वैदिक साधन आश्रम तपोवन देहरादूलन का शरदुत्सव आरम्भ- “परमात्मा सब प्राणियों के जीवन का आधार हैः स्वामी चित्तेश्वरानन्द सरस्वती”

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ओ३म्

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वैदिक साधन आश्रम तपोवन, देहरादून का पांच दिवसीय शरदुत्सव आज दिनांक 12-10-2022 को सोत्साह आरम्भ हुआ। आज प्रातः सामवेद पारायण यज्ञ हुआ जिसके बाद यज्ञ प्रार्थना हुई। यज्ञ के ब्रह्मा आर्यजगत के मनस्वी संन्यासी स्वामी चित्तेश्वरानन्द सरस्वती जी थे। यज्ञ प्रार्थना अमृतसर से पधारे आर्य भजनोपदेशक श्री दिनेश पथिक जी ने कराई। यज्ञ के बाद पं. दिनेश पथिक जी के भजन श्रवण करने को मिले। स्वामी चित्तेश्वरानन्द सरस्वती जी ने सामूहिक प्रार्थना कराई। यज्ञ की समाप्ति पर ध्वजारोहण की क्रिया सम्पन्न की गई। ध्वजारोहण का कार्यक्रम आश्रम के प्रांगण में सम्पन्न किया गया। ध्वजारोहण स्वामी चित्तेश्वरानन्द जी ने आचार्य आशीष दर्शनाचार्य, मंत्री श्री प्रेम प्रकाश शर्मा जी तथा श्री पं. आचार्य शैलेश मुनि सत्यार्थी एवं अन्य अनेक विद्वानों के साथ मिलकर किया। ध्वजारोहण के बाद आर्ष गुरुकुल पौंधा के दो ब्रह्मचारियों ने राष्ट्रीय प्रार्थना ‘ओ३म् आ ब्रम्हन् ब्रह्मवचर्सी जायताम्’ मन्त्र बोलकर वा गाकर कराई। राष्ट्रीय प्रार्थना के पश्चात् तपोवन विद्या निकेतन की कन्याओं ने ध्वजगीत ‘जयति ओ३म् ध्वज व्योम विहारी’ गाया।

ध्वजारोहण सम्पन्न करने के बाद स्वामी चित्तेश्वरानन्द सरस्वती जी का सम्बोधन हुआ। उनके द्वारा कही गई कुछ प्रमुख बातें थी परमात्मा फसलों को उगाता है। उसी परमात्मा का हमें ध्यान करना है। हमें उसकी आज्ञा के अनुसार चलना है। परमात्मा सब प्राणियों के जीवन का आधार है। वह सबका पालन करता है। उसने हमें सभी साधन दिये हैं। आत्मा का भोजन ज्ञान है। हमारी आत्मा सिर के बाल के अग्रभाग के दस हजारवें भाग के बराबर सूक्ष्म है। स्वामी जी ने कहा कि आत्मा व शरीर के संयोग को जन्म तथा वियोग को मृत्यु कहते हैं। अपने जीवन को हमें पवित्र बनाना है। परमात्मा हर क्षण हमारे साथ रहता वा होता है। स्वामी जी ने आगे कहा कि संसार में हमारा अपना कुछ भी नहीं है। मृत्यु होने पर हमारा शरीर यहीं छूट जायेगा। ईश्वर, जीव तथा प्रकृति का अस्तित्व वा सत्ता नित्य एवं सनातन है। यह सत्तायें सदा से हैं और सदा रहेंगी। स्वामी जी ने कहा कि मनुष्य केवल आत्मा हैं। हम मनुष्यों को कर्म करने हैं तथा उनके फलों को हमें भोगना पड़ेगा। अपने सम्बोधन को विराम देते हुए स्वामी जी ने कहा कि परमात्मा आप सभी लोगों का मंगल करें।

आश्रम के मंत्री श्री प्रेम प्रकाश शर्मा जी ने अपने सम्बोधन में कहा कि अपने घरों पर सभी आर्यों को ओ३म् ध्वज लगाने चाहियें। घरों में ओ३म् ध्वज को लगाना हम आर्यों की पहचान है और कर्तव्य भी है। श्री शर्मा जी ने कहा कि ओ३म् परमात्मा का निज एवं मुख्य नाम है। मंत्री जी ने निवेदन किया कि सभी अतिथि महानुभाव आश्रम के नियमों का पालन करें और अपने कक्षों से बाहर जाते समय जल व विद्युत के स्चिचों को बन्द कर दिया करें। इससे जल तथा विद्युत की बचत होती है। कार्यक्रम का संचालन आर्य वानप्रस्थ एवं संन्यास आश्रम, ज्वालापुर से पधारे श्री शैलेश मुनि सत्यार्थी जी ने बहुत उत्तमता से किया। उन्होंने सभी अतिथियों से प्रार्थना की कि वह यहां आयोजित सभी कार्यक्रमों में उपस्थित रहें। ऐसा न करें कि आश्रम में कार्यक्रम चल रहा है और अतिथि महानुभाव अपने अपने कमरों में विश्राम कर रहे हों। उन्होंने कहा कि ऐसा करने से कार्यक्रमों की शोभा बढ़ेगी। शान्तिपाठ एवं जयघोषों के साथ ध्वजारोहण का कार्यक्रम सम्पन्न हुआ। आयोजन में बाहर से आये हुए अतिथियों सहित तपोवन विद्या निकेतन जूनियर हाई स्कूल के बालक, बालिकायें एवं आचार्यायें बड़ी संख्या में उपस्थित थीं। ओ३म् शम्।

-मनमोहन कुमार आर्य

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