डॉ. रमेश ठाकुर
सिंगल विंडो सिस्टम लागू होने से निवेशकों के लिए उद्योग धंधे लगाने का रास्ता पहले के मुकाबले अब सुगम हुआ है। ऐसे प्रयास केंद्र से लेकर सभी राज्यों को भी करने चाहिए। राज्य में विकास के लिए हो रहे प्रयासों का प्रतिफल एक गुणात्मक शक्ल के तौर पर दिखा है।
बाबा हैं तो कुछ भी संभव है। आगामी आम चुनावों की सुगबुगाहट तेज हो गई है। 2024 के सियासी अखाड़े के लिए मैदान सजने लगे हैं। बमुश्किल डेढ़ वर्ष का ही समय शेष बचा है। इसलिए सभी दल अपनी-अपनी रणनीतियों में लगे हैं। भाजपा की निगाहें सबसे बड़े सूबे उत्तर प्रदेश पर हैं, जहां लोकसभा की अस्सी सीटें हैं, पार्टी ने सभी सीटें जीतने का लक्ष्य बनाया है। उससे पहले प्रदेश को एक ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था वाला प्रदेश बनाने का भी लक्ष्य रखा गया है जिसे साधने के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ कमर कस चुके हैं। दरअसल, बीते विधानसभा चुनाव में मिली अपूर्व सफलता और दृढ़ राजनीतिक स्थिरता के यश ने योगी के सपनों को और पंख लगा दिए हैं। कायदे से देखें तो वह अपनी दूसरी पारी को विकास के चुस्त मानकों पर खरा उतारने की हरसंभव कोशिशें भी करते दिख रहे हैं। निर्धारित लक्ष्य को पाने के लिए उन्होंने एक समयबद्ध कार्ययोजना भी तैयार की है, जिसमें पहले सौ दिन के लक्ष्य को उन्होंने पूरा किया।
बहरहाल, बिना लक्ष्य निर्धारण के कोई बात बनती भी नहीं? विकास का गहरा नाता लॉजिस्टिक सपोर्ट से ही होता है और इस लिहाज से आवागमन की द्रुत सुविधा सहित आधारभूत संरचना का विकास और विस्तार जरूरी होता है। उत्तर प्रदेश विकास के नए मॉडल के तौर पर उभरता भी दिखने लगा है। कमोबेश, ऐसी चर्चा अब होने भी लगी है। देश की राजनीति में उसके बड़े आकार और पारंपरिक तौर पर सूत्रधार की भूमिका भी उभरने लगी है। खनक दिल्ली तक सुनाई देने लगी है। अन्य राज्य भी उसी माडॅल को अपना रहे हैं। योगी सरकार न सिर्फ अपने शुरुआती दिनों के विकास के एजेंडे में बल्कि इसके पूर्व के अपने कार्यकाल में भी देश की सबसे तेज रफ्तार से सड़कों के निर्माण के रूप में ख्याति पा चुकी है। पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे, बुंदेलखंड एक्सप्रेस-वे, गंगा एक्सप्रेस-वे से शुरू हुआ सिलसिला निरंतर आगे बढ़ रहा है।
अगर आसानी से योगी एक ट्रिलियन अर्थव्यवस्था अर्जित कर लेते हैं तो वह सबसे बड़े नेता के तौर पर उभरेंगे। वैसे, भी इस वक्त मोदी-योगी के बीच लोग सियासी मुकाबला देखने भी लगे हैं। लेकिन इसके इतर योगी सिर्फ अपने काम पर ध्यान देते हैं। कानून-व्यवस्था से लेकर सुधर रही अर्थव्यवस्था में भी सूबा आगे बढ़ रहा है। हाल के कई सर्वे और खासतौर पर पिछले विधानसभा चुनाव के नतीजों का तथ्यात्मक विश्लेषण इस बात को साफ तौर पर रेखांकित करता है कि समाज से लेकर सरकार तक दिखने वाला माफिया तंत्र अब प्रदेश में कल की बात हो चुके हैं। माफिया-गुंडों का सिर उठाना अब वहां न सिर्फ मुश्किल है, बल्कि इस दिशा में हो रही फौरी और कठोर कार्रवाई देश में एक नई मिसाल बन रही है। ऐसा ही मॉर्डल हरियाणा में खट्टर सरकार अपना रही है, उनके नक्शेकदम पर चल भी पड़ी है। कानून व्यवस्था की चुस्ती में निवेश और विकास का एक अनुकूल माहौल भी बना है। बिजली आपूर्ति की स्थिति में सुधार ने निवेशकर्ताओं और औद्योगिक प्रतिष्ठानों के लिए इस माहौल को जहां और आकर्षक बनाया है। वहीं, रिश्वतखोरी पर लगाम और लालफीताशाही पर अंकुश से प्रदेश में अनुकूलता और सुदृढ़ता बढ़ी है।
