मैं एक चेतन और अविनाशी आत्मा — डॉ. कपिल देव शर्मा, दिल्ली

IMG-20220922-WA0028

“मैं कौन हूं” विषय पर व्याख्यान संपन्न

हमें प्रारंभ से ही आध्यात्मिक जीवन जीना चाहिए..प्रो. डॉ व्यास नंदन शास्त्री

महरौनी (ललितपुर).. महर्षि दयानंद सरस्वती योग संस्थान आर्य समाज महरौनी के तत्वावधान में मंत्री आर्यरत्न शिक्षक लखन लाल आर्य द्वारा संचालित आर्यों का महाकुंभ में दिनांक 20 सितम्बर ,मंगलवार को “”मैं कौन हं” विषय पर प्रसिद्ध वैदिक विद्वान् डॉ.कपिल देव शर्मा , दिल्ली ने कहा कि आज का मानव अपनी भौतिक उन्नति में इतना अधिक आगे बढ़ गया है कि अपना मौलिक पता ही भूल गया है।इस वजह से मैं कौन हूं जैसे आध्यात्मिक प्रश्न से वह बाहर होता जा रहा है । वेदों शास्त्रों, उपनिषदों आदि धार्मिक ग्रंथों को न जानने और न समझने के कारण हम शरीर के अधीन होकर आत्मा तक नहीं पहुंच पाते। मैं एक अविनाशी, अजर ,अमर ,नित्य और चेतन सत्ता आत्मा हूं जिसे शस्त्र नहीं काट सकते,आग जला नहीं सकती ,वायु सुखा नहीं सकती , और पानी गीला नहीं कर सकता ,ऐसी अमर सत्ता के रूप मैं चेतन आत्मा हूं।
डॉ.शर्मा ने कहा कि शरीर मरण धर्मा है पर आत्मा नित्य,शाश्वत है।इस सत्य को जानने के लिए योग से जुड़ना होगा।तप,साधना , यम ,नियम करके मनुष्य अपना परिचय जान सकता है ।
प्रवचन के प्रारंभ में वैदिक विद्वान् प्रो. डॉ .व्यास नंदन शास्त्री, बिहार ने विषय -प्रवेश करते हुए कहा कि “”मैं कौन हूं “”यह मानव जीवन का मूलभूत प्रश्न है । इस महत्वपूर्ण प्रश्न का उत्तर सबको जानना चाहिए ।इसके लिए हमें प्रारंभ से ही आध्यात्मिक जीवन जीना चाहिए। खासकर जातकर्म संस्कार में इसी प्रश्न को प्रथमत: उठाया गया है ।इससे स्पष्ट है कि प्रत्येक मानव को अपना आध्यात्मिक परिचय जानना ही चाहिए ।निसंदेह मैं एक चेतन जीवात्मा हूं। सुख, दु:ख, इच्छा, द्वेष, ज्ञान और प्रयत्न जीवात्मा के लक्षण हैं।
कार्यक्रम में डॉ. अखिलेश शर्मा जलगांव महाराष्ट्र, डॉ.निष्ठा विद्यालंकार लखनऊ, डॉ. वेद प्रकाश शर्मा बरेली, अनिल कुमार नरूला दिल्ली, भोगी प्रसाद जी म्यांमार, सुनील जी पंजाब ,डॉ दिनेश शर्मा ,जगदीश प्रसाद पाराशर, चंद्रकांता आर्य चंडीगढ़, ईश्वर देवी ,संतोष सचान, अदिति आर्य,आराधना सिंह शिक्षिका,सुमन लता सेन शिक्षिका,अवधेश प्रताप सिंह बैंस,रामसेवक निरंजन शिक्षक,अवध बिहारी तिवारी शिक्षक, डॉ अरिमर्दन सिंह राजपूत,राघवेन्द्र सिंह सिमीरिया, आदि ने अपने विचार प्रवचन एवं भजन के माध्यम से रखे।
अंत में प्रख्यात विदुषी डॉ निष्ठा विद्यालंकार के जन्मदिवस की हार्दिक शुभकामनाएं व ढेर सारी बधाइयां कार्यक्रम से जुड़े हुए सभी विद्वानों एवं विदुषियों ने तय उत्तम दीं ।
कार्यक्रम का संचालन आर्य रत्न शिक्षक श्री लखन लाल आर्य ने किया तथा पंडित पुरुषोत्तम मुनि वानप्रस्थ ने सबके प्रति आभार जताया।

Comment: