गुजरात विधानसभा चुनाव : किसकी बन रही है सरकार ?

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गुजरात में इस साल के अंत तक विधानसभा चुनाव होने की उम्मीद है। ऐसे में हम सब के लिए यह कोतवाल और जिज्ञासा का विषय बन रहा है कि क्या इस बार भी इस प्रदेश में भाजपा निरंतर अपनी सरकार बनाने में सफल होगी या फिर उसका स्थान आप या कांग्रेस लेने जा रही है ? इस प्रदेश के जागरूक मतदाताओं ने हमेशा अपना जनादेश देने में किसी प्रकार की लापरवाही नहीं बरती है। राष्ट्रवाद जैसे मुद्दों को लेकर यहां पर मतदाता पिछले कई विधानसभा चुनावों से भाजपा को निरंतर समर्थन देते रहे हैं। पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा ने जैसे तैसे ही सरकार बनाई थी । इसलिए भाजपा के विरोधियों को उम्मीद है कि इस बार यहां भाजपा को परास्त करने में वे सफल होंगे। यद्यपि भाजपा का हारना इतना आसान नहीं है। क्योंकि गुजरात के वर्तमान मुख्यमंत्री ने भाजपा की स्थिति को बहुत हद तक संभालने में सफलता प्राप्त की है। प्रधानमंत्री मोदी का गृह प्रांत होने के कारण भी लोग इस प्रदेश में भाजपा को ही जीता हुआ देखना चाहेंगे।
हम यह भी स्पष्ट करना चाहेंगे कि गुजरात जैसे सीमावर्ती प्रांत में किसी भी ऐसे दल का सत्ता में आना न केवल प्रांत के लोगों के लिए बल्कि देश के लिए भी घातक होगा जो आतंकवादियों को या राष्ट्र विरोधी शक्तियों को अपना प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष समर्थन देते हैं। इस दृष्टिकोण से गुजरात विधानसभा का इस बार का चुनाव भी बहुत महत्वपूर्ण रहेगा। प्रधानमंत्री का गृह प्रांत होने के कारण पीएफआई जैसी देश विरोधी शक्तियां यहां भी लोगों को भड़काने का काम करती रही हैं। इसलिए गुजरात के जागरूक मतदाताओं से अपेक्षा की जाती है कि वह सोच समझ कर अपना निर्णय देंगे।
इस बार के विधानसभा चुनावों में गुजरात में आम आदमी पार्टी, बीजेपी और कांग्रेस आमने सामने है। गुजरात में होने वाले विधानसभा चुनाव में इस बार त्रिकोणीय मुकाबला देखने को मिल सकता है। अभी तक चुनाव पूर्व विश्लेषण और चुनाव पूर्व चल रहे सर्वेक्षणों से तो यही तथ्य निकलकर सामने आ रहा है।
कॉन्ग्रेस की दोगली विचारधारा को लोग नापसंद कर रहे हैं पर यह एक आश्चर्यजनक तथ्य है कि लोग कॉन्ग्रेस के स्थान पर अपना समर्थन नौटंकीवाल केजरीवाल की आम आदमी पार्टी को देते दिखाई दे रहे हैं।
C-Voter ने गुजरात में एबीपी न्यूज़ के लिए ओपिनियन पोल किया है। C-Voter ने गुजरात की सभी विधानसभा सीटों पर सर्वे किया है। इस सर्वेक्षण से जहां भाजपा का सत्ता में आना फिर तय माना जा रहा है वहीं यह भी एक तथ्य है कि उसके बाद दूसरे नंबर पर नौटंकीवाल केजरीवाल की पार्टी आती हुई दिखाई दे रही है। लोग ऐसा क्यों सोच रहे हैं? यह प्रश्न निश्चित रूप से इस समय प्रासंगिक है। क्या लोगों को भाजपा का राष्ट्रवाद पसंद नहीं है या फिर दोगली विचारधारा लोगों को पसंद आ रही है।
गुजरात में C-Voter द्वारा किये गए ओपिनियन पोल के अनुसार, गुजराज में एक बार फिर बीजेपी का पलड़ा भारी है। सामने आये C-Voter सर्वे के आंकड़ों के मुताबिक गुजरात में एक बार बीजेपी की सरकार बन सकती है।आंकड़ों के अनुसार गुजरात में 63 फीसदी लोग ऐसे हैं जो ये मानते हैं कि गुजरात विधानसभा चुनाव में बीजेपी जीत सकती है। 9 फीसदी ऐसे लोग हैं जो ये मानते हैं कि इस बार होने वाले विधानसभा चुनाव 2022 में कांग्रेस जीत सकती है, बाकि 19 फीसदी लोगों को मानना है कि गुजरात में आम आदमी पार्टी जीत सकती है।
गुजरात विधानसभा चुनाव के लिए पार्टी के सीटों को लेकर भी लोगों ने अपनी राय को सांझा किया है।
गुजरात के पहले ओपिनियन पोल में बीजेपी के खाते में 135-143 सीटें आने की संभावना है। कांग्रेस के खाते में 36-44, आप के खाते में 0-2 सीटें और अन्य के खाते में 0-3 सीटें आ सकती है। गुजरात के इस ओपिनियन पोल में आंकड़ों के अनुसार बीजेपी को बंपर बढ़त मिल सकती है और गुजरात विधानसभा चुनाव में इस बार बीजेपी खुद अपना पुराना रिकॉर्ड तोड़ सकती है। इन आंकड़ों से यह स्पष्ट है कि आम आदमी पार्टी को इस बार जन समर्थन कांग्रेस से अधिक मिलेगा यद्यपि उसकी सीटें कम ही रहेंगी।
देश के सांस्कृतिक राष्ट्रवाद को मजबूत कर वैदिक संस्कृति के प्रति संकल्पित पार्टियों को समर्थन दिया जाना आवश्यक है। यह हम किसी भी पार्टी विशेष के लिए संकेत नहीं कर रहे हैं, बल्कि हम हर उस राजनीतिक दल की ओर संकेत कर रहे हैं जो वैदिक राष्ट्रवाद में विश्वास रखता है। वैदिक राष्ट्रवाद से ही भारत का सांस्कृतिक राष्ट्रवाद समृद्ध हुआ है। यह सांस्कृतिक राष्ट्रवाद वही राष्ट्रवाद है जो प्रत्येक व्यक्ति के मौलिक अधिकारों का समर्थन करता है । यद्यपि वह किसी भी व्यक्ति को राष्ट्र के विरोध में खड़ा होने से मजबूती से रोकता है। देश विरोधी शक्तियों का पूर्णतया दमन करना जो राजनीतिक दल अपना उद्देश्य घोषित करे और किसी भी समुदाय के तुष्टीकरण को राष्ट्रीय अपराध घोषित करे, उस दल को लोगों का समर्थन मिलना चाहिए । भारतीय वैदिक शिक्षा पद्धति अपनाकर वैदिक मूल्यों के अनुसार भारत निर्माण के लिए संकल्पित राजनीतिक दलों को भी लोगों की ओर से अपना समर्थन दिया जाना चाहिए। जिस दिन भारत इस प्रकार की स्पष्टतावादी नीतियों को अपना लेगा और यहां का मतदाता जागरूक होकर ऐसी पार्टियों का समर्थन करना आरंभ कर देगा, उस दिन देश से देश विरोधी शक्तियों का सफाया अपने आप हो जाएगा। बिना बंदूक के होने वाली इस महान क्रांति के लिए देश के मतदाता को अब जागना ही होगा।

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