सृष्टि या ब्रह्माण्ड की रचना भाग 2
💎( 11 ) प्रश्न : – प्रकृति के बारे में समझाएँ ।
☀उत्तर : – प्रकृति कहते हैं सृष्टि के मूल परमाणुओं को । जैसे किसी वस्तु के मूल अणु को आप Atom के नाम से जानते हो । लेकिन आगे उसी Atom ( अणु ) के भाग करके आप Electron ( ऋणावेष ) , Protion ( धनावेष ) , Neutron ( नाभिकीय कण ) , तक पहुँच जाते हो । और उससे भी आगे इन कणों को भी तोड़ते हो तो positrons , Neutrinos , Quarks मैं बढ़ते जाते है । इस प्रकार से विभाजन करते – करते आप जाकर एक निश्चित मूल पर टिक जाओगे । और वह मूल जो परमाणु में जोड़ – जोड़ कर बड़े – बड़े कण बनते चले गए हैं वे ही प्रकृति के परमाणु कहलाते हैं । प्रकृति के तो परमाणु होते हैं । सत्य ( Positive + ) रजस् ( Negative – ) तमस् ( Neutral0 ) इन तीनों को सामूहिक रूप में प्रकृति कहा जाता है ।
💎( 12 ) प्रश्नः – क्या प्रकृति नाम का कोई एक ही परमाणु नहीं है ?
☀उत्तर : – नहीं , ( सत्व , रज और तम ) तीनों प्रकार के मूल कणों को सामूहिक रूप में प्रकृति कहा जाता है । कोई एक ही कण का नाम प्रकृति नहीं है ।
💎( 13 ) प्रश्न : – तो क्या सृष्टि के किसी भी पदार्थ की रचना इन प्रकृति के परमाणुओं से ही हुई है ?
☀उत्तर : – जी अवश्य ही ऐसा हुआ है । क्योंकि सृष्टि के हर पदार्थ में तीनों ही गुण ( Positive , Negative & Neutral ) पाए जाते हैं ।
💎( 14 ) प्रश्न : – ये स्पष्ट कीजिए कि सृष्टि के हर पदार्थ में तीनों ही गुण होते हैं , क्योंकि जैसे Electron होता है वो तो केवल Negative ही होता है यानि के रजोगुण से युक्त तो बाकी के दो गुण उसमें कहाँ से आ सकते हैं ?
☀उत्तर : – नहीं ऐसा नहीं है , उस ऋणावेष यानी Electron में भी तीनों गुण ही हैं । क्योंकि होता ये है कि पदार्थ में जिस गुण की प्रधानता होती है वही प्रमुख गुण उस पदार्थ का हो जाता है । तो ऐसे ही ऋणावेष में तीनों गुण सत्व रजस् और तमस तो हैं लेकिन ऋणावेष में रजोगुण की प्रधानता है परंतु सत्वगुण और तमोगुण गौण रूप में उसमें रहते हैं । ठीक वैसे ही Proton यानी धनावेष में सत्वगुण की प्रधानता अधिक है परंतु रजोगुण और तमोगुण गौणरूप तीनों ही में हैं । और ऐसे ही तीसरा कण Neutron यानी कि नाभिकीय कण में तमोगुण अधिक प्रधान रूप में है और सत्व एवं रज गौणरूप में हैं । तो ठीक ऐसे ही सृष्टि के सारे पदार्थों का निर्माण इन गुणों से हुआ है । पर इन गुणों की मात्रा हर एक पदार्थ में भिन्न – भिन्न है । इसीलिए सारे पदार्थ एक दूसरे से भिन्न दिखते हैं ।
💎( 15 ) प्रश्न : – तीनों गुणों को और स्पष्ट करें ।
☀उत्तर : – सत्व गुण कहते हैं आकर्षण से युक्त को , तमोगुण निषक्रिय या मोह वाला होता है , रजोगुण होता है चंचल स्वभाव को । इसे ऐसे समझे : – नाभिकम् ( Neucleus ) में जो नाभिकीय कण ( Neucleus ) है वो मोह रूप है क्योंकि इसमें तमोगुण की प्रधानता है । और इसी कारण से ये अणु के केन्द्र में निषक्रिय पड़ा रहता है । और जो धनावेष ( Proton ) है वे भी केन्द्र में है पर उसमें सत्वगुण की प्रधानता होने से वो ऋणावेष ( Electron ) को खींचे रहता है । क्योंकि आकर्षण उसका स्वभाव है । तीसरा जो ऋणावेष ( ELectron ) है उसमें रजोगुण की प्रधानता होने से संचल स्वभाव है इसीलिए वो अणु के केन्द्र नाभिकम् की परिक्रमा करता रहता है । दूर – दूर को दौड़ता है ।
💎( 16 ) प्रश्न : – तो क्या सृष्टि के सारे ही पदार्थ तीनों गुणों से ही बने हैं ? तो फिर सबमें विलक्षणता क्यों है ! सभी एक जैसे क्यों नहीं ?
