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संसार का व्यवस्थापक सर्वशक्तिमान् सत्ता ही ईश्वर –आचार्य योगेश भारद्वाज कुलपति ,आर्ष विद्याकुलम्

महरौनी (ललितपुर)। महर्षि दयानंद सरस्वती योग संस्थान आर्य समाज महरौनी के तत्वावधान में विगत 2 वर्षों से वैदिक धर्म के मर्म को युवा पीढ़ी को परिचित कराने के उद्देश्य से प्रतिदिन मंत्री आर्य रत्न शिक्षक लखन लाल आर्य द्वारा आयोजित आर्यों का महाकुंभ में दिनांक 26 अक्टूबर 2022 बुधवार को “ईश्वर ” विषय पर मुख्य वक्ता आचार्य योगेश भारद्वाज, कुलपति ,आर्ष विद्याकुलम् ने कहा कि ईश्वर अत्यंत विवादास्पद विषय है। संसार में अनेक मत –मतान्तर ईश्वर के नाम पर एकमत नहीं हैं ।कोई ईश्वर को साकार मानता है ।कोई साकार और निराकार दोनों मानता है ।कोई ईश्वर को मानता ही नहीं है। उसकी दृष्टि में यह संसार अपने- आप अणु – परमाणुओं के मिलने से हो जाता है।आज की युवा पीढ़ी भी ईश्वर के नाम पर दिग्भ्रमित है। लेकिन विचार करने पर यह देखने को मिलता है कि संसार की हर कुछ व्यवस्था सुव्यवस्थित है और जहां व्यवस्था है वहां व्यवस्थापक अवश्य होना ही चाहिए ।इस तर्क के आधार पर संसार का व्यवस्थापक सर्वशक्तिमान् ईश्वर है । आचार्य श्री ने अनेक युक्तियों और प्रमाणों से सिद्ध किया कि अवश्यमेव ईश्वर की सत्ता है। ऐसी ईश्वर की सत्ता पर सबको विश्वास करना चाहिए । इसी परिप्रेक्ष्य में महर्षि दयानंद जी महाराज ने आर्य समाज के द्वितीय नियम में ईश्वर के स्वरूप पर प्रकाश डालते हुए लिखा है कि ईश्वर सच्चिदानंद स्वरूप, निराकार ,सर्वशक्तिमान् , न्यायकारी , ,दयालु ,अजन्मा ,अनं त,निर्विकार ,अनादि ,अनुपम ,सर्वाधार ,सर्वेश्वर ,सर्वव्यापक,सर्वां तर्यामी ,अजर ,अमर ,अभय, नित्य ,पवित्र और सृष्टिकर्ता है। उसी की उपासना करनी योग्य है। इस नियम में जो कुछ महर्षि ने कहा है ,वह ईश्वर पर ही घटित होता है ।क्योंकि संसार का रचने वाला ईश्वर निमित्त कारण है, प्रकृति उपादान कारण है और जीवात्मा साधारण कारण है। परमात्मा कुछ भी बिना प्रयोजन से नहीं बनाता । जीवात्माओं के लिए ही तो यह संसार है। और , ईश्वर की रचना बहुत ही बुद्धि पूर्वक और वैज्ञानिक रूप से हुई है ,जिसका कोई भी व्यक्ति खंडन नहीं कर सकता। वेद ,उपनिषद्, दर्शन ,धर्मशास्त्र सभी ईश्वर की इसी व्यवस्था को मानते हैं ।वह ईश्वर अणु से अणुतम और महान् से महत्तम हे। उस ईश्वर से मिलने के लिए योग -साधना की परम आवश्यकता हे,तभी ईश्वरीय सत्ता का आत्मसाक्षात्कार संभव है।
अन्य वक्ताओं में अंतर्राष्ट्रीय वैदिक प्रवक्ता आचार्य आनंद पुरुषार्थी होशंगाबाद, प्रो. डा. व्यास नंदन शास्त्री वैदिक बिहार,
प्रो. डॉ.वेद प्रकाश शर्मा बरेली, डॉ .कपिल देव शर्मा दिल्ली, प्रधान प्रेम सचदेवा दिल्ली, आर्या चंद्रकांता “क्रांति” हरियाणा, युद्धवीर सिंह हरियाणा, भोगी प्रसाद म्यांमार, देवी सिंह आर्य दुबई , भंवर सिंह आर्य दुबई, परमानंद सोनी भोपाल, चंद्रशेखर शर्मा जयपुर, शिक्षिका अनुपमा सिंह , शिक्षिका सुमनलता सेन आर्या, सुरेश कुमार गर्ग गाजियाबाद, अवधेश प्रताप सिंह बैंस, विमलेश कुमार सिंह आदि विश्वभर से सैकड़ों आर्य जन आर्यों का महाकुंभ से जुड़ कर लाभ उठा रहे हैं।
कार्यक्रम में कमला हंस, दया आर्या हरियाणा, ईश्वर देवी, संतोष सचान, अदिति आर्या के सुमधुर भजनों से श्रोतागण झूम उठे।
कार्यक्रम का संचालन मंत्री आर्य रत्ना शिक्षक लखनलाल आर्य तथा प्रधान मुनि पुरुषोत्तम वानप्रस्थ ने सबके प्रति आभार जताया।

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