डॉ संजीव कुमारी द्वारा भारत में पहली बार पाबूजी की फड़ गायन को लिखित रूप में सहेजने का काम किया गया है। 110 पृष्ठों की इस पुस्तक में भगवान पाबूजी महाराज की मान्यताओं को सांस्कृतिक विरासत के रूप में सहेजने का बड़ा काम डॉक्टर संजीव कुमारी ने किया है। उन्होंने अस्तित्व से जूझती फड़ को संरक्षित करते हुए भगवान पाबूजी के उपासकों को एक अनमोल उपहार भेंट किया है। जिससे करोड़ो उपासकों में अपार प्रसन्नता की लहर है। श्री कृष्ण बेदी जी ने डॉ. संजीव को बधाई देते हुए लेखन में निरंतर आगे बढ़ते रहने के लिए शुभकामनाएं दी हैं। इस अवसर पर शौर्य उत्थान सेवा समिति ट्रस्ट व समस्त ग्रामीणवासीयों सहित श्री सुनील कुमार राठौड़, सानवी, श्री बनवारी लाल बटार , परमीत बटार ढाणी पाल व अन्य मौजूद रहे। इस अवसर पर उपस्थित गणमान्य व सम्मानित जनों ने डाॅ. संजीव को बधाई प्रेषित की है।
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