☀उत्तर : – जी हाँ , सारे ही पदार्थ तीनों गुणों से बने हैं । क्योंकि सब पदार्थों में तीनों गुणों का परिमाण भिन्न – भिन्न है । जैसे आप उदाहरण के लिए लोहे का एक टुकड़ा ले लें तो उस टुकड़े के हर एक भाग में जो अणु हैं वो एक से हैं और वो जो अणु हैं उनमें सत्व रज और तम की निश्चित मात्रा एक सी है ।
💎( 17 ) प्रश्न : – पदार्थ की उत्पत्ति ( Creation ) किसको कहते हैं ?
☀उत्तर : – जब एक जैसी सूक्ष्म मूलभूत इकाइयाँ आपस में संयुक्त होती चली जाती हैं तो जो उन इकाईयों का एक विशाल समूह हमारे समाने आता है उसे ही हम उस पदार्थ का उत्पन्न होना मानते हैं । जैसे ईटों को जोड़ – जोड़ कर कमरा बनता है , लोहे के अणुओं को जोड़ जोड़ कर लोहा बनता है , सोने के अणुओं को जोड़ – जोड़कर सोना बनता है आदि । सीधा कहें तो सूक्ष्म परमाणुओं का आपस में विज्ञानपूर्वक संयुक्त हो जाना ही उस पदार्थ की उत्पत्ति है ।
💎( 18 )प्रश्न : – पदार्थ का नाश ( Destruction ) किसे कहते हैं ?
☀उत्तर : – जब पदार्थ की जो मूलभूत इकाइयाँ थीं वो आपस में एक – दूसरे से दूर हो जाएँ तो जो पदार्थ हमारी इन्द्रियों से ग्रहीत होता था वो अब नहीं हो रहा उसी को उस पदार्थ का नाश कहते हैं । जैसे मिट्टी का घड़ा बहुत समय तक घिसता – घिसता वापिस मिट्टी में लीन हो जाता है , कागज को जलाने से उसके अणुओं का भेदन हो जाता है आदि । सीधा कहें तो वह सूक्ष्म परमाणु जिनसे वो पदार्थ बना है , जब वो आपस में से दूर हो जाते हैं और अपनी मूल अवस्था में पहुँच जाते हैं उसी को हम पदार्थ का नष्ट होना कहते है ।
💎( 19 ) प्रश्न : – सृष्टि की उत्पत्ति किसे कहते हैं ?
☀उत्तर : – जब मूल प्रकृति के परमाणु आपस में विज्ञान पूर्वक मिलते चले जाते हैं तो अनगिनत पदार्थों की उत्पत्ति होती चली जाती है । हम इसी को सृष्टि या ब्रह्माण्ड की उत्पत्ति कहते हैं ।
💎( 20 ) प्रश्न : – सृष्टि का नाश या प्रलय किसको कहते हैं ?
☀उत्तर : – जब सारी सृष्टि के परमाणु आपस में एक – दूसरे से दूर होते चले जाते हैं तो सारे पदार्थ का नाश होता जाता है और ऐसे ही सारी सृष्टि अपने मूल कारण प्रकृति में लीन हो जाती है । इसी को हम सृष्टि या ब्रह्माण्ड का नाश कहते हैं ।