भारत किस विदेशी सत्ता या आक्रांता का कितनी देर गुलाम रहा? 3
ग्वालियर
महाकौशल, इंदौर, रीवां, झाँसी, ये सारी रियासतें मुस्लिम शासनकाल में अपनी स्वतन्त्रता को बचाए रखने में सफल रहीं। एक दिन के लिए भी ये रियासतें किसी मुस्लिम सुल्तान या बादशाह के अधीन नहीं रही। महाकौशल की 1818 की तथा झाँसी में 1858 में अंग्रेज़ो से संधि हो गयी। इससे महाकौशल लगभग 130 वर्ष तो झाँसी मात्र 89 वर्ष अंग्रेज़ो की गुलामी में रहा। जबकि अन्य क्षेत्र या तो कर देते रहे या किसी अन्य प्रकार से मुस्लिमों से अपनी प्रतिष्ठा बचाए रखने में सफल रहे। यद्यपि इन प्रांतो में स्वतन्त्रता संग्राम निरंतर जारी रहा।
मालवा
अपने 17500 वर्षीय हिन्दू शासन में 1301 से 1731 तक मालवा मुस्लिम शासन के अधीन रहा। 88 वर्ष स्वतंत्र रहकर 1819 में पुन: एक संधि के अंतर्गत ब्रिटिश शासन के अधीन चला गया।
भरतपुर क्षेत्र
यहाँ पर कुल 11 राज्य थे। यह क्षेत्र भी मुस्लिम काल में अपनी स्वतन्त्रता बचाने में सफल रहा। 1826 से यह क्षेत्र अंग्रेजों के अधीन हो गया। इस प्रकार कुल 121 वर्ष तक यह प्रदेश अंग्रेजों के अधीन रहा।
धौलपुर
नौ गाँव, हमीरपुर, बांसवाड़ा, शिरौही, ढूंगरपुर, किरौली, किशंगढ़, पालमपुर, प्रतापगढ़, और शाहपुर ये सारी रियासतें भी मुस्लिम शासन के अधीन एक दिन भी नहीं रही। परंतु 1857 से एक संधि ब्रिटिश शासन के साथ अलग-अलग इन रियासतों ने की और उसके अंतर्गत इन्होने ब्रिटिश शासन के अधीन जाना स्वीकार कर लिया। इस प्रकार अधिकतम 90 वर्ष ही ये रियासतें किसी विदेशी शासन के साथ प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से जुड़ी रही।
टोंक
यह क्षेत्र 1819 से 1947 तक मुस्लिम शासन के अधीन रहा। 1857 से ब्रिटिश सरकार के साथ इस मुस्लिम रियासत की संधि भी हो गयी।
अलवर , जयपुर , आमेर , जोधपुर ,मारवाड़ , जैसलमेर, बीकानेर , उदयपुर , मेवाड़ , चित्तौड़
ये सारे अपना स्वतंत्रता संग्राम चलाते रहे और एक दिन भी मुस्लिम शासन की अधीनता स्वीकार नही की । जयपुर 1728 में बसाया गया था। इसलिए पूर्व के किसी मुस्लिम शासक के अधीन जाने का तो प्रश्न ही नही था। अलवर एक दिन भी मुस्लिम शासन के अधीन नही रहा। 1857 से अलवर ब्रिटिश शासन के अधीन अवश्य हो गया था। शेष अन्य रियासतों के साथ मुस्लिम शासकों की संधि हो गयी थीं जिनमे इन राज्यो के सम्मान का ध्यान रखा गया था। इसी प्रकार इन्होंने ब्रिटिश सरकार से भी संधि कर ली थी। 1614 कि एक संधि के अंतर्गत उदयपुर मेवाड़ भी जहांगीर का मित्र हो गया था।
कोटा, बून्दी, गुजरात के 20 राज्य, महाराष्ट्र के 15 प्रमुख राज्य, एवं बरार- इनमें से कोटा बूंदी 1625 से अगले 125 वर्ष मुस्लिम शासन के अधीन रहे , जबकि गुजरात के 20 राज्यों में से अधिकांश पर हिन्दू शासन बना रहा। कुछ हिस्सों में लगभग 325 वर्ष तक मुस्लिम शासन रहा। महाराष्ट्र में भी 350 वर्ष तक मुस्लिम शासन रहा। 1902 से 1947 तक यह प्रान्त ब्रिटिश शासन के अधीन रहा ।
हैदराबाद
यह प्रसिद्ध रियासत 1589 से 1948 तक मुस्लिम शासन के अधीन रही। इस राज्य ने अंग्रेजों से संधि कर ली थी और अपने मुस्लिम स्वरूप को बचाने में सफल रही थी।
मैसूर
विजयनगर, कर्नाटक, आंध्रप्रदेश इन क्षेत्रों में भी मुस्लिम शासन स्थापित रहा। इनमे से विजयनगर कभी भी मुस्लिम शासन के अधीन कभी नही रहा। 1857 में यहां ब्रिटिश सत्ता ने अपना परचम लहराया। मैसूर केवल 48 वर्ष ही मुस्लिम शासन के अधीन रहा। इसने भी अंग्रेजों से संधि कर ली थी। कर्नाटक के कुछ हिस्सों में 200 से 250 वर्ष मुस्लिम शासन रहा। यहां 1761 से ब्रिटिश शासन स्थापित हो गया था।
आन्ध्रप्रदेश तो केवल 10 वर्ष के लिए ही मुस्लिम शासन के अधीन रहा था। 1857 से यहां ब्रिटिश शासन स्थापित हो गया था। कोच्चि, त्रावणकोर इन दोनों क्षेत्रों में मुस्लिम शासन एक दिन भी नही रहा। 1857 से ब्रिटिश शासन अवश्य स्थापित हो गया था।
इस प्रकार मित्रो अपने इतिहास को समझने की आवश्यकता है। देश का 50 प्रतिशत से अधिक भूभाग लगभग सदा आजाद रहा। तथाकथित गुलाम भूभाग पर आजादी की लड़ाई चलती रही। अत: हमारे पूर्वज वीर थे। जिन्होंने देश की गुलामी स्वीकार नही की ,चाहे उसके लिए कितने ही बलिदान दिए। नेहरू गांधी के कारण देश आजाद नही हुआ, आजाद इसकी रगों में थी, जिसे प्राप्त करके ही इसे रुकना था।
हमें अपने देश के इतिहास को इसी गौरवमयी दृष्टिकोण से पढऩा व देखना चाहिए। इसी भाव से युवा पीढ़ी के भीतर अपने इतिहास नायकों के प्रति सम्मान का भाव उत्पन्न होगा।
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