लेखक- पंकज गांधी
डिजिटल होती दुनिया और मेटावर्स के दौर में जहां लोग अब चाय और पान का भुगतान भी डिजिटल करने लगे हैं वहां डिजिटल रूपी आना स्वाभाविक था. विनियम के माध्यम में डिजिटल करेंसी की अनुपस्थिति के कारण ही क्रिप्टो करेंसी अपना पैर पसार रहा था जिससे भारत समेत कई सरकारें चिंतित थीं. हालांकि वह करेंसी की जगह निवेश का प्रकार था लेकिन भुगतान में स्वीकार होने के कारण वह करेंसी का स्थानापन्न भी बन रहा था. इन्ही सब बातों को दृष्टिगत रखते और डिजिटल दुनिया से कदमताल करते हुए रिजर्व बैंक ने आखिर डिजिटल रूपये में प्रवेश कर ही लिया.
भारत में दो प्रकार के डिजिटल करेंसी जारी की गई है. एक है CBDC-W और दूसरा CBDC-R है. पहला होलसेल भुगतान में प्रयोग होगा और दूसरा CBDC फुटकर भुगतान में मतलब आम आदमी के लिए है. यहां CBDC का मतलब सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी है. पहला वाला 1 नवंबर को जबकि दूसरा वाला 1 दिसंबर को जारी किया गया. यह रिजर्व बैंक द्वारा जारी की गई एक संप्रभु मुद्रा है। 1 दिसंबर से रिटेल डिजिटल रुपये के इस्तेमाल का मौका मुंबई, नई दिल्ली, बेंगलुरु और भुवनेश्वर के लोगों को मिलने वाला है। इसके बाद इसे अहमदाबाद, गंगटोक, गुवाहाटी, हैदराबाद, इंदौर, कोच्चि, लखनऊ, पटना और शिमला जैसे शहरों में जारी किए जाने की योजना है।
आम आदमी को इस डिजिटल करेंसी को लेकर मन में कई जिज्ञासाएं हैं. पहली की यह कैसा होगा? तो यह डिजिटल टोकन के रूप में होगा। जैसे आप गाड़ी की आरसी और ड्राइविंग लाइसेंस एक डिजिटल लाकर में रखते हैं और आपको ओरिजिनल लेकर चलने की जरुरत नहीं है. आप अपने डिजिटल लाकर में रखी आरसी और ड्राइविंग लाइसेंस दिखा सकते हैं. यह ठीक कुछ मोटा मोटी ऐसा ही समझिये। यह टोकन एक “बेयरर इंस्ट्रूमेंट” की तरह होगा एकदम बैंकनोट्स की तरह. जिसका अर्थ है कि जो कोई भी ‘धारक’ एक समय विशेष पर इस टोकन का होगा वही उसका स्वामी होगा । हां जेब की जगह डिजिटल डिवाइस या मोबाइल की जरुरत पड़ेगी.
दूसरी जिज्ञासा कि इस डिजिटल लाकर जिसे वॉलेट कहा गया , में करेंसी कौन देगा? तो फिलहाल रिजर्व बैंक अप्रत्यक्ष मोड का इस्तेमाल कर रही है. बजाय खुद के यह मध्यस्थ बैंकों के माध्यम से इसे आम आदमी के पास पहुंचा रही है. शुरू में कुछ चुनिंदा बैंक हैं. 1 दिसंबर को पहले चरण के रूप में स्टेट बैंक ऑफ इंडिया, आईसीआईसीआई बैंक, यस बैंक और आईडीएफसी फर्स्ट बैंक में इसे शुरू किया जा रहा है। RBI के अनुसार, इस पायलट में भागीदारी के लिए कुल आठ बैंकों की पहचान की गई है। आम आदमी इनके माध्यम से अपना डिजिटल वॉलेट अपने डिवाइस में खुलवा सकता है और इसमें पैसा लोड करवा सकता है. इसके लिए जरुरी नहीं है कि उसका बैंक में अकाउंट हो. इस डिजिटल वॉलेट में उसके पास रुपया या पैसा उसी रंग रूप और डेनोमिनेशन में टोकन रूप में होंगे जैसे असल में पेपर करेंसी होते हैं. इसका मूल्य भी पेपर करेंसी के बराबर ही होगा. ऐसा इसलिए है ताकि लोगों को लगे कि यह वाकई में पेपर करेंसी जैसा ही है. इसका टोकन होना इसे डिजिटल बैंकिंग एवं UPI पेमेंट से अलग करता है.
तीसरी जिज्ञासा है कि यह क्रेडिट कार्ड, इंटरनेट बैंकिंग या UPI से कैसे अलग है? तो क्रेडिट कार्ड, इंटरनेट बैंकिंग या UPI एक ऐसे मध्यस्थ हैं जो अपनी तरफ से धारक को जमा या क्रेडिट की सुविधा देते हैं. इसमें कहीं भी रिजर्व बैंक की गारंटी नहीं होती है. आपने जितना जमा किया<