रखे और श्रोताओं को आत्मा के रहस्यों से अवगत कराया। इसके अतिरिक्त उक्त विषय पर सुनने के लिए सैकड़ों लोग आर्यों का महाकुंभ से जुड़ कर प्रतिदिन लाभ उठा रहे हैं।
कार्यकम की शुरुआत कमला हंस, दया आर्या हरियाणा, ईश्वर देवी ,आदिति आर्य व संतोष सचान ने सु मधुर भजनों की प्रस्तुति से की और श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया।
संचालन भारतीय इतिहास पुनर लेखन समिति के राष्ट्रीय संयोजक शिक्षक आर्य रत्न लखन लाल आर्य तथा प्रधान मुनि पुरुषोत्तम वानप्रस्थ ने सभी महानुभाव के प्रति आभार जताया।

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