महरौनी (ललितपुर)। महर्षि दयानंद सरस्वती योग संस्थान आर्य समाज महरौनी के तत्वावधान में विगत 2 वर्षों से वैदिक धर्म के मर्म से युवा पीढ़ी को परिचित कराने के उद्देश्य से प्रतिदिन मंत्री आर्य रत्न लखन लाल आर्य द्वारा आयोजित आर्यों का महाकुंभ में दिनांक 17 अक्टूबर 2022 दिन सोमवार को “”आर्यों का आदि देश “”विषय पर मुख्य वक्ता आचार्य सुधांशु जी गुरुकुल खेड़ा खुर्द दिल्ली ने कहा कि आर्य परमात्मा की सृष्टि का वह पवित्र और मानवीय गुणों से ओत: प्रोत नर- नारी हैं जो सृष्टि के आदिकाल में लगभग पौने दो अरब वर्ष पहले मानव सृष्टि में प्रथम उत्पन्न हुए । साथ ही साथ परमात्मा ने आर्य लोगों के लिए ही यह भूमि दी। ऋग्वेद में आया भी है–“”इमं भूमम् अददाम् आर्याय । लेकिन दुर्भाग्य है महाभारत काल के पश्चात् लोगों ने इसे समझा नहीं और इतिहासकारों ने द्रविड़, आदिवासी और मंगोलिया को यहां का मूल निवासी माना। लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक ने गीता रहस्य में इन बातों की पुष्टि की ।इन लोगों की मान्यता रही कि आर्यन रेस है और आर्य बाहर से आए ,आर्य मद्धेशिया से आए ऐसी मान्यता लोगों के बीच प्रचारित कर दी गई।
आचार्य जी ने स्पष्ट कहा कि आर्य जाति वाचक शब्द नहीं बल्कि गुणवाचक है।व्याकरण की दृष्टि से “ऋ गतौ “धातु से ण्यत् प्रत्यय करने पर आर्य शब्द सिद्ध होता है जिसका अर्थ “श्रेष्ठ “है। और जो श्रेष्ठ नहीं है वह अनाड़ी है उसे ही लोक भाषा में अनाड़ी कहते हैं। इस विषय पर कई प्रमाणों द्वारा सिद्ध हुआ कि आर्य भारत के मूल निवासी हैं।
इसके अतिरिक्त आचार्य जी ने बौद्धों ने द्वारा हिंदुओं को बौद्ध धर्म स्वीकार कराने और राम – कृष्ण आदि महापुरुषों एवं देवी देवताओं को पूजा न करने की प्रतिज्ञा दी ,जो अत्यंत दु:खद है। आर्य समाज को इस की ओर आगे आना चाहिए।परिवर्तित करते हुए बड़ी हानि पहुंचाई है। महात्मा बुद्ध आर्य थे लेकिन वेदों के ज्ञान के अभाव में वेदों और ईश्वर को नहीं माना। लेकिन उनके विचार वेद अनुसार ही थे ।अहिंसा को स्वीकार किया था। राहुल सांकृत्यायन और बाबा साहब भीमराव अंबेडकर , जो पहले आर्य समाजी थे ,ने अंत में बौद्ध धर्म को स्वीकार किया जबकि वे कहते हैं कि हम हिंदू हैं, लेकिन दुर्भाग्य है आज के पढ़े लिखे दलित वर्ग अपने को हिंदू नहीं मानते उन्हें बाबासाहेब आंबेडकर के ग्रंथ को देखना चाहिए उनकी भ्रांति मिट जाएगी।
अन्य वक्ताओं में प्रसिद्ध वैदिक विद्वान अफसर डॉ व्यास नंदन शास्त्री वैदिक बिहार ने कहा कि आर्यावर्त देश आर्यों से गिरे हुए क्षेत्र को ही कहा गया है ।आर्य परमात्मा के पुत्र हैं और परमात्मा की सृष्टि श्रेष्ठ अर्थात् आर्य है यहां के मूल निवासी आर्य हैं। आर्यावर्त देश भारत का प्रथम नाम है। मोहनजोदड़ो एवं हड़प्पा की संस्कृति से पूर्व वैदिक संस्कृति थी जिसका प्रमाण वहां की मुद्राओं और शिलालेखों से प्राप्त हो चुका है। इसी क्रम में प्रोफेसर डॉ वेद प्रकाश शर्मा बरेली ,प्रधान प्रेम सचदेवा दिल्ली ,अनिल कुमार नरूला दिल्ली ,युद्धवीर सिंह हरियाणा, आर्य चंद्रकांता क्रांति, प्रसाद म्यानमार ,देवी सिंह आर्य दुबई, सुरेश प्रसाद गर्ग गाजियाबाद, सुशील कुमार बिहार, चंद्र शेखर शर्मा, सुमनलता सेन शिक्षिका, आराधना सिंह शिक्षिका ,विमलेश कुमार सिंह सहित विश्व भर से सैकड़ों आर्य जन आर्य महाकुंभ से जुड रहें हैं।
कार्यक्रम में कमला हंस, दया आर्या हरियाणा ,संतोष सचान, ईश्वर देवी ,अदिति आर्या के सु मधुर भजनों से श्रोतागण झूम उठे।
कार्यक्रम का संचालन मंत्री आर्य रत्न शिक्षक लखन लाल आर्य तथा प्रधान मुनि पुरुषोत्तम वानप्रस्थ ने सब के प्रति आभार जताया।
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