अचानक भारतीय कंपनीयों का ही विरोध क्यों ?
जबकि विदेशी कंपनियाँ बहुत समय से कई क्षेत्रों मे कब्जा करके बैठी हैं” उनका क्यों नहीं?
अडानी” ओर “अंबानी “जिस जिस व्यापार मे आये, विदेशी कंपनियों की बैंड बजा दी ।
बस यही कारण है की इन विदेशी एजेंटों द्वारा अपने ही देश का बहिष्कार हो रहा है । जरा सोचो “Jio” के आने से पहले कितनी लूट थी ?
जब “अडानी एग्रो ” शुरू हुआ तो “पेप्सिको” डोमीनोज ” वोलमार्ट” ओर मैकडोनाल्ड को क्या तकलीफ ? वो तो सालों से बड़े बड़े गोदाम लेकर बैठे है। रिलायंस_रिटेल से अमेजन और फ्लिपकार्ट को टक्कर मिल रही है ।
दुनिया को “5G” टेक्नोलॉजी चीन दे रहा है भारत मे भी करोड़ों इन्टरनेट ग्राहक है परन्तु जैसे ही “रिलायंस_Jio ” ने ये टेक्नोलॉजी विकसित की तो ये “विदेशी एजेंटो ” ने बहिष्कार चालू किया ।
क्या अडानी, अंबानी आपसे जबरदस्ती कर रहाँ है ? दूसरी कंपनी से मंहगा है ? तो सस्ता वाला ले लो। 20 रुपये लीटर पेप्सी का पानी जो फाइव स्टार होटल में 200 से 250 रुपये लीटर मिलता हैं, हमें पसन्द है। ट्विंकल ट्विंकल लिटिल स्टार वाले। तो अपने ही देश का बहिष्कार क्यूँ ?
पतंजलि वाला आपको जबरदस्ती कोई प्रोडक्ट नहीं बेचता , हा वो HUL, COLGATE, ITC जैसी विदेशी कंपनियों को टक्कर जरुर देता है फिर नफरत क्यों, दुष्प्रचार क्यों ?
ये विदेशी कंपनीयां भारत से अरबों, खरबो रुपये का बिजनेस करती है हर महीने करोड़ो के विज्ञापन मीडिया को देती है तो क्या वो देशी कंपनियों को बदनाम करने के लिए कुछ करोड़ इन नेताओं ओर लीडरों को नहीं दे सकती ? इन विपक्षी समर्थक सिर्फ मोदी विरोध के चक्कर मे अपने ही देश का बहिष्कार क्यों करते है ?
क्या” अडानी ” ओर ” अंबानी ” नरेन्द्र मोदी ( 2014 ) के आने के बाद ही बिजनेस मैन बने ? पहले भिखारी थे ? अपनी इस सोच से दरअसल लोग विदेशी ताकतो के एजेंडे को बढा़ रहे हैं।। अपने ही देश का नुकसान कर रहे हो। तुम ही हो जो स्वदेशी भारत का विरोध कर रहे हो कहेते हो रुपया कमजोर क्यों हो रहाँ है ।
याद है यही ” अडानी ” ओर “अंबानी ” का बहिष्कार सबसे पहले राहुल गांधी ने ” राफेल” सौदे को अटकाने के लिये किया था फिर झूठ फैलाने के लिए कोर्ट मे मांफी मागी थी।
फिर ये विरोध शाहीनबाग मे हुआ बताओ “CAA” से इनको क्या लेना-देना ?
वामपंथी संगठन, कांग्रेस समर्थन कर रहे है ओर कुछ अक्ल के अंधे इसे ” मोदी विरोध ” समझकर अफवाहों को हवा देते है ।। यह जो सरकार इतनी योजनायें चला रही है, यह पैसा टैक्स से ही आता है। हमारे देश की कम्पनियाँ आगे बढ़ेंगी तो देश का पैसा देश में रहेगा और लोगों को रोजगार भी मिलेगा।
बाकी आपकी मर्जी। सभी लोग समझदार हैं।
कोका कोला 1980 मे भारत में आया और 11 soft drink Indian/other brands पर कब्जा कर लिया बाकी को Pepsi ने ले लिया ! कोई विरोध कोई शोर नहीं !
अमेजन लगभग हर शहर के बिजनेस व धर्म पर हमला कर रहा है ! कोई विरोध कोई शोर नहीं
Blue Dart, DHL & FedEx जैसी कूरियर सर्विस आई और अपने जहाज भी लाई । अब पूरे व्यवसाय पर कब्जा कर लिया ! कोई विरोध कोई शोर नहीं ।
चीनी और कोरियाई मोबाइल भारत में छा गये ! सबने लपालप खरीदा! कोई विरोध, कोई शोर नहीं !
Nestle, Maggi, ITC, Pepsi, ने फार्म सेक्टर मे प्रवेश किया ! कोई विरोध, कोई शोर नहीं !
Vehicles mfg industry, two wheelers, वाहन और स्कूटर उद्योग में Honda, Hyundai इत्यादि ने अपना वर्चस्व जमाया जबकि हमारे उद्योग काफी थे ! कोई विरोध कोई शोर नहीं !
लेकिन भारत के अडानी, अंबानी जैसो के कृषि क्षेत्र में प्रवेश पर अचानक विरोध क्यों ? क्या वे जबरन हमारी फसल खरीद सकते हैं, कभी सोचा ? नहीं ! क्या पतंजलि भारत के लिए खतरा है ?
अचानक भारतीय कंपनी का ही विरोध क्यों ?
जबकि विदेशी कंपनियाँ बहुत समय से कई क्षेत्रों मे कब्जा कर रही हैं ! क्या यह साधारण सामान्य ज्ञान की कमी की वजह से नहीं है ? या किसी कुटिल, योजनाबद्ध तरीके से भारत में अशांति फैलाकर विभाजित करने की प्रकिया का अंग है ?