युग के गहरे अंधकार में
जाति हमारी सोई है
होकर संज्ञा शून्य सुनहरे
सपनों में वो खोई है
देखें कौन मनस्वी
उसको करके यत्न जगाता है
अंधकार में ज्योतिपुंज ले
उसको राह दिखाता है !
ये आचार्य श्री धर्मेंद्र जी महाराज की रचना का एक अंश है । जिन्होंने श्रीरामजन्मभूमि आंदोलन में अभूतपूर्व योगदान दिया था । *19 सितंबर को जयपुर में 80 वर्ष की आयु में आचार्य श्री का देवलोकगमन हो गया ।*
आज भारत में हिंदुत्व का जो सूरज चमचमा रहा है उसमें आचार्य श्री का प्रचंड तेज भी शामिल है । ये लिखते लिखते आंखें भर आती हैं कि वो भारत भूमि के महान इतिहासपुरुष थे । मेरा सौभाग्य रहा कि मुझे भी उनका सान्निध्य प्राप्त था । और इसीलिए उनके जीवन के तमाम संस्मरण और यादें आज भी मैंने अपने मन में संजोई हुई हैं ।
*अटल जी के घुटनों पर आचार्य श्री की टिप्पणी*
जब पाकिस्तान और भारत के बीच एक बड़ी बैठक होने जा रही थी । तब उससे पहले अटल जी से आचार्य श्री की मुलाकात हुई थी । तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल जी… आचार्य श्री को विदा करने के लिए बाहर तक गए । तब अटल जी के घुटनों की तरफ इशारा करते हुए आचार्य श्री ने कहा था… अटल जी आपके घुटनों का ऑपरेशन सरकारी धन से हुआ है…. आपके घुटनों में भारत की जनता का पैसा लगा है… ये घुटने टेकने के लिए नहीं हैं ये घुटने झुकने नहीं चाहिए ।
*जब सबने मोदी का साथ छोड़ा तब मोदी का साथ दिया*
गुजरात में गोधरा के दंगे के बाद चुनाव हो रहे थे । पहली बार मुख्यमंत्री बने नरेंद्र मोदी के लिए ये चुनाव राजनीतिक जीवन मरण का प्रश्न था । लेकिन गुजरात दंगों के ऐन मौके पर गुजरात वीएचपी के कई नेताओं ने मोदी जी का प्रचार करने से मना कर दिया । तब स्वयं मोदी जी ने आचार्य श्री से प्रचार का आग्रह किया । उस वक्त आचार्य श्री की पत्नी का निधन हुआ था और वो शोक में थे । लेकिन इसके बाद भी आचार्य श्री ने गुजरात के राजनीतिक दौरे किए और अपनी प्रखर ओजस्विता के साथ भाषण देकर हिंदू वोटों के ध्रुवीकरण में अहम योगदान दिया । नरेंद्र मोदी ने मुख्यमंत्री रहते हुए जब जयपुर का दौरा किया तो अलवर में विराटनगर में महाराज जी के दर्शनों के लिए भी आए । विश्व के भावी नंबर वन नेता भी आचार्य श्री के बराबर नहीं बैठते थे शिष्यवत नीचे की कुर्सी पर ही बैठते थे ।
*बाला साहेब ठाकरे और आचार्य श्री*
बाला साहेब ठाकरे उम्र में आचार्य श्री से बहुत बड़े थे । बाल ठाकरे के जैसे व्यक्तित्व को कभी किसी के सामने भी झुकने के लिए नहीं जाना जाता था लेकिन जब बाला साहेब ठाकरे से मिलने के लिए आचार्य श्री मातो श्री आए तब बाला साहेब ठाकरे ने कमर तक झुककर आचार्य श्री को प्रणाम किया । जब वो गुजरात का दौरा करते थे तब बीजेपी के बड़े बड़े नेता, कैबिनेट मंत्री… आचार्य श्री के सामने शिष्यवत खड़े होते थे ।
*योगी आदित्यनाथ और आचार्य श्री*
योगी आदित्यनाथ के गुरु महंत अवैद्यनाथ जी और आचार्य श्री के बीच आध्यात्मिक मित्रता थी दोनों ही रामजन्मभूमि आंदोलन के बड़े नेता थे । इसी वजह से कई बार महंत अवैद्यनाथ जी से मिलने के लिए आचार्य श्री गोरखपुर आते थे । इसी दौरान योगी आदित्यनाथ जी को भी आचार्य श्री का सान्निध्य मिलता रहा ।
– *श्रीरामजन्मभूमि आंदोलन के नारे गढ़े*
श्री राम मंदिर आंदोलन के नारे आचार्य श्री ने दिए थे
बच्चा बच्चा राम का
जन्मभूमि के काम का
रामलला हम आएंगे
मंदिर वहीं बनाएंगे
जो हमारे राम का नहीं
वो हमारे काम का नहीं
ऐसे महान नारे आचार्य श्री धर्मेंद्र जी महाराज ने दिए थे जो श्रीरामचरितमानस की भावना से भी प्रेरित थे ।
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_नोट- कई मित्रों ने 9990521782 मोबाइल नंबर दिलीप नाम से सेव किया है लेकिन मिस्ड कॉल नहीं की , लेख के लिए मिस्ड कॉल और नंबर सेव, दोनों काम करने होंगे क्योंकि मैं ब्रॉडकास्ट लिस्ट से मैसेज भेजता हूं जिन्होंने नंबर सेव नहीं किया होगा उनको लेख नहीं मिलते होंगे.. जिनको लेख मिलते हैं वो मिस्डकॉल ना करें प्रार्थना_
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*बाबरी मस्जिद विध्वंस के आरोपी नंबर 1*
1992 में जब बाबरी मस्जिद का विध्वंस हुआ था। तब उसकी जांच के लिए लिब्रहन आयोग बनाया गया था आचार्य श्री लिब्रहन आयोग की रिपोर्ट में आरोपी नंबर 1 बनाए गए थे । आचार्य श्री ने इसे अपने लिए सौभाग्य की बात माना था ।
*यशस्वी पिता की यशस्वी संतान*
उनके पिता रामचंद्रवीर जी महाराज ने गोवंश की रक्षा के लिए देश का सबसे लंबा अनशन किया था । तीन महीने से भी ज्यादा लंबा अनशन था । आचार्य श्री भी 52 दिन अनशन पर रहे थे । रामचंद्रवीर जी महाराज की किताब विजय पताका पढ़कर अटल जी ने राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ ज्वाइन किया था । आचार्य श्री के पूर्वज गोपालदास जी महाराज भी एक महान ऋषि थे । जब औरंगजेब ने हिंदुओं के श्मशान पर टैक्स लगा दिया तब औरंगजेब के दरबार में जाककर गोपालदासजी महाराज ने चुनौती दी थी । जब औरंगजेब के सिपाही गोपाल दास जी महाराज को पकड़ने के लिए गए तो कोई मलेच्छ उनके शरी को छू ना ले इसलिए उन्होंने अपने छाती पर खंजर घोपकर अपने प्राणों का त्याग कर दिया था ।
(और बहुत सारे तमाम संस्मरण हैं जो उनसे जुड़े हुए हैं लेकिन लेख बहुत लंबा हो जाएगा)
अंत में बस इतना ही कि हे ईश्वर आचार्य श्री के तेज का कुछ अंश हमें भी प्राप्त हो तो हम जन्मभूमि के काम आ सकें ।
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