*राष्ट्र चिंतन*
*कब्र में दफनाने से ही मुलायम की आत्मा संतुष्ट होगी*
*कारसेवकों के खून से अयोध्या की भूमि लाल हो गयी थी*
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*आचार्य श्री विष्णुगुप्त*
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मुलायम सिंह यादव जब मुख्यमंत्री थे तब अयोध्या के कारसेवकों पर इतनी गोलियां चलवायी थी कि अयोध्या की भूमि खून से लाल हो गयी थी। न जाने कितने साधु-संत मारे गये थे। उत्तर प्रदेश की पुलिस साधु-संतों और कारसेवकों के शवों को सरयू नदी में बहवा दिया था। कोलकाता के कोठारी बंधुओं का बलिदान भी जगजाहिर है। अपने माता-पिता के दो ही संतान थे, दोनों कोठारी बंधु कारसेवा में पुलिस की गोलियों से मारे गये थे। दर्जनों कारसेवकों का कोई अता-पता आज तक न चल सका, लापता कारसेवक मुलायम की बर्बर पुलिस की गोलियों के शिकार ही बने होंगे।
मुलायम सिंह यादव ने मुसलमानों की सभा में सरेआम कहा था कि मैं गर्व और अभियान के साथ कहता हूं कि मैंने कारसेवकों की हत्या करायी थी, बाबरी मस्जिद की सुरक्षा के लिए सैकड़ों तो क्या हजारों कारसेवकों की हत्या करानी पड़ती तो मैं कराता। मुलायम सिंह यादव ने यहां तक कहा था कि मैं जब तक जिंदा हूं तब तक बाबरी मस्जिद की ओर विरोध में कोई आंख भी उठा कर नहीं देख सकता है, बाबरी मस्जिद की ओर आंख उठा कर देखने वाले हिन्दुओं का वह काम तमाम कर देंगे।
बाबरी ढाचे के विध्वंस के बाद कल्याण सिंह सरकार का पतन हुआ था और मुलायम सिंह यादव की गठबंधन सरकार बनी थी। बसपा उनकी सहयोगी पार्टी थी। मुख्यमंत्री के पद पर रहते हुए मुलायम बार-बार कहते थे कि अब उन्होंने हिन्दुओं को जमींदोज कर दिया है, हिन्दुओं के सीने पर बैठ कर सरकार चला रहे हैं, उत्तर प्रदेश में अब कभी हिन्दुओं की सरकार नहीं बनेगी। मुलायम ने यही सीख अपने बेटे अखिलेश यादव को दी थी। अखिलेश यादव कोसी परिक्रमा के दौरान साधु-संतों पर लाठियां चलवायी थी और अयोध्या में राममंदिर निर्माण से जुड़ी हुई हर गतिविधियों पर लाठियां चलवाने और साधु-संतों का उत्पीड़न करने की कोई भी अवसर नहीं छोड़ते थे।
भारत माता को डायन कहने वाले और हिन्दुओं को भद्दी-भद्दी गालियां देने वाले आजम खान उनका सबसे प्रिय नेता रहा है, जिन्हें वे न केवल संरक्षण देते थे बल्कि उसे राजनीति के सातवें आसमान पर भी बैठा दिया था। आजम खान जो कहता था वह सब मुलायम और अखिलेश के लिए आदेश के सामान ही होता था, बाप-बेटे उस आजम खान के आदेश को मानने के लिए तत्पर रहते थे। आजम खान ने हिन्दू नेता कमलेश तिवारी को महीनों जेलों में सड़वाया था। आजम खान के कहने पर ही मुलायम और अखिलेश ने कमलेश तिवारी का उत्पीड़न कराया था। मुजफ्फरनगर दंगे में आजम खान के कहने पर ही जाटों के कत्लेआम और हत्याएं हुई थी और मुस्लिम दंगाइयों को खुला छोड़ा गया था।
समाजवाद को कैसे परिवार वाद में तब्दील किया जाता है उसका सबसे बड़ा उदाहरण मुलायम थे। मुलायम ने समाजवाद को परिवारवाद और वंशवाद का रखैल बना छोड़ा था। मुलायम परिवार के करीब एक दर्जन लोग विधायिका में कब्जा कर बैठे रहे हैं।आज भी समाजवादी पार्टी पर मुलायम का परिवार ही कब्जा कर बैठा है।
मुलायम और अखिलेश कहा करते थे कि जब तक वे जिंदा हैं तब तक बाबरी मस्जिद के विरोध में कोई आंख उठा कर नहीं देख सकता है, बाबरी मस्जिद के विरोध में आंख उठा कर देखने वलों की आंखें निकाल दी जायेगी, उनके जीवन काल में राममंदिर का सपना देखना हिन्दू छोड़ दें। मुसलमानों को विकास गतिविधियों में सर्वाधिक हिस्सेदारी होती थी। जब हिन्दू लड़कियों से मुस्लिम लड़कों द्वारा बलात्कार करने पर शोर मचता था तब मुलायम कहा करते थे कि इस धर्म की दृष्टि से नहीं देखों, लड़के हैं, गलती कर ही देते थे, एक तरह से मुलायम ने बलात्कारियों का पक्ष लिया था और संरक्षण दिया था। बलात्कारियों का पक्ष लेने वाला कोई वंदनीय हो सकता है क्या?
