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पर्व – त्यौहार

दीप जलाओ, आरोग्य लाओ!


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सरसों के तेल दीपक की बरनिंग केमिस्ट्री🔥🦠 बेहद आरोग्यप्रद है।

वर्षा के मौसम में वातावरण में आद्रता तापमान के कारण हानिकारक बैक्टीरिया फफूंद जमकर वृद्धि करते हैं।फंगस शब्द कोरोना महामारी के दौरान काफी कुख्यात रहा है। ब्लैक फंगस हवा में जिसके बीजाणु तैरते रहते हैं उसने कमजोर प्रतिरोधक क्षमता वाले हजारो व्यक्तियों की आंख को निशाना बनाया…. फफूंदी की भी सैकड़ों प्रजातियां है कुछ लाभकारी है तो कुछ हानिकारक है।

सत्य सनातन वैदिक संस्कृति का प्रत्येक पर्व अपने आप में वैज्ञानिकता गहन गंभीर उद्देश्य सार्थकता को समाहित किए हुए हैं। वर्षा ऋतु के पश्चात कार्तिक मास की अमावस्या को दीपावली मनाई जाती है। शरद ऋतु में हानिकारक कीटों जीवाणुओं फंगस का आतंक अपने चरम पर रहता है…. घर की दीवारें वस्त्र फर्नीचर सब कुछ उनसे संक्रमित रहता है। सरसों का दीपक जलाकर आप अपने घर घर के आस-पास की फंगस हानिकारक बैक्टीरिया को सामूहिक तौर पर खत्म कर सकते हैं….। सरसों के तेल में विशेष फफूंदी बैक्टीरिया नाशक’ एलाइल आइसोथायोसाइनेट’ नामक रसायन होता है… इसी रसायन के कारण सरसों वर्ग की जितनी भी सब्जियां है चाहे सरसों हो मूली हो ब्रोकली हो चुकंदर हो उनमें विशेष तीखापन दाहयुक्त प्रभाव आता है।

नेचर पत्रिका में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एशेरिकिया कोलाए बैक्टीरिया को लेकर बहुत ही महत्वपूर्ण एक शोध प्रकाशित हुआ था…. यह बैक्टीरिया मानव आतं को संक्रमित कर व्यक्ति को मृत्यु शैया तक पहुंचा देता है। भोजन विषाक्तता के लिए भी यही जिम्मेदार है। विज्ञान जनरल नेचर शोध में यह सिद्ध हुआ सरसों के तेल में पाए जाने वाले प्राकृतिक रसायन एलाइल आइथोसाइनेट पलक झपकते ही इस बैक्टीरिया इसकी कॉलोनी को खत्म करता है। सरसों के तेल की मालिश इसी कारण की जाती है। यह रसायन मुख की दुर्गंध के लिए जिम्मेदार दांतों मसूड़ों की क्षति के लिए जिम्मेदार बैक्टीरिया को भी नष्ट करता है यही कारण है मंजन में हमारे बुजुर्ग सरसों का तेल मिलाते थे। सरसों के तेल में पाए जाने वाला यह रंगहीन तेल रसायन एलाइल आइथोसाइनेट एटीजी 5 प्रोटीन को कार्य करने के लिए उत्प्रेरित करता है। इसी प्रोटीन के कारण कान की गंदगी बैक्टीरिया वायरस कुदरती तौर पर नष्ट होते रहते हैं…. कान में जब सरसों का तेल डालते हैं तो यह प्रोटीन अधिक सक्रिय हो जाती है बहरापन (हियरिंग लॉस) की प्रक्रिया रुक जाती है।

हमारे पूर्वजों का साइंटिफिक टेंपरामेंट गजब का था। सरसों की तेल के दीपक को जब जलाया जाता है तो हवा में एलाइल आइसोथायोसाइनेट रसायन की धूम्र 🗯 बनती है जो वातावरण में मौजूद ऐसे असंख्य बैक्टीरिया फफूंद को नष्ट करती है।

दीपावली की पूर्व संध्या पर या दीपावली के दिन आप हवन दीप प्रज्वलन की स्वस्थ वैज्ञानिक परंपरा का लाभ उठा सकते हैं संभव हो सके तो वातावरण को आलोकित सुरभित हानिकारक कीटों से मुक्त करने के लिए आप हवन सामग्री मे देसी पीली या काली सरसों मिलाकर हवन कर सकते हैं… देसी सरसों के तेल के दीपक तो अवश्यमेव प्रज्वलित करें । घर को सजाने के लिए इलेक्ट्रिक लडी इलेक्ट्रिक दीपक का प्रयोग ना करें इससे आपके मानसिक अहम की संतुष्टि तो हो सकती है लेकिन इसका वातावरण जीव धारियों के आरोग्य कुशल मंगल से कोई संबंध नहीं है। ‘सर्वे भवंतु सुखिनः सर्वे संतु निरामया’ का वैचारिक दर्शन क्रियात्मक फलीभूत तो केवल हवन दीप प्रज्वलन से ही हो सकता है।

आर्य सागर खारी ✍✍✍

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