राहुल गांधी के खिलौने में हिंदू विरोध और मुस्लिम /ईसाई समर्थक चाभी कौन भरता है ?*
*राष्ट्र-चिंतन*
*भारत माता को गालियां बकने वाले, हिंसक ईसाई पादरी जार्ज पौन्नेया को राहुल गांधी अपनी* *भारत जोड़ो यात्रा का आईकॉन क्यों बनाया ?*
*आचार्य श्री विष्णुगुप्त*
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राहुल गांधी का हिन्दू विरोधियों से प्रेम कब समाप्त होगा? हिन्दू विरोधी और ईसाई-मुस्लिम समर्थक सलाहकार कब तक राहुल गांधी की हंसी उड़वाते रहेंगे, आत्मघाती कदम पर चलाते रहेंगे ? राहुल गांधी के खिलौने में जार्ज पौन्नया जैसी हिंसक मानसिकताओं की चाभी कौन लोग भरते हैं? हिन्दू विरोधियों के बल पर भाजपा और मोदी के हराने का सपना राहुल गांधी कब तक देखेंगे? अपने को ब्राम्हण कहने वाले राहुल गांधी हिन्दू विरोधियों से हिन्दुओं के खिलाफ राजनीतिक आवाज को कब तक समर्थन करते रहेंगे? यह जानते हुए भी कि हिन्दू विरोधी ही उनकी पार्टी की केन्द्रीय सत्ता से दूर रहने के कारण थे और अब भी कांग्रेस हिन्दू विरोधियों की करतूतों से हाशिये से बाहर नहीं आ पा रही है। राहुल गांधी चुन-चुन कर वैसे लोगों से मिलना-जुलना और राजनीतिक संवाद करना भूलते नहीं हैं जो हिन्दू धर्म-संस्कृति के प्रतकों के प्रति बेहद ही खतरनाक विचार रखते हैं, हिंसक भाषा का प्रयोग करते हैं और अपने मजहब के प्रति कट्टरवादी विचार रखते हैं, सिर्फ इतना ही नहीं बल्कि अपने मजहब के प्रति समर्पित होकर देश विखंडन की भी बातें करने लगते हैं। राजनीतिक सच्चाई यह है कि हिन्दू विरोधियों के बल पर कांग्रेस कभी भी केन्द्रीय सत्ता में वापसी नहीं कर सकती है। कांग्रेस पर यह भी आरोप लगते रहा है कि वह आजादी प्राप्ति के बाद से ही हिन्दू विरोधी है और मुसलमान-ईसाई समर्थक है। नेहरू से लेकर इन्दिरा गांधी, राजीव गांधी और मनमोहन सिंह-सोनिया गांधी के शासनकाल तक उक्त बातें प्रमाण के तौर पर उपस्थित रही हैं, इनके शासनकाल में हिन्दुत्व हितों की न केवल उपेक्षा हुई, बल्कि हिन्दू हितों को कुचला तक गया, हिन्दू प्रतीकांें को लांक्षित भी किया गया जबकि मजहबवादियों की विखंडनकारी नीतियों और कार्यक्रमों को जमकर समर्थन मिला और कांग्रेसी सत्ता का लाभ मिला। भारत विखंडन कराने वाली मुस्लिम लीग कांग्रेस की सहयोगी बनी जबकि अंग्रेजों का साथ निभाने वाली ईसाई मिशनरियां कांग्रेस की प्रेरणास्रोत बन गयी।
राहुल गांधी-प्रियंका गांधी पर प्रचंड हिन्दुत्ववादियों का एक गंभीर आरोप रहा है। आरोप यह रहा है कि राहुल गांधी और प्रियंका गांधी शुद्ध रूप से हिन्दुत्व माता-पिता की संतानें नहीं हैं। प्रचंड हिन्दुत्ववादियों का यह आरोप सही है, तथ्य भी यही है कि राहुल गांधी और प्रियंका गांधी शुद्ध रूप से हिन्दू माता-पिता की संताने नहीं हैं। सोनिया गांधी ईसाई है, राजीव गांधी के पिता मुस्लिम-पारसी थे। राजीव गांधी के पिता फिरोज खान गांधी मुस्लिम थे या पारसी थे, इस पर अभी भी विवाद है, अधिकतर लोग फिरोज खान गांधी को पारसी मानते हैं। जवाहरलाल नेहरू अपने भाषण में कहते थे कि वह दुर्भाग्य से हिन्दू हैं, मैं अपने आप को इस्लाम के नजदीक ज्यादा पाता हूं। इंदिरा गांधी को एक प्रसिद्ध मंदिर में जाने पर खूब विवाद हुआ था और मंदिर को अपवित्र करने का आरोप लगा था, क्योंकि मंदिर में गैर हिन्दुओं के प्रवेश पर प्रतिबंध था।
