आर्य सागर खारी
5 अक्टूबर 2022 प्रातः 11:00 बजे आर्य बन्धु परिवार में विगत 4 दिवस से आयोजित आर्य बन्धु परिवार के वैचारिक प्रेरणास्रोत संस्कारों के पुंज प्रोफेसर विजेंदर आर्य, सूबेदार मेजर वीर सिंह आर्य, एडवोकेट देवेंद्र आर्य डॉक्टर राकेश कुमार आर्य के श्रद्धेय पिताजी पूज्य स्वर्गीय महाश्य राजेंद्रसिंह आर्य जी की 111 वी जयंती के पावन अवसर पर आयोजित ‘अथर्ववेद पारायण यज्ञ’ का पूर्णाहुति के साथ समापन हुआ । इस यज्ञ के ब्रह्मा आचार्य विद्यादेव ,वेद पाठ चिम्मन आर्य आर्षवेद गुरुकुल मुरसदपुर के ब्रह्मचारियो के द्वारा किया गया ।कार्यक्रम की अध्यक्षता देव मुनि जी ने की। पूर्णाहुति के पश्चात भारत के गौरवशाली इतिहास प्राचीन भारत की भू राजनीतिक भौगोलिक सीमाओं पर विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया।
सबसे प्रथम आर्य जगत की नाम कर्म धन्य भजनोपदेशक कुलदीप विद्यार्थी की भजनों के माध्यम से प्रस्तुति हुई। विद्यार्थी जी ने कहा भारत कभी भी किसी भी आक्रमण का गुलाम नहीं रहा हमारे पूर्वजों ने सभी का प्रतिरोध किया। इसके पश्चात गुरुकुल मुरसदपुर के मुख्य आचार्य दुष्यंत जी ने जल प्रसेचन के अंतिम मंत्र की वैदिक व्याकरण की रीति से बहुत सुंदर व्याख्या की। इसी क्रम में डॉक्टर राकेश कुमार आर्य का इतिहास पर बेहद शानदार उद्बोधन कार्यशाला के माध्यम से हुआ। अपने उद्बोधन में डॉक्टर राकेश कुमार आर्य जी ने भारत की भौगोलिक सीमाओं को अखंड भारत के नक्शे के साथ बहुत सुंदर मानचित्रण के माध्यम से इतिहास के संबंध में उपस्थित श्रोताओं को अपने विचारों से लाभान्वित किया।
डॉक्टर आर्य ने कहा कि मुगलों ने कभी पूरे भारतीय उपमहाद्वीप पर शासन नहीं किया। मुगलों ने केवल बहुत छोटे भूभाग पर शासन किया। मुगलों से विशाल शासन चंद्रगुप्त मौर्य, सम्राट हर्षवर्धन गुर्जर प्रतिहारो का रहा। दक्षिण को मुगल कभी फतेह नहीं कर पाए। विजयनगर साम्राज्य अपनी सीमाओं को सुरक्षित करने के लिए पूरी उग्रता से तत्पर रहा। मराठों ने हिंदवी स्वराज्य की स्थापना की। वामपंथी इतिहासकारों ने इतिहास से उस चैप्टर को ही गायब कर दिया। उसे हिंदू शासन न बताकर मराठा शासन के तौर पर दुष्प्रचारित किया।
मेरठ में स्थापित धन सिंह कोतवाल शोध संस्थान की ओर से डॉ तस्वीर चपराना जी ने अपनी प्रस्तुति दी। उन्होंने कहा कि जहां जहां देश भक्ति समाज में शिक्षा के योगदान के मामले में आर्य समाज सर्वोपरि संगठन है। इसके पश्चात महाश्य जगमाल ने वैदिक कालीन आदर्श संस्कृति स्वर्गीय महाशय राजेंद्र आर्य जी के वैचारिक चिंतन को लेकर उनके व्यक्तित्व कृतित्व को नमन करते हुए भजनों की प्रस्तुति दी।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि आईपीएस विचारक डॉ आनंद कुमार ने जो राष्ट्र निर्माण पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष उन्होंने बहुत ही विचारोत्तेजक प्रस्तुति दी। कहा कि यदि ऋषि दयानंद ऋषि-मुनियों के सपनों का भारत चाहते हो और विश्व की महाशक्ति के रूप में भारत को स्थापित करना चाहते हो तो राष्ट्र निर्माण पार्टी के साथ जुड़ो । मनु के विधान के अनुसार ही भारत की राजनीतिक सामाजिक व्यवस्थाओं को हमें पुनः स्थापित करना होगा। आर्यों को अपना राजनीतिक विकल्प तलाशना होगा।
आर्य बन्धु परिवार की ओर से एडवोकेट देवेंद्र आर्य जी ने बेहद तार्किक सारगर्भित संक्षिप्त शब्दों में बहुत ही मार्मिक सभी अतिथियों का अभ्यागतों का धन्यवाद ज्ञापित किया ,कार्यक्रम में सहभागी होने के लिए। इसके पश्चात डॉक्टर राकेश कुमार आर्य द्वारा लिखी गई 65 वीं पुस्तक *सत्यार्थ प्रकाश मे इतिहास विमर्श* का विमोचन किया गया। यह पुस्तक बेहद मौलिक विचारोत्तेजक व्याख्या सत्यार्थ प्रकाश के प्रथम के 7 समुल्लास की करती है।
डायमंड बुक्स ने इसका प्रकाशन किया है सभी राष्ट्रवादी बंधुओं, वेद भक्त, ऋषि भक्त आर्यों विद्या प्रेमी महानुभावों को यह पुस्तक विशेष तौर पर रास आयेगी । पुस्तक की शैली बेहद सरल व बोधगम्य प्रवाहपूर्ण है। विचार गोष्ठी के दौरान ही आर्य समाज व सामाजिक शैक्षिक क्षेत्र में बौद्धिक सांस्कृतिक तन मन धन व लेखनी के माध्यम से योगदान देने वाले सम्मानित दर्जनों व्यक्तियों को भी धर्म रक्षक, राष्ट्र गौरव ,कलम के सिपाही, वेद रक्षक, हिंदू गौरव , कुशल मंच संचालक, आर्यत्व के गौरव, आदि प्रतीक चिन्ह पुरस्कारों से सम्मानित किया गया।
कार्यक्रम का संचालन आर्य सागर खारी ने किया। विचार गोष्ठी का समापन कार्यक्रम के अध्यक्ष देव मुनि जी ने अपने उद्बोधन के साथ शांति पाठ वाचन आदि के माध्यम से कराया। कार्यक्रम में सहभागी बंधुओं के लिए आर्य बन्धु परिवार की ओर से विशेष भोज आयोजित किया गया । भेंट स्वरूप सभी को *उगता भारत समाचार पत्र* की ओर से प्रकाशित संपादित वर्ष 2023 का हिंदी पंचांग कैलेंडर वितरित किया गया।
*आर्य सागर खारी*🖋️🖋️🖋️
बहुत से लेख हमको ऐसे प्राप्त होते हैं जिनके लेखक का नाम परिचय लेख के साथ नहीं होता है, ऐसे लेखों को ब्यूरो के नाम से प्रकाशित किया जाता है। यदि आपका लेख हमारी वैबसाइट पर आपने नाम के बिना प्रकाशित किया गया है तो आप हमे लेख पर कमेंट के माध्यम से सूचित कर लेख में अपना नाम लिखवा सकते हैं।