सिंगल विंडो सिस्टम लागू होने से निवेशकों के लिए उद्योग धंधे लगाने का रास्ता पहले के मुकाबले अब सुगम हुआ है। ऐसे प्रयास केंद्र से लेकर सभी राज्यों को भी करने चाहिए। राज्य में विकास के लिए हो रहे प्रयासों का प्रतिफल एक गुणात्मक शक्ल के तौर पर दिखा है। कुल मिलाकर योगी की सरकार ने एक ट्रिलियन वाली अर्थव्यवस्था की नींव रख दी है। उनकी ये पहल अन्य राज्यों के लिए भी नजीर साबित होगी। वहां मौजूदा अर्थव्यवस्था $0.254 ट्रिलियन है, जिसमें कृषि की हिस्सेदारी 20-22 प्रतिशत, उद्योग की 18-20 प्रतिशत और सेवा क्षेत्र की 45-50 प्रतिशत हिस्सेदारी है, इसमें भी इजाफा किया जा रहा है। सरकार की बड़ी उपलब्धियों में से एक यूपी को डेटा सेंटर हब बनाने पर ध्यान केंद्रित किया गया है। डेटा सेंटर नीति के तहत, राज्य में आने वाले 16,147 करोड़ रुपये के निवेश के साथ चार लेटर ऑफ कंफर्ट जारी किए गये हैं। जापानी कंपनी 9000 करोड़ रुपए के निवेश के साथ डेटा सेंटर स्थापित कर रही है, अडाणी समूह भी इस क्षेत्र में भारी निवेश कर रहा है और एक छोटी कंपनी वेबवर्क्स इंडिया राज्य में डेटा सेंटर स्थापित करने के लिए 197 करोड़ रुपये का निवेश कर रही है। इस तरह के निवेश में 4000 से अधिक नौकरियां पैदा करने की क्षमता है।
मालूम हो कि उत्तर प्रदेश में 20,000 एकड़ का लैंड बैंक तैयार है जहां व्यापक लैंड बैंक पॉलिसी की योजना तैयार हो रही है जिसमें लैंड लीजिंग, लैंड पूलिंग, एक्सप्रेस-वे के किनारे तेजी से अधिग्रहण आदि विषय सम्मिलित हैं। बेहतर कानून व्यवस्था, सभी महत्वपूर्ण क्षेत्रों के लिए नई औद्योगिक नीति का ही नतीजा है कि राष्ट्रीय स्तर पर ईज ऑफ डूइंग बिजनेस की रैंकिंग में यूपी 12वें पायदान से नंबर दो पर पहुंच गया है प्रदेश। फरवरी, 2018 की इन्वेस्टर समिट में बदले माहौल और नीतियों का नतीजा भारी निवेश के रूप में दिखने लगा है। इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम डिजाइन मैन्युफैक्चरिंग, खाद्य प्रसंस्करण, डेयरी, वस्त्रोद्योग, पर्यटन और फिल्म आदि क्षेत्रों में उत्तर प्रदेश में पारंपरिक निवेश के अवसरों के अतिरिक्त सौर ऊर्जा, जैव ईंधन और नागरिक उड्डयन में उपलब्ध असीम संभावनाओं को प्रोत्साहन दिया जा रहा है। डिफेंस एवं एयरोस्पेस, वेयरहाउसिंग एवं लॉजिस्टिक्स, डेटा सेंटर, इलेक्ट्रिक वाहन, फार्मास्युटिकल उद्योग जैसे सेक्टर अब राज्य में निवेश के नए केंद्र हैं। दादरी में मल्टीमॉडल लॉजिस्टिक्स पार्क और बोडाकी में ट्रांसपोर्ट हब, ग्रेटर नोएडा क्षेत्र को उत्तरी भारत के सबसे बड़े लॉजिस्टिक्स हब के रूप में स्थापित कर रहे हैं।
प्रदेश ही नहीं, बल्कि समूचे देश के लिए डिफेंस इंडस्ट्रियल कॉरिडोर एक महत्वाकांक्षी परियोजना है। इससे मेक इन इंडिया डिफेंस के लिए राज्य में विद्यमान विशाल एमएसएमई आधार को लाभ मिलेगा। डिफेंस इंडस्ट्रियल कॉरिडोर में 50,000 करोड़ रुपये के निवेश की संभावना है। ऐसे रास्ते सभी राज्य सरकारों को अपनाने होंगे, तभी देश तरक्की की उड़ान और तेजी से भर सकेगा। ऐसे मल्टीमॉडल परियोजनाओं से युवाओं को भी भरपूर रोजगार मिलेगा। केंद्र सरकार को ऐसे प्रयोगों से सभी मुख्यमंत्रियों को जोड़ना चाहिए, उन्हें प्रत्योसाहित भी करना चाहिए।
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