भारत के लिए बड़ा अवसर है G-20 की अगुवाई , इससे भारत को  दुनिया के सामने अपनी ताकत दिखाने का मौका मिलेगा

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जी 20 देशों का शिखर सम्मेलन अगले साल भारत में होगा। भारत की अध्यक्षता में यह सम्मेलन अगले साल 9 और 10 सितंबर को दिल्ली में आयोजित किया जाएगा।अगले वर्ष होने वाली  इस बैठक का लोगो, थीम और वेबसाइट मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जारी किया। प्रधानमंत्री मोदी ने देश की आजादी की 75वीं वर्षगांठ के अवसर इस आयोजन को देश के लिए एक बहुत बड़ा अवसर बताया और कहा कि यह 130 करोड़ भारतीयों की शक्ति व साम‌र्थ्य का प्रतीक है। प्रधानमंत्री ने आजादी के बाद देश के विकास में सभी सरकारों व लोगों के योगदान को सराहा और कहा कि भविष्य की राह हमें और ज्यादा ऊर्जा के साथ पूरी करनी है। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारत में जी20 की बैठक तब हो रही है, जब पूरी दुनिया में अनिश्चितता व संकट का माहौल है। सदियों में एक बार होने वाली महामारी से दुनिया अभी उबर रही है और कई तरह के संकट व आर्थिक अनिश्चितता भी कायम है। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि यह भारत की जिम्मेदारी है कि वह अपनी हजारों साल की संस्कृति की बौद्धिकता व आधुनिकता से दुनिया को परिचित कराये। भारत की यात्रा हजारों वर्षों की है जिसमें उसने वैभव भी देखा है और सदियों की गुलामी भी देखी है। जी-20 की बैठक एक अवसर है जहां हम भारत की परंपरा व ज्ञान को एक साथ दुनिया को दिखा सकते हैं। उन्होंने यह भी बताया कि इस वर्ष बाली (इंडोनेशिया) में होने वाली G-20 शिखर बैठक में वह हिस्सा लेंगे। भारत को G-20 का नेतृत्व एक दिसंबर, 2022 से मिलेगा।

 

सरकार ने जो थीम को सार्वजनिक किया है उसके केंद्र में खिलते हुए कमल में विश्व को दिखाया गया है। प्रधानमंत्री मोदी ने इसके बारे में कहा कि “यह लोगो मौजूदा विश्व में उम्मीद को दिखाता है। चाहे हालात कितने भी खराब हो, कमल जरूर खिलता है। अभी दुनिया में कई समस्याएं हैं लेकिन हम उन्नति करेंगे और दुनिया को एक बेहतर जगह बनाएंगे। भारतीय संस्कृति में ज्ञान व संपन्नता की देवी कमल पर ही विचरण करती हैं। आज दुनिया को इसी चीज की जरूरत है। यही वजह है कि लोगो में दुनिया को कमल के बीच में दिखाया गया है। प्रधानमंत्री ने कहा कि G-20 के महत्व को इस बात से समझा जा सकता है कि इसमें शामिल 20 देशों की इकोनोमी का कुल आकार वैश्विक इकोनोमी का 85 फीसद है। साथ ही वैश्विक कारोबार का 75 फीसद इन देशों के बीच ही होता है जबकि पूरी दुनिया की 67 फीसद आबादी इन देशों में रहती है। इस साल की बैठक 15-16 नवंबर, 2022 को होने जा रही है, जिसमें प्रधानमंत्री मोदी के अलावा अन्य सदस्य देशों के प्रमुखों के भी हिस्सा लेने की उम्मीद है। जी-20 में अर्जेंटीना, आस्ट्रेलिया, ब्राजील, कनाडा, चीन, फ्रांस, जर्मनी, भारत, इंडोनेशिया, इटली, जापान, दक्षिण कोरिया, मेक्सिको, रूस, सउदी अरब, दक्षिण अफ्रीका, तुर्कीए, ब्रिटेन, अमेरिका व यूरोपीय संघ शामिल हैं।

