चीन ने नेपाल में अपने नए राजदूत के तौर पर चेन सान्ग का नाम आगे बढ़ाया है। वो पूर्व राजदूत हाओ यांकी की जगह लेंगे। यांकी नेपाल में विवादित रहने के साथ भारत विरोधी नीतियों के लिए भी जानी जाती हैं।
चीन ने नेपाल में अपने नए राजदूत के तौर पर Chen Song का नाम प्रपोज किया है। वो आने वाले दिनों में नेपाल में चीन के पूर्व राजदूत Hou Yanqi की जगह लेंगे। अपने चार वर्ष का कार्यकाल पूरा कर Wou अक्टूबर में ही बीजिंग लौट गए थे। चीन में नेपाल के राजदूत पुकर श्रेष्ठ ने एक अखबार को इस बारे में जानकारी दी है। बता दें कि Wou का कार्यकाल नेपाल में बेहद विवादित रहा था। वर्ष 2020 में उन्होंने नेपाल में जारी राजनीतिक संकट के बीच चीन के समर्थक माने जाने वाले केपी शर्मा ओली का समर्थन किया था। पुकर के मुताबिक Chen जिनका नाम नेपाल में नए राजदूत के तौर पर आगे बढ़ाया गया है वो फिलहाल चीन के विदेश मंत्रालय में डिप्टी डायरेक्टर जनरल हैं। वे वहां पर नेपाल से जुड़े मामलों को देखते हैं।
विवादित यांकी का कार्यकाल
यांकी की बात करें तो नेपाल को चीन की गोद में बिठाने के पीछे उनकी तय रणनीति को ही माना जाता है। उन्होंने ओली के साथ मिलकर नेपाल को भारत से दूर किया और उसकी जमीन पर कब्जा भी करवाया। ओली की चीन के चीन के प्रति झुकाव की ही वजह से उन्होंने 2018 के चुनाव में भारत विरोधी बयान दिए थे। उन्होंने कहा था कि भारत नेपाल के अंदरुणी मामलों में बेवजह दखल देता है। यांकी ने भी भारत विरोधी रणनीति के तहत उन लोगों और नेताओं का दिल जीतने की कोशिश की जो चीन के समर्थक माने जाते हैं। इसके लिए यांकी ने सोशल मीडिया का भी खूब इस्तेमाल किया। बता दें कि यांकी नेपाल से पहले पाकिस्तान में भी चीन की राजदूत रह चुकी थीं। वो उर्दू बोलने में माहिर हैं।
यांकी की भारत विरोधी मुहिम
गौरतलब है कि यांकी चीन के उन राजनयिकों में से हैं जो सोशल मीडिया का इस्तेमाल जमकर करती हैं। वो चीन की विवादित नीतियों का बचाव करने के लिए भी जानी जाती हैं। ट्विटर चीन में भले ही बैन है लेकिन देश के बाहर मौजूद चीन के राजनयिक इसके जरिए सरकार का बचाव और अपनी छवि को बेहतर करने की पूरी कोशिश करते दिखाई देते हैं। यांकी के भी ट्विटर पर 40 हजार अधिक फालोअर्स हैं। अपने हर ट्वीट में वो चीन और नेपाल के मजबूत रिश्तों का दावा भी करती दिखाई देती थीं।
भारत-नेपाल सीमा को भड़काया
यांकी ने भारत-नेपाल सीमा विवाद को उकसाने में भी अहम भूमिका निभाई। अपने कई ट्वीट में उन्होंने इस विवाद को न सुलझाने के लिए भारत पर ही आरोप लगाया था। उन्होंने नेपाल में अपने कार्यकाल के दौरान ये जताने की कोशिश की कि चीन नेपाल का बेहद करीबी और हर वक्त उसके साथ खड़ा रहने वाला देश है जबकि भारत पूरी तरह से नेपाल विरोधी है। यांकी ने अपने कार्यकाल में नेपाल की राजनीति में भी काफी दखल दिया। यांकी का कार्यकाल भारत के लिए परेशानी का सबब बना रहा था।
नेपाल में चीन के नए राजदूत
Chen का नाम उस वक्त आगे आया है जब नेपाल में हुए चुनाव के अभी सारे रिजल्ट सामने नहीं आए हैं। इन चुनावों में प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा ने पश्चिमी नेपाल के डडेलधुरा निर्वाचन क्षेत्र से लगातार सातवीं बार जीत हासिल की है। देउबा अपने पांच दशक के राजनीतिक करियर में अब तक कोई भी चुनाव नहीं हारे हैं। इन चुनावों में उनकी पार्टी नेपाली कांग्रेस का मुकाबला ओली की पार्टी युनाइटेड मार्क्सवादी-लेनिनवादी से था। ओली नेपाल के तीन बार प्रधानमंत्री रह चुके हैं। उनके प्रधानमंत्री कार्यकाल के दौरान नेपाल के संबंध जहां चीन से बेहद करीबी थे वहीं भारत से संबंधों में गिरावट का दौर देखा गया था।
जब उभरे मतभेद
उनके पीएम रहते हुए ओली और नेपाली कम्यूनिस्ट पार्टी के पुष्प कमल दहल प्रचंड दहल के बीच मतभेद भी उभरे थे, जिस वजह से ओली अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर सके थे। पिछली बार जब ओली सत्ता में आए थे तो उन्होंने भारत विरोधी कई फैसले लेकर राष्ट्रवादी नेताओं को नाराज कर दिया था। चीन के दबाव में आकर उन्होंने विवादित इलाकों को लेकर देश के नक्शे में भी कई बदलाव किए थे, जिनमें ऐसे क्षेत्र भी शामिल थे जो भारत के नियंत्रण में हैं।