वैदिक सृष्टि विज्ञान और वेदोत्पत्ति -काल सबसे प्राचीन और मानवमात्र के लिए स्मरणीय ::प्रो. डॉ. व्यास नंदन शास्त्री वैदिक, बिहार

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महरौनी (ललितपुर)। महर्षि दयानंद सरस्वती योग संस्थान आर्य समाज महरौनी के तत्वावधान में विगत 2 वर्षों से अनवरत वैदिक धर्म के मर्म से युवा पीढ़ी को परिचित कराने के उद्देश्य से प्रतिदिन मंत्री आर्य रत्न शिक्षक लखन लाल आर्य द्वारा आयोजित आर्यों का महाकुंभ में दिनांक 15 अक्टूबर 2022 शनिवार को “”वैदिक सृष्टि विज्ञान और वेदोत्पत्ति””विषय पर मुख्य वक्ता सुप्रसिद्ध वैदिक विद्वान् व आर्य प्रतिनिधि सभा बिहार के मंत्री प्रोफेसर डॉ व्यास नंदन शास्त्री वैदिक ने कहा कि सृष्टि में तीन अनादि तत्व है – ईश्वर ,जीव एवं प्रकृति। सृष्टि रचना में ईश्वर निमित्त कारण ,जीव साधारण कारण और प्रकृति उपादान कारण है। सृष्टि उत्पत्ति में ईश्वर सर्वोपरि सत्ता है। ईश्वर ही सृष्टि को रचता ,पालनकर्ता और संहार कर्ता है । सृष्टि- विषय की चर्चा ऋग्वेद (10/129 )के नासदीय सूक्त के सात मंत्रों में, यजुर्वेदीय 31वां अध्याय पुरुष सूक्त एवं अघमर्षण मन्त्रों में विशेष रूप से वर्णित है कि ऋत और सत्य के साथ परमेश्वर द्वारा अत्यंत पुरुषार्थ से महा समुद्र ,समुद्र, वर्ष सूर्य ,चंद्र ,दिन,रात,नक्षत्र ,पृथ्वी अंतरिक्ष एवं द्यु लोक को रचना पूर्व सृष्टि अनुसार की गयी। डॉक्टर शास्त्री ने वेद ,उपनिषद्, दर्शन ग्रंथों के आधार पर सप्रमाण सृष्टि विषय को विस्तार से वर्णित किया और कहा कि प्रारंभ में सृष्टि सर्वथा पूर्ण , युवा सृष्टि, अमैथुनी सृष्टि होती है। इसके अतिरिक्त क्रमिक सृष्टि के रूप में आकाश, आकाश से वायु वायु से अग्नि ,अग्नि से जल, जल से पृथ्वी ,पृथ्वी से औषधियां, औषधियों से अन्न,अन्य से वीर्य, वीर्य से पुरुष सहित पशु- पक्षियों और अंत में मनुष्य की सृष्टि श्रेष्ठरूप से हुई ।
मनुष्य की सृष्टि के पश्चात् परमेश्वर ने मनुष्य मात्र के लिए अपनी कल्याणी वाणी वेद की उत्पत्ति की और सृष्टि यज्ञ के द्वारा चारों वेद उत्पन्न हुए। अग्नि, वायु ,आदित्य ,अंगिरा ऋषियों के हृदय मंदिर में परमेश्वर ने चारों वेदों को प्रकाशित किया तत्पश्चात् ब्रह्मा से लेकर जैमिनी पर्यंत तक वेद श्रुति रूप में और बाद में लिखित रूप में आया ।महर्षि दयानंद सरस्वती ने सत्यार्थ प्रकाश के अष्टम समुल्लास और ऋग्वेदादिभाष्य भूमिका में सृष्टि- उत्पत्ति और वेद -उत्पत्ति विषय को विस्तार से वर्णन किया है। उन्होंने दोनों का काल समान माना है,जो अत्यन्त वैज्ञानिक है ।सृष्टि-संवत्और वेदोत्पत्ति का काल सम्प्रति एक अरब, छियानबे करोड़,आठ लाख,तिरपन हजार , एक सौ, तेईस वर्ष हो रहे हैं।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि प्रसिद्ध इतिहास विशेषज्ञ और 65 पुस्तकों के लेखक डॉक्टर राकेश कुमार आर्य ने कहा कि आज सारी दुनिया के लोग हमारी सृष्टि संवत् को सबसे पुराना मान रहे हैं और नासा के वैज्ञानिक इस सृष्टि के सूर्य व पृथ्वी के बने लगभग दो अरब पुराना मानते हैं और दो ढाई अरब बीतने को बाकी है ।नि: हमारी 4 अरब 32 करोड,वर्ष की सृष्टि सिद्ध हो रही है।
कार्यक्रम में प्रोफेसर डॉ वेद प्रकाश शर्मा बरेली, अनिल कुमार नरूला दिल्ली, प्रधान प्रेम सचदेवा दिल्ली, माता आर्या चंद्रकांता “क्रांति”हरियाणा, सुरेश कुमार गर्ग, गाजियाबाद, भोगी प्रसाद म्यांमार, चंद्रशेखर शर्मा,, संतोष सचान, युद्धवीर सिंह, आराधना सिंह शिक्षिका, सुमनलता सेन शिक्षिका, अवधेश प्रताप सिंह बैस, परमानंद सोनी भोपाल,सहित विश्वभर से सैकड़ों लोग आर्य महाकुंभ का लाभ उठा रहे हैं।
कार्यक्रम का प्रारंभ बालक वेदयश के वेद पाठ से हुआ। तत्पश्चात् कमला हंस, दया आर्या, ईश्वर देवी, अदिति आर्या के सु मधुर भजनों की प्रस्तुति से श्रोता गण झूम उठे।
कार्यक्रम का संचालन मंत्री आर्य रत्न शिक्षक लखनलाल आर्य तथा प्रधान मुनि पुरुषोत्तम वानप्रस्थ ने सब के प्रति आभार जताया।

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