 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा  है कि वसुधैव कुटुंबकम के मंत्र के जरिए विश्व बंधुत्व की जिस भावना को हम को जीते आए हैं, वो विचार इस लोगो और थीम में भी झलक रहा है। एक साल के दौरान देश के अलग-अलग हिस्सों में जी-20 की करीब 200 बैठकें आयोजित किए जाने का प्लान है। यह मौका  इसलिए  महत्वपूर्ण है कि जी-20 में आप देखे होंगे कि पूरा डेवलपिंग एंड डेवलप्ड वर्ल्ड दोनों तरफ के कंट्रीज हैं। अभी तक डेवलप्ड वर्ल्ड ही पूरी ग्लोबल इकॉनमी को हैंडल करते आई है। 1999 के बाद जब जरूरत महसूस हुआ तो जी-20 नेशंस का एक ग्रुप बना और अभी ठीक 20-22 वर्ष बाद उसकी आवश्यकता और ज्यादा पड़ रही है जब यूक्रेन और रशिया की जो वॉर चली, इस वर्तमान परिप्रेक्ष्य में जी-20 का भारत के पास एक साल के लिए मेजबानी आना, प्रेसिडेंसी सीट आना, यह महत्वपूर्ण रखता है। ‘वसुधैव कुटुंबकम’ की जो विचारधारा है वह भारत पूरे विश्व में लाना चाहती है और इसका प्रयास शुरू से ही रहा है। और वह विश्व में शांति के लिए बहुत ही जरूरी है।वसुधैव कुटुंबकम सिर्फ नारा नहीं है, इसके साथ-साथ भारत की जो अपनी वैचारिक पृष्ठभूमि है ,जो विचार है कई विषयों को लेकर के, जो आर्थिक अर्थ को लेकर के, किस तरह की इकॉनमी वर्ल्ड में होनी चाहिए, गरीब राष्ट्रों को कितनी हिस्सेदारी मिलनी चाहिए, आज जितनी वैश्विक समस्याएं आ रही हैं, जैसे क्लाइमेट चेंज का, इस तरह की बहुत सारी समस्याएं हैं, रिफ्यूजी का प्रॉब्लम है और सारी प्रॉब्लम हैं। तो उन सब चीजों को अगर ध्यान में रखा जाए तो वसुधैव कुटुंबकम सिर्फ एक नारा नहीं है, यह एक दर्शन है जो हमारे इतिहास से, हमारे पूर्वजों ने जो इस दर्शन को दिया है, इसको वैश्विक स्तर पर एक साल के प्रेसिडेंसी सीट पर तो नहीं आएगा निश्चित रूप से, लेकिन अगर किसी विचारधारा को लेकर के जो अभी की जो सरकार है, उस तरह की जो लोगो बनाई है ,आपने लोगो में भी देखा होगा कि कमल का जो निशान है और सारी चीज है उसके लिए प्रधानमंत्री जी ने स्पष्ट रूप से बताया भी है कि कमल क्यूं। और लोगो में जो इस तरह के चित्र है वह क्यों? तो उस हिसाब से मेरा यह मानना है कि विचारधारा ही किसी भी नीति निर्धारण में बहुत बड़ा योगदान करती है। तो उस दृष्टि से बहुत ही महत्वपूर्ण है।

