क्या मोदी डालर के विरुद्ध हैं ?

modi-dollar (1)

भारत में छद्दम धर्म-निरपेक्ष मोदी और योगी पर प्रहार करते नहीं थक रहे, विदेशी भारत विरोधियों के हाथों की कठपुतली बन भारतीय जनता को गुमराह कर रहे हैं। लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इन सब पर एक और कुठाराघात करने का मन बना चुके हैं। जिस कारण उन पर मोदी पर छद्दम देशप्रेमी गैंग और जहर उगलेगा। परन्तु जनता को संयम से काम करना होगा। चर्चा है, एंकर सुशांत सिन्हा ने अपने शो न्यूज़ की पाठशाला में बताया कि मोदी दुनिया में डॉलर की दादागिरी को ख़त्म कर भारतीय रूपए का बोलबोला करवाने के लिए प्रयत्नशील हैं। यानि आयात-निर्यात में लेन-देन डॉलर में होने की बजाए दोनों देशों की मुद्रा में ही हो। रिज़र्व फण्ड में डॉलर रखने की बजाए अपने देश की मुद्रा को ही रखा जाए। जिसदिन मोदी अपने इस उद्देश्य में सफल हो गए, डॉलर नीचे गिरना शुरू हो जाएगा।   

केवल हिन्दू ही नहीं बल्कि हर देशप्रेमी को India Today Conclave में एक ऑस्ट्रेलियाई प्रोफेसर की बात पर ठन्डे और खुले दिमाग से विचार करना होगा।(नीचे दिए लिंक पर क्लिक करें) बहुत हो गया हिन्दू-मुसलमान का राजनीतिकरण। धोखे से संविधान में Secular शब्द डालने से Secularism नहीं आता। Secular शब्द के भावार्थ को खुद समझने के साथ-साथ जनता को समझाना होगा। तुष्टिकरण को पाले रखने की बजाए चूल्हे में जलाना होगा। 

कहते हैं, द्वितीय विश्व युद्ध  से पहले ब्रिटिश पौंड का ही बोलबाला था, जिस कारण पौंड की कीमत विश्व में आज भी डॉलर से अधिक है, क्योकि द्वितीय विश्व युद्ध के बाद अमेरिका ने अपनी मनमानी करते हर अंतरराष्ट्रीय लेन-देन में डॉलर को प्राथमिकता  दिए जाने के कारण डॉलर की कीमत अधिक है,(पौंड आज भी डॉलर के मुकाबले महंगा है) लेकिन अमेरिका की इस दादागिरी को ख़त्म करने के लिए इसका श्रीगणेश भी कर दिया है। स्वाभाविक है भारत विरोधी विदेशी ताकतें भारत में रह रहे अपने गुलामों को और अधिक धन देकर मोदी के विरुद्ध जनता को गुमराह कर देश में अराजकता फ़ैलाने में लग जाएंगे। गुजरात दंगा, CAA विरोध, किसान आंदोलन, हिजाब विवाद और नूपुर शर्मा विवाद आदि इनकी सच्चाई को जानना होगा। नूपुर शर्मा की सच्चाई मुस्लिम देशों के सामने आने के बाद हो गए सब चुप। लेकिन ढोंगी गंगा-जमुनी तहजीब का नारे से देश को गुमराह करने वाले कहते हैं देश का नाम डुबो दिया। जबकि सच्चाई यह है कि तोड़मरोड़ प्रस्तुत कर देश को बदनाम कर साबित का दिया, गुलामों को पैसा दो, कुछ भी करवा लो। 

खैर, अब बात करते हैं भारतीय जनता पार्टी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से पहले और अब में कितना अंतर है। अंधभक्त नहीं बनना चाहिए। विरोध करना चाहिए, लेकिन विरोध का आधार होना चाहिए। वर्तमान भाजपा तत्कालीन भारतीय जनसंघ ने कांग्रेस की नेहरू सरकार को शेख अब्दुल्ला द्वारा कश्मीर और शेष भारत के दूसरे प्रधानमंत्री, अनुच्छेद 370 और कश्मीर जाने के लिए परमिट प्रथा समाप्त करने बिना परमिट कश्मीर जाने पर डॉ श्यामा प्रसाद मुख़र्जी को गिरफ्तार को जेल में हत्या करवा दी थी। यदि तत्कालीन जनसंघ नेताओं ने डॉ मुखर्जी को मुद्दा बना आंदोलन कर जवाहर नेहरू और शेख अब्दुल्ला के खिलाफ आंदोलन किया होता, निश्चित रूप से नेहरू सरकार सत्ता से बाहर हो गयी होती। कश्मीर को विशेष दर्जा और अनुच्छेद 370 भी समाप्त हो गया होता। लेकिन मुसलमानों में जहर फैला दिया कि जनसंघ मुसलमानों के विरुद्ध है और यह जहर आज भी मौजूद है। 

देश में दो प्रधानमंत्री और कश्मीर जाने के लिए परमिट लेने की प्रथा समाप्त हो गयी, नासूर बना अनुच्छेद 370 फिर भी रहा। जो अब मोदी राज में समाप्त हुआ।   

जब तक भाजपा वाजपेयी जी की विचारधारा पर चलती रही, वो राम के बताये मार्ग पर चलती रही। मर्यादा, नैतिकता, शुचिता इनके लिए कड़े मापदंड तय किये गये थे। परन्तु कभी भी पूर्ण बहुमत हासिल नहीं कर सकी!

