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सन 18 80 तक पूरे यूरोप ,मध्य पूर्व यहां तक कि चीन में भी बीमारियों के लिए दुष्ट हवा, बुरी हवा को जिम्मेदार ठहराया जाता था यूनानी भाषा में दुष्ट हवा को मियाजिमा बोला जाता है | 18 58 में आधे लंदन की आबादी हैजे के कारण साफ हो गई… हैजा जो दूषित जल से मल में पाए जाने वाले जीवाणु से फैलता है… अंग्रेज भी उसे हवा से फैलने वाला रोग समझते थे जोकि कोरा अज्ञान था पूरे यूरोप को मालूम ही नहीं था कि सूक्ष्म जीव रोगों का कारण है रोग पानी से भी फैलते हैं… जिसे Jerm theory of desase कहा गया है | भला हो ईश्वर कृपा से लुइ पाश्चर जैसे वैज्ञानिकों ने जिन्होंने यूरोप में जन्म लिया जिन्होंने प्रयोगों से सिद्ध किया कीटाणुओं से रोग फैलता है |

जबकि कि अपने भारतवर्ष में हजारों लाखों वर्ष पूर्व भी सूक्ष्म जीवो से होने वाले रोग का पूरा परिज्ञान था ..उनकी चिकित्सा की एक विकसित चिकित्सा पद्धति थी.. जिसे भूत चिकित्सा बोला जाता है भूत के अनेक अर्थ होते हैं आयुर्वेद में भूत का अर्थ सूक्ष्मजीव से लिया गया है |लाखो वर्ष पहले ही हमारे पूर्वज जानते थे है हैजा पीलिया रोग दूषित जल से होता है… हमारे पूर्वज वायु की शुद्धि के साथ साथ जल शुद्धि की भी बात करते थे… अरबो लीटर जल को आकाश में ही शुद्ध कर दिया जाता था.। मेघों के जल को बरसने से पूर्व भी बड़े-बड़े यज्ञ के माध्यम से वायुमंडल में ही शुद्ध कर दिया जाता था | वेदों में अनेक शब्द है रोग नाशक पुष्टि दायक जल के लिए…. प्राचीन भारत वर्ष की महिमा का बखान जितना करें उतना कम है|

हमारी देश की महिमा बड़ी सुहानी है सबसे निराली है सबसे पुरानी है|

हमारा देश ही मालिक था हर खजाने का,
यही था सोने की चिड़िया गुरु ज़माने का ||

फक्र हासिल था इसे देवघर कहाने को,
जहाँ में एक ही ये दर था सर झुकाने को|

हर एक ज्ञान का दाता इसे बताते थे
कलाएं सिखने सारे यहीं पे आते ||

ऋषि मुनियों का यहीं पे निवास होता था
ज्ञान भंडार भरा जिनके पास होता था |

दिशाएं गूंजती थी वेद की ऋचाओं से,
सुगन्धि फेलती थी हवन की हवाओ से ||

हमारी देश की महिमा बड़ी सुहानी है
सबसे निराली है सबसे पुरानी है ।।।।

आर्य सागर खारी ✍️✍️✍️

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