हरित ग्रेटर नोएडा में ,रोता है फेफडा*” 💭💨

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आज शाम को ग्रेटर नोएडा के अल्फा -2 सेक्टर की F ब्लॉक की मार्केट गया था… … प्रदूषण🌪️ के कारण आंखों में जलन होने लगी दम घुटने लगा पूरा ग्रेटर नोएडा शहर एकदम गैस चैंबर बन गया है। ग्रेटर नोएडा का प्रदूषण समझ से परे है उत्तर भारत में इतना हरा-भरा🌳🌴🌳 शहर होने के बावजूद भी ग्रेटर नोएडा देश के सबसे प्रदूषित शहरों में प्रथम स्थान रखता है ताजा आंकड़ों के अनुसार। ग्रेटर नोएडा का प्रदूषण किस कारण से जनित है यह विचार करने योग्य है … मेरी विवेचना तो इस प्रकार है ग्रेटर नोएडा में हरित उद्योग कम है प्रदूषण कारक रेड ऑरेंज, कैटेगरी के उद्योग🏭 अधिक है। कासना इंडस्ट्रीयल एरिया सूरजपुर औद्योगिक एरिया उद्योग केंद्र ईकोटेक ग्रेटर नोएडा वेस्ट मिलकर बडे पैमाने पर पोलूशन ट्रायंगल का निर्माण करते हैं जिससे ग्रेटर नोएडा का दम घुट रहा है। अधिकांश उद्योग इन इलाकों में पेंट पाउडर डाई केमिकल से संबंधित है…. जो बड़े पैमाने पर एनवायरनमेंट प्रोटेक्शन एक्ट का उल्लंघन करते हैं…. रही सही कसर बिल्डर निर्माण परियोजनाएं पूरी कर देती है कुछ सरकारी परीयोजना भी इसके लिए जिम्मेदार है। प्रदूषण के लिए जिम्मेदार औद्योगिक संस्थान कानून लागू कराने वाले संस्थानों को मोटा पैसा देकर मैनेज कर लेते हैं……. दिल्ली एनसीआर में लंग्स कैंसर के मरीज तेजी से निकल कर सामने आ रहे हैं पूरे विश्व में तीन लाख से अधिक मौतें फेफड़ों के कैंसर के कारण हुई है इनमें भारत में सर्वाधिक मौत हुई लंग कैंसर का धूम्रपान ही नहीं वायु प्रदूषण भी बड़ा कारण बन रहा है । फेफड़ा सबसे जिम्मेदार संवेदनशील कर्मठ अंग है जो शरीर की अंदरूनी अंगीय तंत्र के साथ-साथ बाहरी दुनिया के सीधे संपर्क में रहता है…. प्रदूषण का सर्वाधिक खामियाजा यही चुकाता है।

और आगे क्या लिखे😤😓💨 ।
आर्य सागर खारी ✍✍✍

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