अभी-अभी प्रचंड हिन्दुत्ववादियों की भवें फिर से राहुल गांधी के खिलाफ तन गयी हैं। प्रंचड हिन्दुत्ववादियों के निशाने पर राहुल गांधी फिर से आ गये हैं। इसके लिए प्रंचड हिन्दुत्ववादी जिम्मेदार नहीं है बल्कि खुद राहुल गांधी जिम्मेदार है। राहुल गांधी ने एक बार फिर हिन्दुत्व के प्रति तेजाबी विचार रखने वाले ईसाई पादरी की चरणंवदना की है। अपनी भारत जोड़ो यात्रा के दौरान राहुल गांधी ने उस ईसाई पादरी के साथ राजनीतिक संवाद किया, राजनीतिक परामर्श लिया, समर्थन सहयोग लिया जो हिन्दू विरोधी होने का बार-बार प्रमाण देता है जिसके विचार हिंसक और विघटनकारी है। उस पादरी का नाम है जार्ज पोन्नैया। जार्ज पोन्नेया का कार्यक्षेत्र कन्याकुमारी है। कन्याकुमारी से ही राहुल गांधी की कथित भारत जोड़ो यात्रा शुरू हुई है। जार्ज पोन्नया का इतिहास जानेंगे, उसकी करतूतें अगर जानेंगे तो आश्चर्य में पड़ जायेगे और यह सोचने के लिए विवश हो जायेंगे कि ऐसा व्यक्ति जो हिंसक हो, हिसा की बात करता है, विखंडन की बात करता है वह कैसे किसी मजहब का गुरू हो सकता है? जार्ज पोन्नेया ने कभी मोदी और शाह के बारे में बहुत ही खतरनाक और अशोभनीय बातें की थी। जार्ज पोन्नैया ने भारत माता के संबंध में भी अश्लील और अपमानित करने वाली भाषा बोली थी। जार्ज पोन्नैया और राहुल गांधी के राजनीतिक संवाद पर सोशल मीउिया पर एक प्रश्न यह भी खड़ा हुआ है कि भारत माता की जय बोलकर आजादी की लड़ाई में लोग बलिदान करते थे, देश की बहुसंख्यक जनता भारत माता की जय बोलती है उस भारत माता के बारे में अश्लील और अपमानित करने जैसी टिप्पणी करने वाला ईसाई पादरी कैसे और क्यों राहुल गांधी का आईकॉन बन गया। तमिलनाडु में कोई एक नहीं बल्कि अनेकों पादरी होगें जिनके विचार शांतिपूर्ण और सौहार्दपूर्ण होंगे, पर जार्ज पोन्नैय ही राहुल गांधी की जरूरत क्यों बनें? जार्ज पोन्नैया ने राहुल गांधी से कह दिया कि ईसा मसीह ही सिर्फ भगवान हैं, निरंाकार शक्ति नहीं होती है, निरंकार कुछ नहीं होता है। निराकार शक्ति हिन्दू धर्म की अवधारणा है। इसलिए घ्वनी गयी कि जार्ज पोन्नेया और राहुल गांधी ने हिन्दू धर्म की आलोचना की है, खिल्ली उड़ायी है।
