विनोद सिंह
सिराथू तहसील के शहजादपुर गांव में जन्मीं दुर्गा भाभी ने अंग्रेजों से कई बार लोहा लिया था। वह क्रांतिकारियों की हर योजना का हिस्सा थीं। वह बम बनाने के अलावा अंग्रेजों से लोहा लेने जा रहे क्रांतिकारियों को टीका लगाकर भेजती थीं।
देश की आजादी की लड़ाई में वीरांगना दुर्गा भाभी का अहम योगदान रहा। शहीद भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव का न सिर्फ वह सहयोग करती रहीं, बल्कि खुद भी बम बनाना सीख लिया था। दुर्गा भाभी ने देश की आजादी की लड़ाई के लिए बम बनाने में महारत हासिल कर ली थी।
सिराथू तहसील के शहजादपुर गांव में जन्मीं दुर्गा भाभी ने अंग्रेजों से कई बार लोहा लिया था। वह क्रांतिकारियों की हर योजना का हिस्सा थीं। वह बम बनाने के अलावा अंग्रेजों से लोहा लेने जा रहे क्रांतिकारियों को टीका लगाकर भेजती थीं। उनकी वीरता की गाथा का बखान बीते स्वतंत्रता दिवस को खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लाल किले की प्राचीर से किया था।
दुर्गा भाभी का आजादी की लड़ाई में योगदान
दुर्गा भाभी को भारत की आयरन लेडी भी कहा जाता है। बताया जाता है कि जिस पिस्तौल से चंद्रशेखर आजाद ने खुद को गोली मारकर बलिदान दिया था, वह पिस्तौल दुर्गा भाभी ने ही आजाद को दी थी। लाला लाजपत राय की मौत के बाद दुर्गा भाभी इतना गुस्से में थीं कि उन्होंने खुद स्कॉर्ट को जान से मारने की इच्छा जताई थी।
शहजादपुर गांव में हुआ था जन्म
दुर्गा भाभी का असली नाम दुर्गावती देवी था। उनका जन्म सात अक्तूबर 1907 को शहजादपुर गांव में हुआ था। वह भारत की आजादी और ब्रिटिश सरकार को देश से बाहर खदेड़ने के लिए सशस्त्र क्रांति में सक्रिय भागीदार थीं। जब वह भगत सिंह के दल में शामिल हुईं तो उन्हें आजादी के लिए लड़ने का मौका भी मिल गया। दुर्गावती का विवाह 11 साल की उम्र में हुआ था। उनके पति का नाम भगवती चरण वोहरा था, जो हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन के सदस्य थे। इस एसोसिएशन के अन्य सदस्य उन्हें दुर्गा भाभी कहते थे। इसीलिए वह इसी नाम से प्रसिद्ध हो गईं।
आज धूूमधाम से मनाई जाएगी जयंती
सांसद विनोद सोनकर ने शहजादपुर गांव में दुर्गा भाभी के नाम से स्मारक का निर्माण कराया है। तब से हर साल यहां उनकी जयंती पर दिग्गजों का जमावड़ा लगता है। गांव के पूर्व प्रधान प्रतिनिधि व भाजपा नेता दिलीप तिवारी बताते हैं कि इस बार भी दुर्गा भाभी की जयंती धूमधाम से मनाई जाएंगी।