उगता भारत ब्यूरो
गुजरात में 2022 के विधानसभा चुनाव को लेकर सरगर्मियां चरम पर हैं। एक तरफ भाजपा यहां सत्ता बचाने में जुटी है तो आम आदमी पार्टी उसका खेल बिगाड़ने की तैयारी में है। इन सबके बीच राहुल गांधी की गैरमौजूदगी हैरान करने वाली है। खासतौर पर 2017 के चुनावी नतीजों को देखते हुए, जिसमें कांग्रेस का प्रदर्शन बहुत ही बढ़िया रहा था। हालांकि इस बार भाजपा के लिए बड़ी चुनौती आम आदमी पार्टी भी है। भाजपा भी इसी हिसाब से अपनी सियासी रणनीति को अंजाम देने में जुटी है।
भाजपा नहीं, कांग्रेस को डेंट देगी ‘आप’?
आम आदमी पार्टी गुजरात में अपने लोक-लुभावने वादों के दम पर जनता को रिझाने में जुटी है। अपनी दस गारंटियों के दम पर वह यहां सत्ता तक पहुंचने का मंसूबा बनाए हुए है। हालांकि, पीएम मोदी पहले ही इसे ‘रेवड़ी’ कहकर खारिज कर चुके हैं, फिर भी भाजपा आप को हल्के में नहीं ले रही। इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक एक पॉलिटिकल ऑब्जर्वर ने बताया कि गुजरात में आप का आना क्यों महत्वपूर्ण है। इसके मुताबिक आम आदमी पार्टी यहां बिल्कुल नए आइडिया की तरह आई है। यह देखते हुए कि आप के एक तिहाई वोटर 40 साल से कम उम्र वाले हैं और वह बदलाव पसंद करने वाले हैं, उसके लिए गुजरात में संभावनाएं बढ़ जाती हैं। हालांकि भाजपा नेताओं का मानना है कि आम आदमी पार्टी भाजपा से ज्यादा कांग्रेस को नुकसान पहुंचाएगी।
भाजपा नहीं ले रही रिस्क
वहीं एक अन्य आंकलन के मुताबिक गुजरात के वोटर्स का भाजपा के साथ भावनात्मक जुड़ाव रहा है। इसके बावजूद वह किसी तरह का रिस्क नहीं ले रहे हैं। भाजपा के टिकट बंटवारे में जिस तरह से जातियों का ध्यान रखा गया है, वह इसकी तरफ इशारा करता है। पार्टी ने अभी तक 166 उम्मीदवारों का ऐलान किया है, जिसमें से 40 पाटीदार हैं। इसके अलावा पार्टी कडवा, लेउवा, कोली, तलपड़ा जातियों पर फोकस कर रही है। वहीं, प्रमुख आदिवासी जनजातियों-भील, रथवास, तड़वीस, हाप्टिस और वर्लीज पर भी उसका ध्यान है। यह भी गौर करने वाली बात है कि आदिवासी समुदाय से आने वाले ऐसे कम से कम चार उम्मीदवार पहले कांग्रेस में थे। एक अन्य भाजपा नेता के मुताबिक पार्टी ग्रामीण मतदाताओं पर ध्यान केंद्रित कर रही है।
पुराने कांग्रेसियों पर दांव
भाजपा के उम्मीदवारों में एक और बात खास है। भगवा पार्टी ने 17 ऐसे कैंडिडेट्स को टिकट दिया है, जो पहले कांग्रेस में थे। इनमें भी 9 ऐसे हैं जो 2017 में कांग्रेस के टिकट पर चुनाव जीत चुके हैं। इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक एक भाजपा नेता ने इसके पक्ष में यह दलील दी कि बीते वर्षों में हम गहरे भगवा से हल्के भगवा की तरफ बढ़े हैं। देश में आधार बढ़ाने के लिए पार्टी के अंदर विचारों, समुदायों और नेताओं के प्रति ज्यादा खुलापना आया है। पीएम मोदी भी भाजपा को मजबूत बनाने के लिए लगातार गुजरात का दौरा कर रहे हैं। हाल ही में वह राजकोट पहुंचे थे, जहां से साल 2001 में उन्होंने अपना पहला चुनाव लड़ा था। इस दौरान अपने भाषण में उन्होंने ढेरों पुरानी यादें ताजा कीं। सिर्फ इतना ही नहीं, इसके बाद उन्होंने तीन वरिष्ठ स्थानीय पत्रकारों और तीन महत्वपूर्ण आरएसएस परिवार से भी मुलाकात की।
केंद्रीय योजनाओं से भी आस
केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह भी गुजरात पर पूरा ध्यान लगाए हुए हैं। कैंडिडेट्स की लिस्ट से लेकर पार्टी के मैनिफेस्टो पर उनकी मुहर है। भाजपा को यह भी उम्मीद है कि केंद्र सरकार द्वारा चलाई जा रही योजनाओं का लाभ भी उसे यहां मिलेगा। एक भाजपा नेता ने कि साल 2014 तक यहां आम राय थी कि केंद्र सरकार गुजरात के प्रति भेदभावपूर्ण रवैया रहती है। लेकिन अब कई बड़े प्रोजेक्ट्स यहां पर आए हैं, जिनसे रोजगार बढ़ेगा। उन्होंने कहा कि कांग्रेस और आप भले ही बेरोजगारी की बातें करें, लेकिन सच यह है कि ईडब्लूएस कोटा पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले से पाटीदार समाज काफी खुश है। वहीं, भाजपा के कैंपेन तो तेज करने के लिए जिलों और विधानसभा क्षेत्रों में कॉल सेंटर्स भी स्थापित किए गए हैं जो केंद्र और राज्य सरकारों की योजनाओं पर जनता से फीडबैक ले रहे हैं।
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