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भाजपा सहित आगे की राजनीति की दिशा तय करेंगे गुजरात विधानसभा के चुनाव परिणाम


गौतम मोरारज

गुजरात में दो चरणों में होने जा रहे चुनाव में एक खास बात यह है कि 3,24,422 मतदाता इस बार पहली बार मतदान करेंगे। नये वोटरों का रुझान सभी पार्टियों के लिए काफी मायने रखता है इसलिए देखना होगा कि राजनीतिक दल अपने अपने चुनावी घोषणापत्रों में किन वादों का ऐलान करते हैं।

भारतीय निर्वाचन आयोग ने गुजरात विधानसभा चुनावों की तारीखों का ऐलान कर दिया है जिसके साथ ही अब गुजरात में आदर्श चुनाव आचार संहिता लागू हो गयी है। पिछले कुछ समय से गुजरात में जिस तरह तमाम घोषणाओं और राष्ट्रीय, अंतरराष्ट्रीय सम्मेलनों का जो सिलसिला चल रहा था वह अब थम जायेगा। गुजरात में अब सबकी नजर इस पर रहेगी कि क्या वहां लगातार 7वीं बार भाजपा को सरकार बनाने का मौका मिलता है? साथ ही यह भी देखना होगा कि क्या मुफ्त सौगातों के वादे पर ही जनता रीझती है? इस साल की शुरुआत में हुए पांच राज्यों के चुनावों में से चार में जीत हासिल करने के बाद यदि भाजपा गुजरात को भी जीतने में सफल रहती है तो 2023 के चुनावों में विपक्ष के लिए भाजपा के विजय रथ को रोकना मुश्किल हो जायेगा। गुजरात चूंकि प्रधानमंत्री मोदी और गृहमंत्री अमित शाह का गृह राज्य भी है इसलिए यह दोनों नेता चुनाव जीतने में कोई कसर बाकी नहीं रखेंगे लेकिन अंततः परिणाम वही होगा जोकि जनता चाहती है।

गुजरात में दो चरणों में होने जा रहे चुनाव में एक खास बात यह है कि 3,24,422 मतदाता इस बार पहली बार मतदान करेंगे। नये वोटरों का रुझान सभी पार्टियों के लिए काफी मायने रखता है इसलिए देखना होगा कि राजनीतिक दल अपने अपने चुनावी घोषणापत्रों में किन वादों का ऐलान करते हैं। भाजपा की ओर से यहां विकास को बड़ा मुद्दा बनाये जाने की संभावना है साथ ही वह अपनी हिंदुत्ववादी वाली छवि भी चुनाव प्रचार के दौरान और उभार सकती है।

गुजरात राज्य के राजनीतिक इतिहास पर नजर डालें तो गुजरात में पिछले 27 सालों से भाजपा का राज है। भाजपा ने गुजरात में पिछले छह विधानसभा चुनावों में लगातार जीत दर्ज करके रिकॉर्ड बनाया है इसलिए इस बात पर सभी की निगाह है कि क्या सातवीं बार भी जनता भाजपा को मौका देगी। गुजरात में नरेंद्र मोदी के मुख्यमंत्री बनने के बाद भाजपा ने राज्य में विकास की बदौलत अपनी जड़ें बहुत मजबूत कीं लेकिन उनके प्रधानमंत्री बनने के बाद कोई अन्य मुख्यमंत्री यहां खुद ज्यादा प्रभाव नहीं छोड़ सका। यही कारण रहा कि नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद गुजरात में भाजपा ने पहले आनंदीबेन पटेल, फिर विजय रूपाणी और उसके बाद भूपेंद्र पटेल को मुख्यमंत्री बनाया। देखना होगा कि क्या भाजपा भूपेंद्र पटेल को मुख्यमंत्री उम्मीदवार घोषित कर चुनाव लड़ती है या फिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम पर ही पूरा चुनाव लड़ा जाता है।

गुजरात के चुनावी मुकाबले की बात करें तो वैसे तो यहां चुनावी जंग भाजपा और कांग्रेस के बीच ही होती रही है लेकिन इस बार आम आदमी पार्टी यहां तीसरी शक्ति के रूप में उभरी है जिसके चलते चुनावी मुकाबला त्रिकोणीय नजर आ रहा है। गुजरात में चुनावों के ऐलान के साथ ही आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ने ट्वीट कर ऐलान भी कर दिया है कि इस बार हम ही चुनाव जीतेंगे। दिल्ली के बाद पंजाब विधानसभा चुनाव में भी जीत दर्ज करने के बाद दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल अब तक दर्जनों बार वहां का दौरा कर चुके हैं। केजरीवाल के अलावा पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान और दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया भी गुजरात में कई रोड शो कर चुके हैं। कांग्रेस की ओर से अब तक कोई बड़ा नेता यहां प्रचार के लिए नहीं पहुँचा है। पार्टी अध्यक्ष चुनाव के समय जरूर मल्लिकार्जुन खडगे यहां के संक्षिप्त दौरे पर आये थे। राहुल गांधी फिलहाल भारत जोड़ो यात्रा निकाल रहे हैं तो दूसरी ओर प्रियंका गांधी हिमाचल प्रदेश चुनावों में व्यस्त हैं।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भी पिछले कुछ समय से गुजरात और हिमाचल प्रदेश का दौरा करते रहे हैं। पिछले कुछ दिनों में उन्होंने गुजरात में सैंकड़ों करोड़ रुपयों की परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास किया है हालांकि मोरबी में पुल गिरने की घटना में बड़ी संख्या में लोगों की मौत ने भाजपा के प्रति नाराजगी भी पैदा की है। लेकिन भाजपा को उम्मीद है कि चुनावों के दौरान उसे अपने कामों के आधार पर वोट मिलेगा। तारीखों के ऐलान के साथ ही भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने कहा भी है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा भारी बहुमत से गुजरात में पुनः डबल इंजन की सरकार बनाएगी और आगामी 5 वर्षों के लिए जन आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए कटिबद्ध भाव से काम करेगी।

हम आपको बता दें कि 182 सदस्यीय गुजरात विधानसभा का कार्यकाल अगले साल 18 फरवरी को समाप्त हो रहा है। गुजरात में वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने 99 सीटें जीती थीं जबकि कांग्रेस को 77 सीटें मिली थीं। प्रतिशत के लिहाज से देखा जाए तो उस चुनाव में भाजपा को 49.05 प्रतिशत मत मिले थे जबकि कांग्रेस को 42.97 प्रतिशत मत मिले थे। पिछले विधानसभा चुनाव के बाद कांग्रेस के कई विधायक भाजपा में शामिल हो गए। इस वजह से विधानसभा में भाजपा के सदस्यों की संख्या बढ़कर 111 हो गई जबकि कांग्रेस के सदस्यों की संख्या घटकर 62 पर पहुंच गई।

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