*”उत्सर्जन और विसर्जन अनिवार्य” पर गोष्ठी संपन्न*
गाजियाबाद,वीरवार 20 अक्टूबर 2022, केन्द्रीय आर्य युवक परिषद के तत्वावधान में “उत्सर्जन और विसर्जन अनिवार्य” विषय पर ऑनलाइन गोष्ठी का आयोजन किया गया।
यह करोना काल में 458 वां वेबीनार था।
मुख्य वक्ता डॉ. सुषमा आर्या आयुर्वेदाचार्या ने कहा कि अच्छे स्वास्थ्य के लिए उत्सर्जन व विसर्जन दोनो ही अनिवार्य हैं। मानसिक दुर्भावनाओं का त्याग विसर्जन कहलाता है और शारीरिक पसीना,कार्बन मल इत्यादि पदार्थों का त्याग उत्सर्जन कहलाता है विसर्जन और उत्सर्जन दीर्घायु प्रदान करते हैं। जबकि आज विसर्जन का अर्थ मूर्तियों का बहाना,अस्थियों का पानी में डालना अथवा जो मूर्ति टूट गई उसको पानी में बहा कर प्रदूषण पैदा करना विसर्जन कहलाता है जो कि अत्यंत चिंताजनक है जिस मूर्ति की दस दिन तक पूजा करते हैं उसे हम पानी में फेंके यह अच्छी बात नहीं है।उत्सर्जन शरीर को शुद्ध रखने में,स्वस्थ रखने में बहुत काम आता है।मनुष्य के बहुत सारे उत्सर्जी अंग हैं जो मल को,दुर्गंध को,गैस को,अतिरिक्त पानी को, मल को बाहर निकालते रहते हैं जैसे त्वचा फेफड़े,बड़ीआंत, लीवर,यूरिन ब्लैडर,किडनी इत्यादि को स्वस्थ रखना बहुत जरूरी है।समय समय पर सही भोजन,सात्विक भोजन,योग प्राणायाम दीर्घायु प्रदान करते हैं इन अंगों को शुद्ध रखना स्वस्थ रखने के लिए दाल चीनी,अर्जुन की छाल,किशमिश लॉन्ग, आंवला,धनिया इत्यादि का पानी टमाटर सूप इत्यादि अत्यंत आवश्यक है और विसर्जन को बनाए रखने के लिए अध्यात्मिक ज्ञान की आवश्यकता है,दान की आवश्यकता है,अपने कार्यों से अपनी कमाई से दान करना,विद्या दान इत्यादि करना यह सब विसर्जन कहलाता है।मार्कशीट उत्सर्जन और विसर्जन दोनों को अनिवार्य बताया है।दीपावली के अवसर पर हम सभी उत्सर्जन और विसर्जन के सही अर्थ को समझें यही इसकी सार्थकता है।
केन्द्रीय आर्य युवक परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष अनिल आर्य ने संचालन करते हुए कहा कि उत्सर्जन के बाद विसर्जन जीवन का स्वाभाविक प्रक्रिया है।
मुख्य अतिथि प्रिंसिपल चंद्र कांता गेरा(कानपुर) व अध्यक्ष चंद्रकांता आर्या (सोनीपत) ने भी बहुत प्रेरणादायक विचार रखे।
राष्ट्रीय मंत्री प्रवीण आर्य ने कहा कि योग द्वारा हम दोनो ही प्रक्रियाओं को सुचारू रख सकते हैं।
गायिका सुदेश आर्या,कमला हंस,दीप्ति सपरा,सुदर्शन चौधरी, कुसुम भंडारी, ईश्वर देवी,जनक अरोड़ा,कौशल्या अरोड़ा,प्रतिभा कटारिया व रविन्द्र गुप्ता आदि के मधुर भजन हुए।