Categories
उगता भारत न्यूज़

व्रतों का यथार्थ स्वरूप जानकर पालन करना जीवन की सार्थकता : आचार्य गौतम गौड़ जी, गुरुकुल टाटेसर

महरौनी (ललितपुर)। महर्षि दयानंद सरस्वती योग संस्थान आर्य समाज महरौनी के तत्वावधान में निरंतर विगत 2 वर्षों से वैदिक धर्म के मर्म से युवा पीढ़ी को परिचित कराने के उद्देश्य से प्रतिदिन मंत्री आर्य रत्न शिक्षक लखन लाल आर्य द्वारा आयोजित आर्यों का महाकुंभ में दिनांक 14 अक्टूबर ,2022 शुक्रवार को “व्रतों का यथार्थ स्वरूप” (नवरात्रादि के परिप्रेक्ष्य में) मुख्य वक्ता आचार्य गौतम गौड़ जी गुरुकुल टाटेसर ने कहा कि व्रत जीवन के लिए अनिवार्य है ।व्रत का अर्थ संकल्प होता है ।व्रतों के बिना जीवन अनुशासित नहीं रहता इसलिए व्रतों को जीवन में अच्छी प्रकार समझ कर पालन करना चाहिए ।व्रतों का यथार्थ स्वरूप जाने बिना व्रत करना सार्थक नहीं होता, मनुष्य को व्रतों के यथार्थ स्वरूप को जानना प्रथम प्रयास होना चाहिए। विशेषकर नवरात्रि वर्ष में लोग दो बार करते हैं। पहली बार चैत्रऔर वैशाख मास में नवरात्र करते हैं और दूसरी बात शारदीय नवरात्र के रूप में आश्विन मास में करते हैं ।दोनों जगह नवरात्र का प्रसंग आया है नवरात्र के संदर्भ में ‘नवानां रात्रीणाम् समाहार: ‘नौ रात्रियों का समाहारा है ऐसा विग्रह करके नवरात्र शब्द सिद्ध होता है अर्थात् यह नवरात्रि जीवन को व्रतों से जोड़कर लोग देख रहे हैं ,इसमें लोग कम भोजन लेते हैं फल दूध का सेवन करते हैं ताकि मन संयमित और शरीर हल्का रहे। आगे आचार्य गौड़ ने बताया कि “लंघनं परयौषधम् “अर्थात् उपवास परम औषधि है इसको लेकर ही लोगों ने व्रतों मेंं उपवास को महत्व दिया ।वस्तुतः निराहार रहकर अथवा लवण में सेंधा नमक का प्रयोग कर भोजन करने से जीवन में शालीनता और मन संयमित होता है।
कार्यक्रम में अन्य वक्ताओं में प्रोफेसर डॉ. व्यास नन्दन शास्त्री वैदिक बिहार ने कहा कि वेदों में व्रत की महत्ता आई है और वहां उपनयन संस्कार के समय 5 मंत्रों से व्रत पूर्ति के लिए आहुति देने का विधान आया है ।यहां व्रत- पति परमात्मा है और व्रत शुभ संकल्प का नाम है व्रत जीवन में असत्य से सत्य की ओर जाने का मार्ग प्रशस्त करता है ।इसके लिए अग्नि,वायु ,सूर्य ,चंद्र व्रतों के पति परमात्मा से प्रार्थना आई है। यही व्रतों का यथार्थ स्वरूप है।ये व्रत मनुष्य को लाभ पहुंचाने वाले हैं।
इसी क्रम में युद्धवीर सिंह हरियाणा, प्रधान प्रेम सचदेवा दिल्ली ने भी अपने विचार रखे। इसके अतिरिक्त प्रोफेसर डॉ .वेद प्रकाश शर्मा बरेली ,अनिल कुमार नरूला दिल्ली ,माता आर्या चंद्रकांता “क्रांति,” हरियाणा , भोगी प्रसाद म्यांमार ,सुरेश कुमार गर्ग गाजियाबाद ,चंद्रशेखर शर्मा , सुमनलता सेन शिक्षिका, आराधना सिंह शिक्षिका ,अवधेश प्रताप सिंह बैस ,विमलेश कुमार सिंह सहित विश्व भर से सैकड़ों आर्य जन आर्य महाकुंभ से जुड़कर लाभ उठा रहे हैं।कार्यक्रम का प्रारंभ बालक
वेदयश के मंत्र पाठ और अंत बालक श्रेयांश शर्मा के शान्तिपाठ व वैदिक उद्घोष से हुआ करता है।
कार्यक्रम में कमला हंस, दया आर्या हरियाणा ,ईश्वर देवी , संतोष सचान अदिति आर्या
ने गीत एवं भजनों की प्रस्तुति से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया।
कार्यक्रम का संचालन मंत्री आर्य रत्न शिक्षक लखन लाल आर्य तथा प्रधान मुनि पुरुषोत्तम वानप्रस्थ ने सब के प्रति आभार जताया।

Comment:Cancel reply

Exit mobile version