मुलायम को नहीं मालूम था कि उनके जैसे कंसों का सहंार करने के लिए मोदी के रूप में श्रीकृष्ण जन्म ले चुके हैं। मोदी के प्रताप से न केवल राममंदिर का फैसला आया बल्कि आज भव्य राममंदिर बन रहा है। मुलायम सिंह यादव जैसे लोग कहते थे कि राममंदिर बनने से देश टूटेगा और देश में खून की नदिया बहने लगेगी। मोदी के प्रताप से कोई हलचल नहीं हुई और कोई खूनखराबा नहीं हुआ, सुप्रीम कोर्ट के फेसले का विरोध करने के लिए भी कोई हिंसक नहीं हुआ। आज अयोध्या में भगवान राम का भव्य मंदिर बन रहा है।
जिस हिन्दू धर्म का मुलायम खानदान विरोध करता था उसी हिन्दू धर्म के प्रतीक मंदिरों में मुलायम के स्वस्थ्य होने की पूजा होती थी। मुलायम सिंह यादव के समर्थक मंदिरों में मुलायम के स्वस्थ्य होने की प्रार्थना कर रहे थे। मुलायम सिंह का अंतिम संस्कार भी हिन्दू रीति रिवाजों से ही होगा। अगर मुलायम को हिन्दू धर्म से इतनी घृणा और नफरत थी तो फिर उसका अंतिम संस्कार हिन्दू रीति-रिवाजों से क्यांें बल्कि उसे तो मुसलमानों की कब्र में दफनाना चाहिए। मुलायम जिंदगी भर मुसलमानों के साथ रहे तो फिर मृत्यु के बाद भी मुलायम को कब्र में मुसलमानों के साथ ही रहने दिया जाना चाहिए। इसके लिए मुलायम को मुसलमानों की कब्र में दफनाना जरूरी है।
कोठारी बंधुओं सहित सैकड़ों कारसेवकों की आत्मा को आज जरूर ठंडक पहुंची होगी, उनकी आत्मा को संतुष्टि मिली होगी। राजनीति की मजबूरी के लिए नरेन्द्र मोदी जरूर मुलायम को महान बता रहे हैं और बहुत सारे हिन्दू अपनी आत्मघाती प्रबृति के कारण मुलायम को श्रद्धांजलि दे रहे हैं। हिन्दू धर्म में एक आत्मघाती कूरीति है। जब कोई मर जाता है तो फिर उसकी करतूत को माफ कर दिया जाता है, भूला दिया जाता है, मरे हुए व्यक्ति की आलोचना करना पाप समझा जाता है। इसी आत्मघाती कूरीति के कारण हिन्दू मुलायम को श्रद्धांजलि प्रकट कर रहे हैं।
पर हमारे जैसे देशभक्त मुलायम की सभी करतूतों को हमेशा याद रखेंगे, हम अपने बलिदानी कारसेवकों और अपने साघु-संतों की निर्मम हत्या को कैसे भूल सकते हैं? हम कमलेश तिवारी की हत्या और कैद को कैसे भूल सकते हैं? हम दंगों में हिन्दुओं की निर्मम हत्या को कैसे भूल सकते हैं? हम आजम खान द्वारा भारत माता को डायन कहने की करतूत को कैसे भूल सकते हैं। हम तो मुलायम को श्रद्धांजलि कभी भी नहीं दे सकते हैं। मुलायम को मुसलमानों की कब्र में ही दफनाया जाना चाहिए।
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*आचार्य श्री विष्णुगुप्त*
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