जहाँ करोड़ों रुपये के घोटाले-घपले करने के बाद भी, कांँग्रेस बेशर्मी से अपने लोगों का बचाव करती रही, वहीं पार्टी फण्ड के लिए मात्र एक लाख रुपये ले लेने पर भाजपा ने अपने राष्ट्रीय अध्यक्ष बंगारू लक्षमण  को हटाने में तनिक भी विलंब नहीं किया!

परन्तु चुनावों में नतीजा ?

वही ढाक के तीन पात…

कर्नाटक में येदियुरप्पा पर भ्रष्टाचार के आरोप लगते ही येदियुरप्पा को भाजपा ने निष्कासित करने में कोई विलंब नहीं किया…..

परन्तु चुनावों में नतीजा ?

वही ढाक के तीन पात…

साबरमती ट्रेन में 59 रामभक्तों को जिन्दा जलाए के बाद गुजरात में हुए दंगों की जड़ को दरकिनार कर मोदी को राष्ट्रधर्म का पाठ पढ़ाने वाले अटल बिहारी का क्या हुआ…

चुनावों में नतीजा? 

वही ढाक के तीन पात…

खैर ! फिर होता है नरेन्द्र मोदी  का पदार्पण! मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम के चरण चिन्हों पर चलने वाली भाजपा को वो कर्मयोगी श्री कृष्ण की राह पर ले आते हैं !

श्री कृष्ण अधर्मी को मारने में किसी भी प्रकार की गलती नहीं करते हैं। छल हो तो छल से, कपट हो तो कपट से, अनीति हो तो अनीति से , अधर्मी को नष्ट करना ही उनका ध्येय होता है! मोदी और इनकी पार्टी भी आज वही कहती है कि जो जिस बोली में समझना चाहता है, उसे उसी बोली में समझाया जाएगा। 

इसीलिए वो अर्जुन को केवल कर्म करने की शिक्षा देते हैं! लेकिन कांग्रेस नेता शिवराज पाटिल को भागवत गीता में जेहाद दिखता है। केंद्र में मंत्री भी रह चुके हैं। 

कुल मिलाकर सार यह है कि अभी देश दुश्मनों से घिरा हुआ है, नाना प्रकार के षडयंत्र रचे जा रहे हैं ! इसलिए अभी हम नैतिकता को अपने कंधे पर ढोकर नहीं चल सकते हैं ! 

नैतिकता को रखिये ताक पर, और यदि इस देश को बचाना चाहते हैं, तो सत्ता को अपने पास ही रखना होगा! वो चाहे किसी भी प्रकार से हो – साम, दाम, दंड, भेद – किसी भी प्रकार से!

बिना सत्ता के आप कुछ भी नहीं कर सकते हैं ! इसलिए भाजपा के कार्यकर्ताओं को चाहिए कि कर्ण का अंत करते समय कर्ण के विलापों पर ध्यान ना दें! केवल ये देखें कि अभिमन्यु की हत्या के समय उनकी नैतिकता कहाँ चली गई थी ?

कर्ण के रथ का पहिया जब कीचड़ में धंँस गया, तब भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन से कहा: पार्थ, देख क्या रहे हो ? इसे समाप्त कर दो!

संकट में घिरे कर्ण ने कहा: यह अधर्म है !

भगवान श्री कृष्ण ने कहा: अभिमन्यु को घेर कर मारने वाले, और द्रौपदी को भरी दरबार में वेश्या कहने वाले के मुख से आज अधर्म की बातें शोभा नहीं देती !!

आज राजनीतिक गलियारा जिस तरह से संविधान की बात कर रहा है, तो लग रहा है जैसे हम पुनः महाभारत युग में आ गए हैं !

विश्वास रखो, जिस तरह महाभारत का अर्जुन नहीं चूका था! आज का अर्जुन भी नहीं चूकेगा !

यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारतः!

अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मानम सृजाम्यहम !

चुनावी जंग में अमित शाह जो कुछ भी जीत के लिए पार्टी के लिए कर रहे हैं, वह सब उचित है!

अटल बिहारी वाजपेयी जी  की तरह एक वोट का जुगाड़ न करके आत्मसमर्पण कर देना, क्या एक राजनीतिक चतुराई थी ?

अटलजी ने अपनी व्यक्तिगत नैतिकता के चलते, एक वोट से अपनी सरकार गिरा डाली, और पूरे देश को चोर लुटेरों के हवाले कर दिया !

साम, दाम, दण्ड , भेद ,राजा या क्षत्रिय द्वारा अपनाई जाने वाली नीतियाँ हैं, जिन्हें उपाय-चतुष्टय (चार उपाय) कहते हैं!

राजा को राज्य की व्यवस्था सुचारु रूप से चलाने के लिये सात नीतियाँ वर्णित हैं!

उपाय चतुष्टय के अलावा तीन अन्य हैं – माया, उपेक्षा तथा इन्द्रजाल !!

राजनीतिक गलियारे में ऐसा विपक्ष नहीं है जिसके साथ नैतिक-नैतिक खेल खेला जाए सीधा धोबी पछाड़ आवश्यक है! क्योकि विपक्ष जनहित नहीं असली मुद्दों से भटक अपनी तुष्टिकरण गन्दी सियासत कर रहा है। एक बात और!

Comment: