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उगता भारत न्यूज़

इतिहास की गंगा का प्रदूषण समाप्त करना समय की आवश्यकता : डॉ राकेश कुमार आर्य

ललितपुर। यहां पर पहलवान गुरुदीन महाविद्यालय पनारो ललितपुर में महर्षि दयानंद सरस्वती योग संस्थान महरौनी की ओर से आयोजित भारतीय इतिहास एक पुनरावलोकन विषय पर अपने विचार रखते हुए सुप्रसिद्ध इतिहासकार एवं लेखक डॉ राकेश कुमार आर्य ने कहा कि भारत के इतिहास की गंगा को प्रदूषण मुक्त करना समय की आवश्यकता है। डॉक्टर आर्य ने कहा कि भारत में ताजमहल से भी पहले के ऐसे अनेक ऐतिहासिक भवन और स्थल हैं जो इससे भी उत्कृष्ट शैली में बनाए गए हैं। परंतु उनका कहीं पर उल्लेख नहीं किया जाता। आमेर के राजा सवाई जयसिंह के पूर्वजों के इस भवन को जानबूझकर एक मुगल बादशाह के नाम कर दिया गया है। जिसका कोई प्रमाण इतिहास में नहीं है। इसी प्रकार कुतुब मीनार को भी एक मुस्लिम संतान के नाम कर दिया गया है जो कि हमारे ही राजा चंद्रगुप्त विक्रमादित्य के समय में बनाई गई थी। उन्होंने कहा कि भारत वर्ष में शिवाजी महाराज जैसे चरित्रवान शासक हुए हैं जिन्होंने अपने शत्रु पक्ष की बहू गोहरबानो को भी सम्मानपूर्वक लौटा दिया था और महाराणा जयसिंह ने अपने लोगों के द्वारा औरंगजेब की बेगम गुलजार को लाकर देने पर उसे भी दुर्गादास राठौर के हाथों सुरक्षित औरंगजेब के पास पहुंचा दिया था।
डॉ आर्य ने कहा कि बुंदेलखंड की पवित्र भूमि वीरभूमि है। जिसने देश, धर्म और संस्कृति की रक्षा के लिए अनेक बलिदान दिए हैं। उन्होंने कहा कि इस पवित्र भूमि पर राजा वीर सिंह देव बुंदेला, चंपत राय , रानी सारंधा, छत्रसाल, आल्हा, ऊदल और जैसे अनेक इतिहास पुरुषों ने जन्म लिया है। जिन्होंने समय आने पर अपने बलिदानों से मां भारती की सेवा की है। यह दुर्भाग्य का विषय है कि इन सभी इतिहास पुरुषों को इतिहास में सही स्थान और सम्मान नहीं दिया गया।
डॉक्टर आर्य ने कहा कि भारत के इतिहास में हिंदू राजाओं की एक दीर्घकालिक परंपरा रही है। परंतु उन्हें भी विलुप्त करने का पूरा प्रबंध किया गया है। यदि भारत के आर्य हिंदू राजाओं की परंपरा को आज की युवा पीढ़ी के समक्ष प्रस्तुत किया जाए तो उसके परिणाम राष्ट्रहित में बहुत ही अच्छे आएंगे। हमारे ही देश से कटकर अलग हुए पाकिस्तान और अफगानिस्तान जैसे अनेक देश हैं जिनका मूल हिंदू रहा है, परंतु वे सारे अपने आपको एक ऐसा देश दिखाते हैं जो प्राचीन काल से अलग रहा है। यहां तक कि पाकिस्तान भी अपने आपको सन 1000 ईस्वी में बन गया दिखाता है। इसके बाद के इतिहास को वहां पर ऐसे दिखाया गया है कि जैसे हिंदुओं ने उन्हें गुलाम बना कर रखा था। ऐसे में भारत को अपने गौरवशाली इतिहास और उसकी परंपराओं को बचाएं और बनाए रखने के लिए इतिहास को पूर्णतया समीक्षा करने की आवश्यकता है जिससे आने वाली पीढ़ी सच को समझ सकें।
आर्य ने कहा कि “भारत को समझो” अभियान के अंतर्गत हमें भारत के सामाजिक, राजनीतिक, आर्थिक, धार्मिक और आध्यात्मिक सभी क्षेत्रों में किए गए उत्कृष्ट चिंतन और महान कार्यों की ऋषि परंपरा के साथ-साथ राजाओं की परंपरा को संसार के सामने निसंकोच स्पष्ट करना चाहिए। इसके अतिरिक्त संयुक्त राष्ट्र संघ को इस बात के लिए सहमत करना चाहिए कि भारत के वसुधैव कुटुंबकम और कृण्वंतो विश्वमार्यम् को वह अपना सूत्र वाक्य बनाएं। भारत को भारत के दृष्टिकोण से समझने की आवश्यकता है ना कि विदेशियों के द्वारा लिखी गई धारणाओं के आधार पर इसके बारे में सोचने की आवश्यकता है।
अवसर पर विद्यालय के प्रबंधक महेश झा ने अपने विचार व्यक्त करते हुए सभी आगंतुकों का धन्यवाद ज्ञापित किया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता आर्य समाज के सुप्रसिद्ध विद्वान मुनि पुरुषोत्तम वानप्रस्थ द्वारा की गई। कार्यक्रम में श्रीनिवास आर्य, रविंद्र आर्य और अजय कुमार आर्य ने अपने विचार व्यक्त किए।
कार्यक्रम का सफल संचालन शिक्षक आर्य रतन लखन लाल आर्य द्वारा किया गया । उन्होंने प्रदेश की योगी सरकार से भारत के इतिहास के गौरवपूर्ण पक्ष को प्रकट करते हुए विद्यालय के पाठ्यक्रम में अपने वीर वीरांगनाओं के बारे में विशेष अध्याय लगवाने पर बल दिया।

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