रक्त में अम्लता का बढ़ जाना बहुत ही जानलेवा होता है। मेडिकल की भाषा में इस कंडीशन को एसिडोसिस बोला जाता है मेडिकल साइंस में इसका उपचार बड़ा ही जोखिम भरा खर्चीला समय साध्य है शरीर में जब अम्लता बढ़ जाती है तेजी से मल्टी ऑर्गन फैलियर होता है बैक्टीरिया तेजी से पनपते हैं। मनुष्य ही नहीं अन्य जीव जंतुओं के लिए भी अमल्ता जानलेवा होती है। गौ आदि जीवो में अम्लता के कारण ही थनैला आदि रोग होते हैं अन्य संक्रमण के लिए भी यही जिम्मेदार है। हवन की राख अमल्ता का उत्तम उपचार है। हवन की राख का सेवन यदि 1 से 5 ग्राम की मात्रा में एक बार पेयजल में डालकर प्रयोग किया जाए तो इससे शरीर में रक्त की प्रकृति क्षारीय(Alkline) होती है जो उत्तम स्थिति होती है शरीर के लिए। रक्त का इलेक्ट्रोलाइट इंबैलेंस भी संतुलित होता है।
हवन की राख में माइक्रोन्यूट्रिएंट्स ,मिनरल होते हैं जो शरीर के लिए बेहद जरूरी होते हैं ।हवन की राख को सूती कपड़े में बारीक छानकर पेयजल में प्रयोग करने पर यह सीधे रक्त प्रणाली में घुल मिल जाती है। बहुत से तंत्रिका तंत्र व पेट संबंधी रोगों में खनिज तत्वों की कमी एक प्रमुख कारण मानी गई है। आधुनिक दूषित खान पान परिवेश में शरीर में कैल्शियम मैग्नीशियम जिंक पोटेशियम जैसे तत्वों की कमी आम हो गई है। हवन की राख में यह सभी खनिज प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं। बहुराष्ट्रीय कंपनियां मैग्नेटाइज मिनरल वाटर पानी के नाम पर उपभोक्ता लोगों का उल्लू बना रही है लेकिन हवन की राख से युक्त पानी वास्तव में ही दिव्य जल है सच्चे अर्थों में मिनरल वाटर है। जरा सी जागरूकता बरतने पर जो आम आदमी की पहुंच में है। हवन की राख से युक्त पानी कब्ज निंद्रा चर्म रोग में अति लाभकारी है। इतना ही नहीं हवन की राख में यदि शुद्ध गाय का घी मिलाकर मधुमेह के रोगियों के घावों गैंग्रीन के घाव पर लगाया जाए तो घाव तेजी से भरता हैं। हवन की राख का घर की बगिया फल फूल सब्जी आदि पर छिड़काव किया जाये तो सब्जी आदि फसल रोग मुक्त पुष्टिकारक रसीले होते हैं। जितनी महिमा हवन की है उतनी ही महिमा हवन की राख की है चिकित्सीय प्रयोग के तौर। ऐसा इस कारण है हवन की राख हवन की सामग्री का दहन के पश्चात साररूप अंश होती है। अग्नि सभी पदार्थों में सूक्ष्म है यह प्रत्येक पदार्थ को शुद्ध करती है हवन की राख हवन में डाली जाने वाली चार प्रकार के द्रव्य रोग नाशक पुष्टिकारक सुगंधी कारक मिष्ठगुण युक्त का द्रवों का सक्रिय साररूप अंश होती है। हवन की राख के असंख्य आयुष्यवर्धक रोग नाशक प्रयोग है। राख से मतलब हवन की राख इस राख की गुणवत्ता हवन में डाले जाने वाली सामग्री की शुद्धता पर निर्भर करती है। जितनी शुद्ध सामग्री उतनी ही शुद्ध प्रभावशाली हवन की राख यह नितांत ध्यान रखने योग्य बात है। निसंकोच हवन की राख का पेयजल में प्रयोग करें ऐसा कर आप दिव्य जल पी रहे हैं। हवन की राख को जल आदि स्रोतों में डालना भी वैज्ञानिक क्रिया है ऐसा इस कारण है हवन की राख के अंदर जो एक्टिव रासायनिक कंपाउंड होते हैं वह जलीय बैक्टीरिया की ग्रोथ को कंट्रोल करते हैं लेकिन आज के परिवेश में जहां हमने अपने जल के स्रोत तालाब नदियां आदि को औद्योगिक कचरे घरेलू जैव अपशिष्ट से दूषित कर दिया वहां अब यह प्रयोग करना बेमानी है। ऐसे में हमें व्यक्तिगत पारिवारिक आरोग्य के लिए पेयजल में हवन की राख के प्रयोग को ही प्राथमिकता देनी चाहिए।
आर्य सागर खारी✍✍✍