उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने वक्फ बोर्ड से जुड़े राजस्व विभाग के 33 साल पुराने (7 अप्रैल 1989 के) आदेश को रद्द कर दिया। इस आदेश के साथ ही, सरकार ने वक्फ बोर्ड की संपत्तियों का सर्वे कर एक महीने के अंदर रिकॉर्ड मेंटेन (राजस्व अभिलेखों में दर्ज) करने का भी आदेश दिया।
अल्पसंख्यक कल्याण विभाग ने तत्कलीन सरकार द्वारा साल 1989 में जारी किए गए आदेश पर आपत्ति दर्ज करते हुए इसे निरस्त करने का एक प्रतिवेदन भेजा था। इस प्रतिवेदन को स्वीकार करते हुए प्रदेश सरकार ने एक नया आदेश जारी किया है।
उत्तर प्रदेश सरकार ने अपने नए आदेश में कहा है कि 7 अप्रैल 1989 से लेकर अब तक वक्फ बोर्ड की जो बंजर, ऊसर या अन्य जमीन जिनका रिकॉर्ड नहीं दर्ज है उनकी जानकारी जुटाई जाएगी। साथ ही, उत्तर प्रदेश वक्फ अधिनियम 1960 को लागू करते हुए वक्फ बोर्ड की सभी संपत्तियों को रजिस्टर्ड किया जाएगा।
वास्तव में, सरकार यह जानना चाहती है कि वक्फ संपत्तियों के रिकॉर्ड में कब्रिस्तान, मस्जिद, ईदगाह जैसी संपत्तियाँ सही स्थिति में दर्ज हैं या नहीं।
कांग्रेस सरकार का आदेश
उत्तर प्रदेश की तत्कलीन कांग्रेस सरकार ने 7 अप्रैल 1989 को आदेश जारी कर कहा था कि यदि राज्य में सामान्य संपत्ति बंजर, भीटा, ऊसर आदि जमीन का इस्तेमाल वक्फ (मस्जिद, कब्रिस्तान, ईदगाह इत्यादि) के रूप में किया जा रहा हो तो उसे वक्फ संपत्ति के रूप में ही दर्ज कर दिया जाए। इसके बाद, उसका सीमांकन किया जाए।
कांग्रेस सरकार के इस आदेश के चलते ही उत्तर प्रदेश की लाखों हेक्टेयर बंजर, भीटा, ऊसर जमीन वक्फ संपत्ति के रूप में दर्ज की गई थी। यानी कि कांग्रेस सरकार के आदेश ने करोड़ों रुपए की सरकारी जमीन को सीधे वक्फ बोर्ड के नाम कर दिया गया था।
आदेश के बाद क्या आई दिक्कत
वक्फ बोर्ड देश का तीसरा सबसे बड़ा जमीन का मालिक है। उत्तर प्रदेश समेत देश के हर राज्य में हजारों एकड़ जमीन समेत करोड़ों की संपत्तियाँ वक्फ बोर्ड के कब्जे में हैं। इनमें से कई ऐसी संपत्तियाँ भी हैं जिनमें गैर कानूनी तरीके से कब्जा किया गया है।
यही नहीं, ऐसी भी शिकायतें सामने आई हैं कि कांग्रेस सरकार के 33 साल पुराने इस आदेश के चलते पहले सरकारी जमीनों को वक्फ बोर्ड के नाम पर दर्ज करवाया गया। इसके बाद, इन जमीनों को बेचकर आवासीय कॉलोनी तक विकसित कर दीं गईं।
1989 से लेकर अब तक की सभी वक्फ संपत्तियों का सर्वे
अब चूंकि, उत्तर प्रदेश में साल 1989 से लेकर अब तक की सभी वक्फ संपत्तियों का सर्वे किया जाना है। ऐसे में, इस बात की उम्मीद जताई जा रही है कि यदि इस सर्वे में किसी जमीन पर गैर कानूनी कब्जा या फिर वक्फ बोर्ड के नाम पर रजिस्टर कराने के बाद जमीन को बेचने की बात सामने आती है तो फिर उस पर योगी सरकार कार्रवाई कर सकती है।
राज्य सरकार के इस फैसले पर अल्पसंख्यक कल्याण राज्य मंत्री दानिश आजाद अंसारी ने कहा है कि यह एक सामान्य विभागीय प्रक्रिया है। इस सर्वे का अन्य वक्फ संपत्तियों से कोई लेना-देना नहीं है।