बिखरे विपक्ष का लाभ भाजपा को!
-डॉ. भरत मिश्र प्राची
हिमाचल प्रदेश के विधान सभा के चुनाव 12 नवम्बर हो गये जहां मतदान प्रतिशत पहले से कम रहा। अब 1 दिसम्बर एपं 5 दिसम्बर कों विधान सभा चुनाव गुजरात राज्य में होने जा रहे है जहां पूरे देश की नजर टिकी हुई है। 8 दिसम्बर को दोनों राज्यों के विधानसभा चुनाव परिणम एक साथ आयेंगे। इन चुनावों में सत्ता पक्ष भाजपा , कांग्रेस, आप एवं ओवैसी नेतृत्व वाली राजनीतिक पार्टी मुख्य रूप से चुनाव मैदान में है। एक तरफ भाजपा है दूसरी ओर अन्य राजनीतिक पार्टियां अपने अपने दम पर चुनाव लड़ रही है जिनमें आपसी कोई मेल मिलाप नहीं हैं निश्चित तौर पर विपक्ष के इस बिखराव का लाभ भाजपा को पूर्ण रूप से मिलेगा। चुनावी सर्वेक्षण में दोनों राज्यों में भाजपा को आगे बताया जा रहा है। इस तरह के परिवेश इन दोनों राज्यों में फिर से सत्ता में भाजपा की वापसी दर्शा रहे है।
गुजरात में चुनाव प्रचार अपने अंतिम चरण में है जहां भाजपा जोर – शोर से प्रचार – प्रसार में लगी हुई है। इस कड़ी में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की कई रैलियां गुजरात विधानसभा चुनाव परिदृश्य में आयोजित की गई। साथ ही देश के गृह मंत्री अमित शाह के साथ -साथ असम, उत्तर प्रदेश भाजपा शासित राज्यों के मुख्यमंत्री, भाजपा अध्यक्ष जे पी चड्डा एवं कई वरिष्ठ भाजपा नेता गुजरात में पड़ाव डाले हुये है। गुजरात राज्य भाजपा शासित केन्द्र सरकार के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी एवं गृहमंत्री अमीत साह का गृह प्रदेश भी है। इसी कारण गुजरात चुनाव भाजपा के लिये प्रतिष्ठा का प्रश्न बन चुका है। जहां की जीत हार आगामी लोक सभा चुनाव को भी प्रभावित करने वाली है। इसी राज्य में आप पार्टी भी जोर शोर से प्रचार – प्रसार में लगी हुई है और सत्ता तक पहुंचने का दावा कर रही है जबकि गुजरात में ऐसा होना नाममुकिन है। गुजरात राज्य की राजनीतिक स्थिति पंजाब से अलग है। गुजरात राज्य देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी एवं गृह मंत्री अमीत साह का गृह प्रदेश है जिसका राजनीतिक लाभ भाजपा को मिलना स्वाभाविक है। पंजाब में चुनाव पूर्व कांग्रेस द्वारा कैख् अमरेन्द्र सिंह को हटाकर नये मुख्यमंत्री बनाये जाने से कांग्रेस कमजोर हो गई जिसका राजनीतिक लाभ आप को मिला, आप सत्ता तक पहुंच गई । पंजाब में भाजपा का वजूद कोई खास नहीं था पर गुजरात एवं हिमाचल में कांग्रेस सत्ता के करीब है जहां कांग्रेस में फिलहाल कोई बगावत नहीं। इन दोनों राज्यों में कांग्रेस चुनाव उपरान्त दूसरे नं. की राजनीतिक पार्टी रहेगी। इन दोनों राज्यों में कांग्रेस को आप एवं ओवैसी की राजनीतिक पार्टी से नुकसान होने की संभावना है। इन दोनों को वोट कटुवा कहा जा रहा है ।
राजनीति में उतार चढ़ाव तो आते ही रहते है । हिमाचल में इस बार सत्ता परिवर्तन की उम्मीद की जा रही थी पर आप एव ओवैसी के प्रवेश से कांग्रेस का वोट बैंक जरूर प्रभावित हुआ है। यह प्रभाव गुजरात में भी देखने को मिलेगा । इस तरह विपक्ष के बिखराव का राजनैतिक लाभ भाजपा को मिलना स्वाभाविक है। (युवराज)