नई दिल्ली। ( विशेष संवाददाता ) आर्य जगत के दानवीर धर्मवीर और शूरवीर के नाम से विख्यात और एक अनोखे व्यक्तित्व और कृतित्व के स्वामी ठाकुर विक्रम सिंह का 80 वां जन्मदिवस महर्षि दयानंद के सपनों के भारत के निर्माण के संकल्प के साथ मनाया गया। ईस्ट ऑफ कैलाश स्थित आर्य ऑडिटोरियम में संपन्न हुए इस कार्यक्रम में देश भर की विभिन्न हस्तियां उपस्थित हुईं। सभी ने राष्ट्र के निर्माण में उनके विशेष योगदान की भूरी भूरी प्रशंसा की।
इस अवसर पर आर्य जगत के विभिन्न विद्वानों आचार्य गुरुकुल आदि को ठाकुर विक्रम सिंह जी ने परंपरागत ढंग से सम्मानित किया। उन्होंने कहा कि यह उनके लिए सौभाग्य की बात है कि आर्य समाज में उनकी आंखें खुली, जहां राष्ट्र सर्वप्रथम मानकर कार्य करने की प्रेरणा दी जाती है। ठाकुर विक्रम सिंह ने कहा कि वेद भक्त ,ईश्वर भक्त और राष्ट्रभक्त होने की कोई पाठशाला यदि संसार में है तो वह केवल आर्य समाज है। इस पवित्र समाज के ऐसे ही पवित्र संस्कारों और विचारों ने उनके भीतर क्रांति मचाई, जिसके चलते उन्होंने संपूर्ण जीवन राष्ट्र के लिए समर्पित किया।
उन्होंने कहा कि वह भविष्य में भी इसी प्रकार के अपने कार्य में लगे रहेंगे। उन्होंने युवाओं से आह्वान किया कि वे संगठित होकर ऋषि दयानन्द के सपनों का भारत बनाने के लिए संकल्पित हों ।
कार्यक्रम में अपने विचार व्यक्त करते हुए राष्ट्र निर्माण पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और पूर्व आईपीएस डॉ आनंद कुमार ने कहा कि ठाकुर साहब ने एक मशाल बनकर मिसाल कायम की है। संपूर्ण जीवन संसार के लिए और राष्ट्र निर्माण के लिए समर्पित कर उन्होंने अपने आप को एक ऐसी मशाल बनने का कार्य किया है जिसे कोई बिड़ला ही बना पाता है। उन्होंने कहा कि राष्ट्र निर्माण पार्टी का पौधा रोकना और उसे सींच कर बड़ा करना कोई छोटी बात नहीं है। उसके लिए वह आज भी हमारा मार्गदर्शन कर रहे हैं, जो हमारे लिए सौभाग्य की बात है। डॉ आनंद कुमार ने कहा कि भारत को पहले दिन से ही गलत नेतृत्व मिला। जिसके कारण दिशाहीन युवा पीढ़ी आज किंकर्तव्यविमूढ़ की अवस्था में खड़ी है। यदि ऋषि दयानंद के सपनों का भारत बनाने के लिए भारत पहले दिन से संकल्पित होता तो आज स्थिति कुछ दूसरी होती। बस ,यही टीस ठाकुर साहब के भीतर है। जिसके लिए वह दिन रात परिश्रम कर रहे हैं। हम चाहेंगे कि संपूर्ण देश की राष्ट्रवा दी और श्रेष्ठ पुरुषों की शक्ति एक साथ आए और भारत भारत के रूप में जगमगाकर विश्व नेतृत्व की अपनी पुरानी पहचान को स्थापित करने में सफल हो।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे आर्य जगत के सुप्रसिद्ध विद्वान स्वामी प्रणवानंद सरस्वती जी महाराज ने ठाकुर साहब को अपना आशीर्वाद देते हुए कहा कि वह शस्त्र बल और शास्त्र बल दोनों का अद्भुत समन्वय है। यही भारत की प्राचीन पहचान है और इसी पहचान को कायम करने के लिए ठाकुर विक्रम सिंह का जीवन समर्पित है। इसी प्रकार के विचार कविता के माध्यम से रखते हुए सुप्रसिद्ध कवि सारस्वत मोहन मनीषी ने कहा कि वेद ने शस्त्र और शास्त्र के जिस अद्भुत समन्वय को स्थापित कर राष्ट्र निर्माण की बात की है उसी समन्वय को आधार बनाकर ठाकुर विक्रम सिंह राष्ट्र निर्माण का कार्य कर रहे हैं। उन्होंने आर्यों से आवाहन किया कि वह राष्ट्र निर्माण पार्टी के साथ जुड़ड़कर ठाकुर साहब के सपनों के साथ अपने सपनों को मिला दें इसी में महर्षि दयानंद का भारत बनकर उतरेगा।
इस अवसर पर जिन अन्य महान विभूतियों और प्रख्यात विद्वानों ने ठाकुर विक्रम सिंह को अपनी शुभकामनाएं दीं उनमें स्वामी आर्य वेश ,स्वामी आदित्य वेश, स्वामी तपस्वी जी, जाने-माने पत्रकार वेद प्रताप वैदिक, जाने-माने इतिहासकार डॉ राकेश कुमार आर्य, स्वामी सुखानंद सहित राष्ट्र निर्माण पार्टी मध्य प्रदेश के अध्यक्ष डॉक्टर जयपाल सिंह ,पार्टी के कोषाध्यक्ष डॉक्टर दानवीर योगी, दिल्ली प्रदेश के महासचिव वीरेंद्र सूर्यवंशी, डॉ कपिल , आचार्या सुकामा आदि का नाम विशेष रूप से उल्लेखनीय है।