वेदानुसार छ: शत्रुओं का दमन कर मानव जीवन को सफल बनावें :: आचार्य धनंजय जोशी , चेन्नई

IMG-20221018-WA0019

महरौनी (ललितपुर) महर्षि दयानंद सरस्वती योग संस्थान आर्य समाज महरौनी के तत्वावधान में अनवरत विगत 2 वर्षों से वैदिक धर्म के मर्म को युवा पीढ़ी से परिचित कराने के उद्देश्य से प्रतिदिन मंत्री आर्य रत्न शिक्षक लखन लाल आर्य द्वारा आयोजित आर्यों का महाकुंभ में 16 अक्टूबर रविवार को मुख्य वक्ता आचार्य धनंजय जोशी ,चेन्नई ने कहा कि वेदों में मनुष्यों के कल्याण के लिए परमात्मा ने मानवों के अंतः करण में विराजमान होने वाले छ: शत्रुओं को दमन करने की बात कही है। छै: शत्रुओं से संबंधित मंत्र इस प्रकार है: उलूकयातुं शुशुलुकयातुं जहि श्वयातुमुत कोकयातुम्। सुपर्ण यातुमुत गृथ्रयातूं दृशदेव प्रमृण रक्ष इन्द्र । यह मंत्र ऋग्वेद और अथर्ववेद में आया है। मंत्र मैं पशु पक्षियों के माध्यम से उपदेश दिया गया है। यहां जीव परमात्मा से प्रार्थना करता है कि हे ईश्वर ! उल्लू की चाल को नष्ट करो । उल्लू यहां मुंह का प्रतीक है। मुंह से आवृत होकर मनुष्य असत्य में सत्य और सत्य में असत्य को देखता है जिसके कारण उसे महान हानि होती है गीता में भी मोह नष्ट करने की प्रार्थना आई है। जैसे उल्लू को प्रकाश में दिखाई नहीं पड़ता। इसमें प्रकाश की क्या गलती है। तत्पश्चात् भेड़िए की चाल को नष्ट करने की बात आई है यहां भेड़िया क्रोध का प्रतीक है। क्रोध मानव का बहुत बड़ा शत्रु है जिसके कारण मनुष्य की बुद्धि मारी जाती है ।मंत्र में कुत्ते की चाल को नष्ट करने की बात आई है ।कुत्ता यहां ईर्ष्या का प्रतीक है।कुत्ते में चाटुकारिता और जाति द्रोह का भयंकर दुर्गुण है,जो मनुष्य के लिए अत्यंत घातक है ईर्ष्या मनुष्य को खोखला कर देती है और उसके विकास में अत्यंत बाधक होता है। चिड़ा की चाल को भी नष्ट करने की बात आई है,कारण चिड़ा अत्यंत कामी पक्षी होता है मनुष्य के अंदर कामवासना उसे पतन के गर्त में पहुंचा देती है। मनुष्य को इससे बचना चाहिए। आगे मंत्र में गरुड़ की चाल से अलग होने की बात कही गई है क्योंकि यहां गरुड़ अहंकार का प्रतीक है गरुड़ के पंख बड़े सुंदर होते हैं इसलिए उसे बड़ा अभिमान होता है मनुष्य को यही अभिमान पतन के गर्त में ले जाती है। इसके आगे गिद्ध की चाल से छूटने की बात आई है यहां गिद्ध लोभ का प्रतीक है। लोभ पाप का कारण है इसलिए मनुष्य के लिए अत्यंत घातक है।इस मंत्र के द्वारा अंत में इन शत्रुओं को पत्थर की तरह चूर्ण कर नष्ट करने की बात आई है मंत्र के अर्थ को बताने में वक्ता महोदय ने अनेक ऐतिहासिक, रोचक तथ्यों एवं कहानियां के उदाहरण से श्रोताओं को लाभान्वित किया। कार्यक्रम में अन्य वक्ताओं में डॉ कपिल देव शर्मा दिल्ली, डॉक्टर अखिलेश शर्मा जलगांव महाराष्ट्र, प्रोफेसर डॉ व्यास नंदन शास्त्री बिहार,प्रो.डॉ वेद प्रकाश शर्मा बरेली, अनिल कुमार नरूला, माता आर्या चद्रकांता “क्रांति”हरियाणा, भोगी प्रसाद म्यांमार, प्रधान प्रेम सचदेवा दिल्ली, युद्धवीर सिंह, चन्द्रशेखर शर्मा, देवी कुमार आर्य दुबई, सुमन लता सेन शिक्षिका, आराधना सिंह शिक्षिका, अवधेश प्रताप सिंह बैंस,अवध बिहारी तिवारी,सहित विश्व भर से सैकड़ों आर्य जनआर्यों का महाकुंभ से जुड़कर लाभ उठा रहे हैं।
कार्यक्रम का प्रारंभ बालक वेदयश के मंत्र पाठ से हुआ। तत्पश्चात् कमला हंस, ईश्वर देवी, दया आर्या, आदिति आर्या संतोष सचान आदि ने भजनों की प्रस्तुति देकर श्रोताओं को मंत्रमुग्ध किया।
कार्यक्रम का संचालन मंत्री आर्य रत्न शिक्षक लखनलाल आर्य तथा प्रधान मुनि पुरुषोत्तम वानप्रस्थ ने सब के प्रति आभार जताया।

Comment: