मृत्यु से छूटने का एक ही उपाय है मोक्ष की प्राप्ति —– आचार्य लोकेन्द्र , वैदिक संस्थान , बिजनौर
महरौनी ललितपुर। महर्षि दयानंद सरस्वती योग संस्थान आर्य समाज महरौनी के तत्वावधान में विगत 2 वर्षों से धर्म के मर्म को युवा पीढ़ी से परिचित कराने के उद्देश्य से प्रतिदिन मंत्री आर्यरत्न शिक्षक लखनलाल आर्य द्वारा संचालित आर्यों का महाकुंभ में दिनांक 08 अक्टूबर, 2022 शनिवार को मुख्य वक्ता आचार्य लोकेन्द्र जी , दर्शनाचार्य,वेद संस्थान ( योगेश्वरी गौधाम ट्रस्ट) , बिजनौर,उत्तर प्रदेश ने कहा कि मनुष्य सदैव मृत्यु से भयभीत रहता है इसका कारण उसकी अज्ञानता है। किसने जन्म लिया है, उसकी मृत्यु अवश्यंभावी है।”जनि प्रादुर्भावे” इस धातु से “जन्म ” शब्द सिद्ध होता है। शरीर और आत्मा का संयोग ही जन्म कहा जाता है और शरीर से आत्मा का विच्छेद ही मृत्यु। शरीर नाशवान् है ,नश्वर है और आत्मा शाश्वत। आत्मा को न शस्त्र काट सकते,न आग जला सकती है ,न पानी गीला कर सकता है और न हवा सुखा ही सकती है। जैसे मनुष्य पुराने वस्त्र को छोड़ कर नये वस्त्र को धारण करता है , वैसे ही आत्मा भी पुराने जीर्ण- शीर्ण रोगी काया को छोड़कर कर्मानुसार दूसरे चोले को प्राप्त करती है। वक्ता महोदय ने अपने कथन की पुष्टि गीता के श्लोकों से की। आधिभौतिक ,आधिदैविक और आध्यात्मिक इन तीन दु:खों से मृत्यु होती है तथा सबसे ज्यादा मृत्यु आध्यात्मिक दु:ख रोग – व्याधि से होती है। सबसे कम मृत्यु आधिभौतिक से होती है ।दुर्घटना,भूकम्प , बाढ़ आदि दैविक दु:ख हैं।
आचार्य श्री ने योग दर्शन के प्रमाण से स्पष्ट कहा कि जाति,आयु और भोग निश्चित है लेकिन मनुष्य शुद्ध आचरण और व्यवहार से इसको घटा-बढा सकता है। इस कथन की पुष्टि के लिए उन्होंने उदाहरण देकर
तर्क द्वारा समझाया। ं
व्याख्यान के बाद इस विषय पर शंका समाधान भी हुए।शंका करने वालों में श्री प्रेम सचदेवा, दिल्ली व युद्धवीर सिंह आदि प्रमुख थे।
इसी क्रम में प्रसिद्ध वैदिक विद्वान प्रोफेसर डॉ. व्यास नन्दन शास्त्री वैदिक , बिहार ने कहा कि मनुष्य को मृत्यु से विजय पाने के लिए सदैव शुद्ध सात्विक आहार के साथ अष्टांगयोग से जुडना होगा। वेद ज्ञान और परमात्मा की भक्ति के बिना मोक्ष व मुक्ति संभव नही है। डॉ. शास्त्री ने कहा कि यजुर्वेद के ४० वें अध्याय के तीसरे मन्त्र में स्पष्ट वर्णन है कि आत्महत्या करने वाले को सूर्य – प्रकाश रहित और अन्धकार से घिरा हुआ हुआ लोक- वृक्षों के तनों के भीतर अनेक प्रकार के कीड़े-मकोडे के जन्म मिलते हैं जो अत्यन्त दु:ख का कारण है।
इसी क्रम में प्रो. डॉ. वेदप्रकाश शर्मा बरेली ने कहा कि जब तक सकाम अन्त:करण रहेगा तब तक मोक्ष सम्भव नहीं और हमें मोक्ष प्राप्ति के लिए कई जन्म लेने पड़ेंगे ।
कार्यक्रम में विशिष्ट विद्वानों में डॉक्टर निष्ठा विद्यालंकार लखनऊ, आराधना सिंह शिक्षिका,सुमन लता सेन शिक्षिका, अवधेश प्रताप सिंह बैंस,अनिल कुमार नरूला दिल्ली, चन्द्र कान्ता आर्य, हरियाणा, सुरेश कुमार गर्ग गाजियाबाद, भोगी प्रसाद म्यांमार, देवी सिंह आर्य दुबई, सुशील कुमार बिहार, शशिकांत मिश्रा आदि आबालवृद्ध पूरे विश्व से जुड़कर आर्यों का महाकुंभ कार्यक्रम को गरिमा प्रदान कर रहे हैं।
कार्यक्रम के प्रारंभ में वेद मन्त्रों के साथ -साथ कमला हंस, ईश्वर देवी, दया आर्या, संतोष सचान, अदिति आर्या के सुंदर -सुमधुर भक्तिप्रद भजनों से श्रोतागण झूम उठे।
कार्यक्रम का संचालन मंत्री आर्यरत्न शिक्षक लखनलाल आर्य तथा प्रधान मुनि पुरुषोत्तम वानप्रस्थ ने सबके प्रति आभार जताया।
बहुत सुन्दर आचार्य लोकेन्द्र जी
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