बुरी नहीं वृत्ति कोई, यदि बदलो उपयोग ।
जिसने जाना राज को, सफल हुए वे लोग॥2067॥
वृत्तियों का रूपान्तरण कैसे करें ?
उदाहरण के लिए –
1- काम का उपयोग
आवश्यक आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए हो, सन्तानोत्पत्ति के लिए हो, विलास के लिए नहीं ।
2- क्रोध की वृत्ति का उपयोग
शत्रु को परास्त करने के लिए होना चाहिए , किसी का हक छीनने के लिए नहीं ।
3- लोभ की वृत्ति का उपयोग
सत्कर्म, सत्संगति ,सत्संकल्प, सद्ज्ञान के लिए हो, दूसरों की दौलत के लिए नहीं ।
4- चोरी की वृत्ति का उपयोग
सत्पुरुषों के सद्गुणों को चुराने के लिए करो, किसी का धन अथवा वस्तु के लिए नहीं ।
5- आलस्य की वृत्ति को कर्मण्यता में बदलो ।
6- अहंकार की वृत्ति को विनम्रता में बदलो ।
7- घृणा की वृत्ति को दुरितों (बुरी आदतें) से दूर रहने के लिए करो ।
8- मोह की वृत्ति का उपयोग अपनी जन्मभूमि, अपने धर्म और संस्कृति राष्ट्र और राष्ट्रीय चिन्हों के प्रति करो ।
9- द्वेष की वृत्ति को क्षमा में बदलो ।
10- राग की वृत्ति को अनुराग में अर्थात् भक्ति में बदलो ।
11-जोश की वृत्ति को राष्ट्र रक्षा, धर्म रक्षा, स्वाभिमान की रक्षा और सत्कर्म में कीजिए ।
जिन्हें स्वर्ग की इच्छा हो –
स्वर्ग की मुद्रा पुण्य है ,नरक की है अभिमान ।
पुण्य कमा, मत पाप कर ,जो चाहे कल्याण॥2068॥
भक्ति – मग ही सहज है ,जो प्रभु तक ले जाए ।
प्रेम -पास में बांध ले, सीधा -सरल उपाय॥2069॥
निर्मल हृदय ही नारायण का नीड है –
निर्मल हृदय में बसे, जग का सृजनहार ।
प्रभु – मिलन की चाहना,हृदय रोज सवार॥2070॥
क्रमशः