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सत्य घटना : यहूदी रबी से तोरह क्यों सीखी ?

सत्य घटना : यहूदी रबी से तोरह क्यों सीखी ?
विश्व में जितने धर्म ईश्वर को मानते हैं , उनके अनुयायी अक्सर ईश्वर ,खुदा God और अल्लाह केनाम पर ऐसे काम किया करते हैं जो विश्व और मानवता के विरुद्ध होते ,ईश्वर के नाम से अपने ग्रंथों में ऐसी बातें जोड़ देते हैं जो झूठी और कल्पित होती हैं ,हमने आपको पहले बताया था कि हमने रेलवे में नौकरी लगने से ही ईसाई धर्म की किताब यानि बाइबिल हिंदी में पढ़ ली थी ,लेकिन वह बाइबिल कैथोलिक ईसाइयों द्वारा छापी गयी थे , फिर कुछ समय बाद हमें एक ईसाई प्रचारक ने हमें मुफ्त में अंगरेजी बाइबिल दी और उसे पढ़ने को कहा , इसे पढ़ने पर हम चक्कर में पड़ गए कि कौन सी असली बाइबिल है , वास्तव में बाइबिल एक किताब नहीं बल्कि कई किताबों का संकलन है , प्रोस्टेटेन्ट बाईबिल में 66 किताबें हैं जो पुराना नियम (Old Testament ) और नया नियम(new Testament) में विभाजित है इसके पुराने नियम में हिन्दू , और भारत का उल्लेख है , और कैथोलिक बाइबिल में 72 किताबें है परन्तु उसमे हिन्दू शब्द और भारत का नाम गायब कर दिया गया है -तब से हम सत्य का पता करने में लगे रहे लेकिन उस समय हमारे पास कोई किताब और साधन नहीं था , लेकिन सौभाग्य से हमें बम्बई में रेलवे में नौकरी मिल गयी , तब हमने बाइबिल सोसायटी ऑफ़ इंडिया बंगलोर के एक पत्र भेजा जिसमे कहा की मुझे उस भाषा में बाइबिल चाहिए ,जिस भाषा में ईसा मसीह बात करते थे तब 27 मई 1976 को बाइबिल सोसायटी ऑफ़ इंडिया ने हमें एक पत्र भेजा जिसका नंबर city /110 /76 है ,इस उत्तर में अंगरेजी में लिखा था ,
“dear Mr Sharma ,
Iam in reciept of your letter of 10th May 1976 which is forworded to us by head office at Bangalore ,please note that at present we do not have a single copy of Hebrew Old Testament ,you could come and make enquiries in our office after 2/3 weeks .We are expecting to recieve these copies .of Old Hebrew testament
With regards ,your sinsierly Rev E.L.Daniel Secratory
जब दो महीने होने पर भी बाइबिल नहीं आयी तो हम फिर उनके ऑफिस में गए तो उन्होंने कहा को हिब्रू बाइबिल इसराइल के कॉन्सुलेट में मिल सकती है तब हम वहां गए , कॉन्सुलेटर का नाम A . Shoket था ,उनकी पी ऐ का नाम Mis दस्तूर था वहां हमने 5 रुपया जमा करके हिब्रू बाइबिल खरीदी ,और उन्होंने हमें आजीवन अपनी संस्था का सदस्य बना दिया इसका नाम Indo Jewish Cultural Society है ,आज भी हम सदस्य हैं
1-हेब्रू बाइबिल कैसे पढ़ी
