गीता मेरे गीतों में , गीत 48 ( गीता के मूल ७० श्लोकों का काव्यानुवाद)
जाग आज के अर्जुन तू भी …….
गीता ने अर्जुन को जगाया दिया अलौकिक अद्भुत ज्ञान,
जाग आज के ‘अर्जुन’ तू भी, क्यों सोता है चादर तान ?
आज फिर से परीक्षा तेरी होगी ,बोल रहा है हिंदुस्तान,
शत्रु दल फिर खड़ा सामने, भरा हुआ है सब मैदान।
युद्ध – भूमि में पीठ फेरना, नहीं रही तेरी पहचान ,
वीरों सी हुँकार भरो , और ठोको शत्रु – छाती तान।।
प्राणिमात्र में श्रेष्ठ है मानव , वेदों ने ऐसा बतलाया,
उन्नति के जितने साधन हैं , सब में संपन्न बनाया,
अन्य प्राणी को नहीं दिए , यह सबसे श्रेष्ठ बनाया,
सोच समझने की शक्ति दी, मार्ग सही समझाया।
ज्ञान – विज्ञान दिया बुद्धि में, है सबसे उत्तम बुद्धिमान ….
गीता ने अर्जुन को जगाया दिया अलौकिक अद्भुत ज्ञान,
जाग आज के ‘अर्जुन’ तू भी, क्यों सोता है चादर तान ?
अपनी – अपनी मुक्ति करना यह कोई अच्छी बात नहीं,
मुक्ति की युक्ति खोजो सबकी, इससे उत्तम बात नहीं,
ज्ञान जागरण हुआ यदि तो फिर होती है रात नहीं,
‘अमृत – पुत्र’ हो तुम ईश्वर के ,यह कोई छोटी बात नहीं।
सबसे उत्तम तुम्हें बनाया , मानो ईश्वर का एहसान …
गीता ने अर्जुन को जगाया दिया अलौकिक अद्भुत ज्ञान,
जाग आज के ‘अर्जुन’ तू भी, क्यों सोता है चादर तान ?
जब – जब जीवन से भटकेगा और धर्म से होगा दूर,
तब – तब रण का साज सजेगा, जो होता है बड़ा क्रूर,
रण क्षेत्र है जीवन भी एक, रोमांच भरा इसमें भरपूर,
जाता जो भी जीत इसे, कहलाता है वह सच्चा शूर ।
कितने दुष्ट दुराचारी हैं , सबको एक ‘चुनौती’ मान …..
गीता ने अर्जुन को जगाया, दिया अलौकिक अद्भुत ज्ञान,
जाग आज के ‘अर्जुन’ तू भी, क्यों सोता है चादर तान ?
यह गीत मेरी पुस्तक “गीता मेरे गीतों में” से लिया गया है। जो कि डायमंड पॉकेट बुक्स द्वारा प्रकाशित की गई है । पुस्तक का मूल्य ₹250 है। पुस्तक प्राप्ति के लिए मुक्त प्रकाशन से संपर्क किया जा सकता है। संपर्क सूत्र है – 98 1000 8004
डॉ राकेश कुमार आर्य