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इतिहास के पन्नों से

इंदिरा गांधी यदि कुछ और समय जिंदा रहती तो भारत हिंदू राष्ट्र बन गया होता ? ——इंजिनीयर श्याम सुन्दर पोद्दार, राष्ट्रीय महामंत्री, अखिल भारत हिन्दु महासभा ——

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कुछ भी हो कांग्रेस के नेताओं में आज तक जितने भी प्रधानमंत्री बने हैं उनमें सबसे अधिक मजबूत निर्णय लेने वाला यदि कोई प्रधानमंत्री था तो वह इंदिरा गांधी रही है। वह अपनी मजबूती और ठोस निर्णय के लिए इतिहास में जानी जाती हैं। उनके निर्णयों के भीतर अपने पिता के जैसी ढुलमुल नीति नहीं थी राष्ट्रहितों को लेकर भी वह कई बार मजबूती के साथ खड़ी रहीं।
उन्होंने जो कुछ किया डंके की चोट किया। लोगों को उनसे कई अपेक्षाएं थी।
कोई भी मेरे लेख की हेडिंग को पढ़ेगा वह अवाक हो जायेगा। इन्दिरा गांधी भारत को हिन्दु रास्ट्र बनाती ? यह सत्य है। १९८० के बाद भारतीय जनसंघके संस्थापक व भारतीय जनसंघ के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रोफ़ेसर बलराज मधोक पूर्व सांसद ने एक पुस्तक लिखी “हिन्दु राज्य का औचित्य”। इसके प्रकाशन से इस्लामिक रजनीतिज्ञो व बामपंथी दलो में खलबली मच गई। दल मत निर्विशेष से सभी मुस्लिम लोकसभा व राज्य सभा के सदस्यों ने इन्दिरा गाँधी से मिलकर प्रोफ़ेसर बलराज मधोक की पुस्तक हिन्दु राज्य का औचित्य को प्रतिबंधित करने की माँग की। इस माँग को देखते हुवे इन्दिरा गाँधी ने अपने एक बिस्वस्त अधिकारी श्री चतुर्वेदी को प्रोफ़ेसर मधोक के पास भेजा। श्री चतुर्वेदी ने श्री मधोक से हिन्दु राज्य का औचित्य पुस्तक की एक प्रति माँगी। श्री मधोक ने श्री चतुर्वेदी से कहा इन्दिरा गांधी को देने के पहले वह स्वयम पढ़ ले इसके लिए और जानकारी चाहिए तो मैं पूर्ण सहयोग करने को तैयार हु। श्री मधोक ने श्री चतुर्वेदी से कहा इस पुस्तक को पढ़ लेने के बाद आपको मुसलमान सांसदो द्वारा उनकी पुस्तक के बिरोध का कारण मालूम हो जायेगा।
एक सप्ताह बाद वह अधिकारी पुनः श्री मधोक से मिलने उनके निवास पर आया। उसने उस पुस्तक की दस प्रतियाँ श्री मधोक को दीं। श्री चतुर्वेदी ने श्री मधोक से कहा की मैंने इसकी १०० प्रतियाँ बना और अपने अधिकारियों में बँटवा दिया। श्री चतुर्वेदी ने श्री मधोक से कहा यह पुस्तक तथ्यात्मक व वस्तुपरक है। मैंने इस पुस्तक को ध्यान से पढ़ा है इस पुस्तक पर प्रतिबंध लगाने का सवाल ही पैदा नही होता। दूसरे दिन संसद में उनकी पुस्तक पर प्रतिबंध की माँग करने वाला मुख्य नेता सैय्यद शाह बुद्दिन श्री मधोक को मिल गया। श्री मधोक ने उससे कहां मेरी पुस्तक पर तो प्रतिबंध नही लगेगा अब मै माँग करने वाला हु। क़ुरान पर प्रतिबंध लगाया जाय। क्योंकि साम्प्रदायिक बिद्वेस की यही जड़ है। वह अवाक रह गया।
१९८३ के अन्तिम चरण में पुनः श्री चतुर्वेदी लाव लसकर के साथ श्रमधोक़ जी के घर गये व उन्होंने श्रीमाटी इन्दिरा गाँधी का संदेश श्री मधोक को दिया। श्री चतुर्वेदी ने श्री मधोक़ से कहा इन्दिरा जी ने आपकी पुस्तक हिन्दु राज्य का औचित्य को पुरा पढ़ा है। इन्दिरा जी आपको केंद्रीय मंत्रिमंडल में लाना चाहती है। राज्य सभा में वे ले आयेंगी आपके अनुसार हिन्दु राज्य का निर्माण केंद्रीयमन्त्री मण्डल में आपके सामिल हूवे बिना सम्भव नही। आप हड़बड़ी मत कीजियेगा। आपने सारी ज़िंदगी इन्दिरा जी का बिरोध किया है। आपको निर्णय लेने में समय लगेगा। कोई बात नही। जब तक श्री मधोक अपना निर्णय बताते इन्दिरा जी की हत्या हो गई। राजीव गांधी ने शायद राम मंदिर का ताला अपनी मा की श्री मधोक द्वारा बदले विचारो का तो परिणाम नही ?
सचमुच यदि वह जीवित रहती तो भारत हिंदू राष्ट्र बन गया होता। परंतु नियति को शायद यह मंजूर नहीं था। यही कारण रहा कि अभी हमें और समय का इंतजार करना पड़ रहा है। यद्यपि मेरा मानना है कि अब वह दिन दूर नहीं जब देश हिंदू राष्ट्र घोषित होगा।

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