सृष्टि या ब्रह्माण्ड की रचना

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भाग 1

💎( 1 ) प्रश्न : – ब्रह्माण्ड की रचना किससे हुई ?
☀उत्तर : – ब्रह्माण्ड की रचना प्रकृति से हुई ।
💎( 2 ) प्रश्न : – ब्रह्माण्ड की रचना किस ने की ?
☀उत्तर : — ब्रह्माण्ड की रचना निराकार ईश्वर ने की जो कि सर्वव्यापक है । कण – कण में विद्यमान है ।
💎( 3 ) प्रश्न : – साकार ईश्वर सृष्टि क्यों नहीं रच सकता ?
☀उत्तर : – क्योंकि साकार रूप में वह प्रकृति के सूक्ष्म परमाणुओं को आपस में संयुक्त नहीं कर सकता ।
💎( 4 ) प्रश्न : – लेकिन ईश्वर तो सर्वशक्तिमान है । अपनी शक्ति से वो ये भी कर सकता है ।
☀उत्तर : – ईश्वर की शक्ति उसका गुण है न कि द्रव्य । जो गुण होता है वो उसी पदार्थ के भीतर रहता है न कि पदार्थ से बाहर निकल सकता है । तो यदि ईश्वर साकार हो तो उसका गुण उसके भीतर ही मानना होगा तो ऐसे में केवल एक ही स्थान पर खड़ा होकर पूरे ब्रह्माण्ड की रचना कैसे कर सकेगा ? इससे ईश्वर अल्प शक्ति वाला सिद्ध हुआ । अत : ईश्वर निराकार है न कि साकार ।
💎( 5 ) प्रश्न : – लेकिन हम मानते हैं कि ईश्वर साकार भी है और निराकार भी ।
☀उत्तर : – एक ही पदार्थ में दो विरोधी गुण कभी नहीं होते हैं । या तो वो साकार होगा या निराकार । अब सामने खड़ा जानवर या तो घोड़ा है या गधा । वह घोड़ा और गधा दोनों ही एक साथ नहीं हो सकता ।
💎( 6 ) प्रश्न : – ईश्वर पूरे ब्रह्माण्ड के कण – कण में विद्यमान है ये कैसे सिद्ध होता है ?
☀उत्तर : – एक नियम है — ( क्रिया वहीं पर होगा जहाँ उसका कर्ता होगा ) तो पूरे ब्रह्माण्ड में कहीं कुछ न कुछ बन रहा है तो कहीं न कहीं कुछ बिगड़ रहा है । और सारे पदार्थ भी ब्रह्माण्ड में गति कर रहे हैं । तो ये सब क्रियाएँ जहाँ पर हो रही हैं वहाँ निश्चित ही कोई न कोई अति सूक्ष्म चेतन सत्ता है । जिसे हम ईश्वर कहते हैं ।
💎( 7 ) प्रश्न : – यदि ईश्वर सर्वत्र है तो क्या संसार की गंदी – गंदी वस्तुओं में भी है ? जैसे मल , मूत्र , कूड़े करकट के ढेर आदि ?
☀उत्तर : – अवश्य है क्योंकि ये जो गंदगी है वो केवल शरीर वाले को ही गंदा करती है न कि निराकार को । अब आप स्वयं सोचें कि मल मूत्र भी किसी न किसी परमाणुओं से ही बने हैं तो क्या परमाणु गंदे होते हैं ? बिलकुल भी नहीं होते । बल्की जब ये आपस में मिल कर कोई जैविक पदार्थ का निर्माण करते हैं तो ये कुछ तो शरीर के लिए बेकार होते हैं जिन्हें हम गूदा द्वार या मूत्रेन्द्रीय से बाहर कर देते हैं । इसी कारण से ईश्वर सर्वत्र है । गंदगी उस चेतन के लिए गंदी नहीं है ।
💎( 8 ) प्रश्न : – ईश्वर के बिना ही ब्रह्माण्ड अपने आप ही क्यों नहीं बन गया ?
☀उत्तर : – क्योंकि प्रकृति जड़ पदार्थ है और ईश्वर चेतन है । बिना चेतन सत्ता के जड़ पदार्थ कभी भी अपने आप गति नहीं कर सकता । इसी को न्यूटन ने अपने पहले गति नियम में कहा है : – ( Every thing persists in the state of rest or of uniform motion , until and unless it is compelled by some external force to change that state – Newton ‘ s First Law of Motion ) तो ये चेतन का अभिप्राय ही यहाँ External Force है
💎( 9 ) प्रश्न : – क्यों External Force का अर्थ तो बाहरी बल है तो यहाँ पर आप चेतना का अर्थ कैसे ले सकते हो ?
☀उत्तर : – क्योंकि बाहरी बल जो है वो किसी बल वाले के लगाए बिना संभव नहीं । तो निश्चय ही वो बल लगाने वाला मूल में चेतन ही होता है । आप एक भी उदाहरण ऐसी नहीं दे सकते जहाँ किसी जड़ पदार्थ द्वारा ही बल दिया गया हो और कोई दूसरा पदार्थ चल पड़ा हो ।
💎( 10 ) प्रश्न : – तो ईश्वर ने ये ब्रह्माण्ड प्रकृति से कैसे रचा ?
☀उत्तर : – उससे पहले आप प्रकृति और ईश्वर को समझे ।

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