20-जी शिखर सम्मेलन की मेजबानी दुनिया में भारत के बढ़ते रुतबे की निशानी है। वह अपनी धमक से सबका ध्यान खींच रहा है। हाल ही में ब्रिटेन को पीछे छोड़ते हुए उसने दुनिया की पांच सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था में जगह बना ली है। अब वह सिर्फ अमेरिका, चीन, जापान और जर्मनी से पीछे है। भारतीय स्टेट बैंक की रिपोर्ट के मुताबिक, 2029 तक वह दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा। 2027 तक उसके जर्मनी और 2029 तक जापान से आगे निकल जाने का अनुमान है।एक तरफ भारत के सामने जी-20 के लक्ष्यों को हासिल करने की चुनौती होगी, तो दूसरी तरफ रूस-यूक्रेन युद्ध को खत्म कराने के लिए क्या पहल होगी? इस पर सभी की निगाहें प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर टिकी हुई हैं। भारत शुरू  से ही दोनों देशों से बातचीत के जरिये समाधान निकालने की पैरवी करता आया है। जी-20 के मुद्दों में समावेशी, न्यायसंगत और सत्तत विकास, पर्यावरण के लिए जीवन शैली, डिजिटल बुनियादी ढांचे और स्वास्थ्य एवं कृषि से जुड़े विषय शामिल हैं। इनके अलावा खाद्य सुरक्षा, ऊर्जा सुरक्षा, हरित ऊर्जा, वाणिज्य कौशल की पहचान और आर्थिक अपराधों के खिलाफ लड़ाई शामिल है। भारत स्वच्छ ऊर्जा की ओर बहुत ध्यान दे रहा है। भारत उन देशों में है जो बहुत तेज गति से इलैक्ट्रिक वाहनों को अपना रहा है और इस दिशा में निवेश कर रहा है। भारत और फ्रांस के नेतृत्व में 100 से अधिक देशों का गठबंधन भी सक्रिय है। भारत और सऊदी अरब भी स्वच्छ ऊर्जा को लेकर सहयोग कर रहे हैं। आज दुनिया जिस ऊर्जा और पर्यावरण संकट से गुजर रही है, उसकी काट सिर्फ स्वच्छ ऊर्जा ही है। जी-20 के अलावा अगर हम ब्रिक्स की बात करें, तो पांच उभरती अर्थव्यवस्थाओं भारत, रूस, चीन, दक्षिण अफ्रीका और ब्राजील के नेतृत्व वाले इस संगठन ने दुनिया में अपना प्रभाव बहुत तेजी से बढ़ा लिया है। अमेरिका को भी ब्रिक्स से बड़ा झटका लग रहा है। ब्रिक्स के सदस्य देश पश्चिमी ढांचे से अलग आर्थिक और व्यापारिक तंत्र बना रहे हैं। यही कारण है कि ईरान, अर्जेंटीना, मिस्र, सऊदी अरब और नाटो का सदस्य देश तुर्की भी इस समूह में शामिल होने का इच्छुक है। सऊदी अरब और भारत के बीच संबंध मधुर हैं। दोनों देश तेल-गैस के व्यापार के अलावा रणनीतिक भागेदारी और प्रवासी कामगारों को लेकर भी करीब से जुड़े हैं। ऐसे में सऊदी अरब का ब्रिक्स में शामिल होना भारत के हित में होगा। कहते हैं दुनिया झुकती है, झुकाने वाला चाहिए। भारत ने दुनिया को अपना दम दिखा दिया है।उसके लिए क्लीन टेक्नोलॉजी के लिए थर्ड वर्ल्ड कंट्रीज में भारत को  जो इन्फ्रास्ट्रक्चर डिवेलप करने हैं, जैसे एग्जांपल के तहत पर भारत अभी जो सोलर एनर्जी है, उसकी तरह काफी जोर-शोर से इन्वेस्टमेंट कर रहा है। और चाहता है किसी तरीके से जो गरीब मुल्क है उनके पास भी क्लीन एनर्जी का विकास हो। और क्लीन एनर्जी का विकास होगा तो उसके दो फायदे हैं। एक तरफ तो पर्यावरण का संरक्षण हो रहा है, पर्यावरण सस्टेनेबल हो रहा है, दूसरी तरफ हमें एनर्जी भी मिल रही है, जिससे हमारा त्वरित विकास हो थर्ड वर्ल्ड कंट्रीज का। भारत  मुख्य एजेंडा जो है, आर्थिक एवं विकास है। उसके तहत भारत  जो है, जो पर्यावरण को ध्यान में रखना है, ग्लोबल कॉमन्स को ध्यान में रखना है, क्लाइमेट चेंज को ध्यान में रखना है क्योंकि इससे एक लंबे समय के दौरान, भारत  काफी लॉस होगा। उन चीजों को भी ध्यान में रखकर जिस तरह की पॉलिसी बने, जो काम करके G 5 कंट्रीज है उनका जो आर्थिक विकास का जो मॉडल था, वो इन पहलुओं को ध्यान में नहीं रखता था। वह बिल्कुल प्रॉफिट बेस्ड उनकी पॉलिसी होती थी। तो अभी यह जो भारत का प्रयास होगा जो एक साल की प्रेसिडेंसी सीट है तो उसी प्रॉफिट बेस्ड विकास ना हो बल्कि सतत विकास हो, सस्टेनेबल डेवलपमेंट हो, जिसमें जो गरीब राष्ट्र हैं,जो राष्ट्र पेरिफेरी पर हैं उन राष्ट्रों का भी विकास हो। यही मुख्य एजेंडा होगा।

किसी भी देश की जो राजनीतिक समस्याएं हैं उनसे जो  बहुत प्रभावित होता है, वो है  आर्थिक विकास है। हम यह नहीं कह सकते हैं कि जी-20 का जो भी इनके मुद्दे हैं, जो इनके उद्देश्य थे, उस तरफ यह पूर्णतया सफल हो गए हैं। लेकिन कई बार क्या होता है कि एक कदम आगे चलना, फिर उसे आगे बढ़ाना और धीरे-धीरे काफी समय लगता है। G-20 का जो विचार है वह विचार इक्वेटेबल है, उनके विचार जो हैं सात्विक है, सस्टेनेबल डेवलपमेंट की है, और सिर्फ देश के अंदर में नहीं है, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी विचार का बड़ा महत्व है। जैसे विचार रखेंगे, वैसा आप समाज बनाएंगे। इसी तरह वसुधैव कुटुंबकम का जो विचार है, वह लंबे समय में सफलता की ओर जा सकता है। अभी पूर्णतया सफलता जो हम मानकर चल रहे हैं, कि हमें सफलता मिली या नहीं, उस पर अभी नहीं जा सकते। सफलता अभी नहीं मिली है, लेकिन जो विचार उत्तम है, उससे हम सफलता की संभावना भविष्य में देख सकते हैं।तो 1 दिसंबर को भारत को जी-20 की अध्यक्षता मिल जाएगी, जिसके बाद अगले एक साल तक देशभर में कई बैठकें आयोजित की जाएंगी। भारत के लिए यह एक बड़ा अवसर होगा ।।(युवराज )

अशोक भाटिया  

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