अलाउद्दीन खिलजी और इंसान का चरित्र
इंसान का चरित्र क्या होता है इसका एक सुंदर उदारहण आपको बताता हूँ। अल्लाउद्दीन खिलजी से बागी होकर मोहम्मद शाह नाम का एक मंगोल सैनिक ,रणथम्भौर के शासक हम्मीरदेव के पास शरण लेता। इसबात से नाराज खिलजी रणथम्भौर पर हमला करता है व किले पर घेरा डालता है जो कई महीनों तक चलता है। निराश ख़िलजी घेरा उठाने की एक शर्त रखता है कि बागी मुहम्मद शाह को मुझे लौटा दो तो मैं वापिस दिल्ली लौट जाऊँगा। शरणागत की रक्षा करना के क्षत्रिय धर्म की पालना करते हुए हम्मीरदेव इनकार कर देता है।
युद्ध होता है और हम्मीरदेव वीरगति को प्राप्त होता है। स्त्रियां जल जौहर कर देती हैं। हम्मीरदेव का लगभग पूरा परिवार खत्म हो जाता हैं। बागी मुहम्मद शाह मंगोल को बेड़ियों में जकड़ कर खिलजी के सामने पेश किया जाता है। अल्लाउद्दीन ख़िलजी हँसते हुए बागी मुहम्मद शाह को कहता है कि यदि मैं तुझे आज़ाद कर दू तो तू क्या करेगा। अपनी मौत को अपने सामने खड़ी देख कर भी ये महान मंगोल सैनिक बहादुरी से जवाब देता है कि, हे अलाउद्दीन ,मैं सबसे पहले तेरा वध करूँगा और उसके बाद मेरे अजीज हम्मीरदेव के पुत्र को रणथम्भौर की राजगद्दी पर बिठा कर राजा बनाऊंगा। भयभीत ख़िलजी , मुहम्मद शाह को हाथियों से कुचलवा कर मरवा देता है।
हम्मीरदेव और बागी मुहम्मद शाह इतिहास में अमर हो गए। ये मानव चरित्र के सर्वश्रेष्ठ उदाहरणों में से एक है। ये होता हैं मानव चरित्र। (character) और मानव चरित्र का निर्माण एक रात में नहीं होता। ये जीवन भर की तपस्या और आपके आसपास के माहौल व विशेषकर आपके माँ की बदौलत निर्मित होता है।
ठाकुर देवराज सिंह पाटोदी।
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