जार्ज पोन्नैय प्रकरण में राहुल गांधी-सोनिया गांधी की ईसाई मिशनरियों के साथ सहयोग और प्रेम पर भी बात उठी है, प्रश्न खडे हुए हैं। बात-बात पर हिन्दूवादियों को कोसने और लांक्षित करने वाली कांग्रेस और राहुल गांधी, सोनिया गांधी, प्रियंका गांधी ईसाई मिशनरियों की करतूतों पर खामोश रहते हैं। ईसाई मिशनरियां धर्मपरिर्वन के लिए अंधविशवास का सहारा लेती हैं और लालच का हथकंडा अपनाती है। इसके अलावा हिन्दुओं का आरक्षण भी ईसाई मिशनरियां लूट रही हैं। धर्मांतरित ईसाई अपने आप को हिन्दू बता कर आरक्षण का लाभ लेते हैं। जार्ज पोन्नैया जिस क्षेत्र में कार्यरत है उस क्षेत्र में ईसाई मिशनरियों का आतंक कायम है। सिर्फ ईसाई मिशनरियो के स्कूलों में ही नही बल्कि सरकारी स्कूलों मे भी बच्चों को ईसा मसीह के गुणगान करने के लिए बाध्य किया जाता है। एक हिन्दू छात्रा ने अपने स्कूल के प्रबंधकों और टीचरों पर एफआईआर दर्ज करायी थी और अपनी शिकायत में उस छात्रा ने कहा था कि ईसाई मिशनरी के स्कूलों में पढ़ाया जाता है कि भगवत गीता अफवाह और बूरी चीज है, इसके पढ़ने स पूण्य नहीं मिलता है, बाईबल पढ़ने से पुण्य मिलता है। कन्याकुमारी में ईसाई मिशनरियांें ने स्वामी विवेकानंद का स्मारक बनाने का भी विरोध किया था। तमिलनाडु हाईकोर्ट ने कन्याकुमारी क्षेत्र में ईसाई विखंडनकारी गतिविधियों और जर्ज पोन्नैया जैसे पादरियों की मानसिकता पर प्रश्न खड़े किये थे और चिंता जतायी थी।
राहुल गांधी के जार्ज पोन्नैया जैसे हिंसक विचारों के प्रति प्रेम और समर्पण के पीछे हिन्दू विरोधी मानसिकता ही ज्यादा झलकती है। जब यूपीए के तौर पर केन्द्र में इनकी सत्ता थी तब भी इन्होंने ऐसा उदाहरण बार-बार दिया था। अमेरिकी कूटनीतिज्ञ से मुलाकात के दौरान राहुल गांधी ने साफ तौर पर कहा था कि इस देश को मुसलमानों से खतरा नहीं है, भारत को सिर्फ हिन्दुओे से खतरा है, हिन्दू ही भारत में हिंसक है और खतरनाक मानसिकता के हैं। राहुल गांधी का यह विचार जानकार वह अमेरिकी कूटनीतिज्ञ आश्चर्य में पड़ गया था, इसका खुलासा अमेरिकी कूटनीतिज्ञ ने अपनी पुस्तक में की थी। राहुल गाधी की कथित भारत जोड़ो यात्रा में वह कन्हैया भी है जो भारत के टूकड़े-टूकड़े करने की कसमें खाता था और इस्लाम की ध्वनी में इंशा अल्लाह कहता था।
राहुल गांधी कोई एक नहीं बल्कि हजार भारत जोड़ो यात्रा निकाल लें पर कोई फर्क नहीं पड़ने वाला है, देश का बहुसंख्यक वर्ग को लांक्षित कर, अपमानित कर कोई भी पार्टी सत्ता हासिल नहीं कर सकती है, देश की जनता का आईकॉॅन नहीं बन सकती है। भारत जोड़ो यात्रा से निकालने के पूर्व राहुल गांधी अगर अपनी माता की बैठायी हुई एंथोनी समिति की रिपोर्ट्र पढ़ लेते तो फिर कांग्रेस का बहुत भला होता और जार्ज पोन्नैया जैसे हिंसक विचारों से संवाद और ईसाई प्रेम की मानसिकता से बच सकते थे। एंथोनी समिति ने 2014 में कांग्रेस की हार के लिए कांग्रेस का हिन्दू विरोधी होना बतायी थी। राहुल गांधी के खिलौने में पौन्नेया जेसी मानसिकताएं कौन भरता है? जब तक राहुल गांधी के मार्गदर्शक हिन्दू विरोधी होंगे तब तक राहुल गांधी इसी तरह हंसी और आत्मघाती कदम के पात्र बनते रहेंगे।
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