हमें हिब्रू बाइबिल इसराइल की कॉन्सुलेट से 2 जून 1978 को मिली थी , और जब किताब लेकर मुंबई सेंट्रल के पार्सल ऑफिस की तरफ जा रहे थे दोस्तों को वह किताब दिखाई , हमने दोस्तों से कहा कि किताब तो मिल गयी ,लेकिन इसे कैसे पढ़ें यह एक समस्या है , तभी मेरे एक दोस्त ने कहा दादर के पार्सल ऑफिस में एक यहूदी पार्सल क्लर्क है उसका नाम पैजारकर है (पूरा नाम -Nehmiah Eliyah Pezarkar ) , आप उस से मिलिए वह जरूर मदद करेगा , और जब हम पेजारकर से मिले तो उसने कहा कि मुंबई के सेंडहर्स्ट रोड स्टेशन पर यहुदिओं का सिनेगोग ( चर्च है जिसके रबी का नाम डेविड एस रोहेकर (david.S.Rohekar ) है ,हम आपको उनके पास ले चलते है , और जब हमने रब्बी से कहा हमें हिब्रू बाइबिल यानि तोराह सीखना है , हमने रब्बबी से कहा ,आप पहले अपने ईश्वर के नाम से कोई हिस्सा पढ़िए ताकि हम अरबी और हिब्रू का अंतर समझ सकें , , तब रबी बोले हम मुसलमानों की तरह हर जगह ईश्वर का नाम नहीं लेते , मुसलमान तो अल्लाह का नाम लेकर हत्या ,लूट , बलात्कार जैसे अपराध करते हैं , हमारे ईश्वर के नाम में चार ही अक्षर है जिसे ( Mystical TTetragram ) कहा जाता है ,हम यह नाम विशेष पर्व पर ही बोलते है , ईश्वर का नाम वही है ,जो आपकी किताब में है
2-तोराह और वेद में ईश्वर का नाम एकहि है
रब्बी ने बताया कि तौराह की किताब Exodus 3 :14 के अनुसार जब मूसा ईश्वर के साथ मिलेने को गए और उनसे उनका नाम पूछा ,तो ईश्वर ने कहा।
,”אֶהְיֶה אֲשֶׁר אֶהְיֶה‎‎ “एहीह एशेर एहीह”+I Am that I Am” अर्थात -मैं वही हूँ
बिलकुल यही शब्द यजुर्वेद के अध्याय 40 के मन्त्र 16 में दिया गया है। पूरा मन्त्र इस प्रकार है
“यत्ते रूपं कल्याणतमं तत्ते पश्यामि योऽसावसौ पुरुषः सोऽहमस्मि ..यजुर्वेद-40:16
मन्त्र के अंतिम शब्द ” सोऽहमस्मि ” का अलग अलग अर्थ यह है 1 सो = वह 2 अहम् = मैं ,3 अस्मि = हूँ ,इसका साफ मतलब है किमुसलमान तोराह को अल्लाह की पहली किताब मानते हैं कि यह हजारों साल पहले मूसा पर नाजिल हुई थी , और इसमें वेद का शब्द मौजूद है यानि वेद ईश्वर की सबसे प्राचीन किताब है
इसके बाद हम तीन महीने तक रबी के पास हिब्रू सिखते रहे , ,रबी ने यह भी बताया कि मुहम्मद ने तौराह की कहानियां चुरा कर कुरान में घुसेड़ द दीं मुसलमान खुद को जिस इस्माइल की संतान बताते हैं ,उस को तोराह में जँगली हिंसक पशु बताया गया है उस पर लानत है ,यही नहीं मुहम्मद अनपढ़ नहीं बड़ा चालाक था ,वह अपने हरेक अपराध को उचित साबित करने के लिए कोई न कोई आयत बना देता था और कहता था की यह अल्लाह का आदेश है , इसीलिए यहूदी मुहमद को नहीं मानते , यहूदी अल्ल्लाह को मुहम्मद ईजाद मानते है क्योंकि इस्लाम से पहले अरबी भाषा में अल्लाह शब्द नहीं था हिब्रू भाषा में अल्लाह का मतलब विपदा , संकट और बर्बादी है
हम उन रब्बी के आभारी है जिन्होंने हिब्रू सिखाई और हमें कई किताबें भीदीं , इसराइल से हमें हर महीने न्यूज फ्रॉम इसराइल (News from Israel ) किताब आती रही जब तक किताब की साईट नहीं बानी थी , आज भी इसराइल में हमारे कुछ दोस्त हैं
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ब्रजनंदन शर्मा

उपरोक्त विचार लेखक के अपने विचार हैं। जिनसे उगता भारत का सहमत होना आवश्यक नहीं।

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