ग्रेटर नोएडा। ( अजय कुमार आर्य) गुरुकुल मुर्शदपुर में चल रहे 21 दिवसीय वेद पारायण यज्ञ में मुख्य वक्ता के रूप में बोलते हुए उगता भारत समाचार पत्र के मुख्य संपादक डॉ राकेश कुमार आर्य ने कहा कि देश को आजाद कराने में आर्य समाज का अविस्मरणीय योगदान रहा है। उन्होंने अपने ओजस्वी वक्तव्य में कहा कि नेताजी सुभाष चंद्र बोस को सावरकर ने विदेश में जाकर आजाद हिंद फौज का नेतृत्व संभालने की शिक्षा दी थी। उसके बाद नेताजी लाहौर आर्य समाज सम्मेलन में उपस्थित हुए थे। आर्य समाज के यशस्वी नेता महाशय कृष्ण जी उस समय “प्रताप” जैसे क्रांतिकारी पत्र के संपादक हुआ करते थे।
लाहौर में नेताजी से महाशय कृष्ण जी की भेंट हुई। तब महाशय कृष्ण ने नेताजी से पूछा था कि क्या आपको सावरकर ने विदेश जाकर आजाद हिंद फौज की कमान संभालने का आदेश दिया है ? इस पर नेता जी ने कहा था – जी हां। तब उन्होंने कहा था कि “आप निश्चिंत रहें। आर्य समाज के आर्य वीर दल संगठन का एक-एक कार्यकर्ता, विद्यार्थी, युवक, ब्रह्मचारी आपके लिए समर्पित है। आप जब भी आवाज देंगे तभी हम अपने इन योद्धाओं को आपके लिए समर्पित कर देंगे। इस पर नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने कहा था कि आर्य समाज मेरी मां है। जिसने देश के लिए बहुत कुछ किया है। डॉक्टर आर्य ने कहा कि राजा महेंद्र प्रताप सिंह के सेक्रेटरी के रूप में स्वामी श्रद्धानंद जी के बेटे हरिश्चंद्र विद्यालंकार ने कार्य किया था। जिन्होंने विदेश में जाकर चोरी-छिपे क्रांतिकारी गतिविधियों के लिए बहुत बड़ी धनराशि एकत्रित की थी। इसके साथ-साथ क्रांतिकारी युवकों को एक साथ जोड़ने का काम भी करते रहे थे। परंतु वह कहां गए और अंत में उनका क्या हुआ ? यह प्रश्न आज तक अनुत्तरित है।
डॉ आर्य ने रानी पद्मिनी के जोहर का उल्लेख करते हुए कहा कि हमारे देश में अनेक वीरांगनाओं ने अपने बलिदान दिए हैं। कर्नल टॉड जैसा इतिहासकार रानी पद्मिनी और उनकी सहेलियों के बारे में लिखता है कि जब वह जोहर के लिए जा रही थीं तो स्वाधीनता के मंगल गीत गा रही थीं।
डॉ आर्य ने कहा कि स्वाधीनता के मंगल गीत शब्द ध्यान देने योग्य हैं। जिनसे पता चलता है कि अब से 700 वर्ष से भी पहले हमारे लोग जो भी कुछ कर रहे थे वह स्वाधीनता के लिए कर रहे थे । इस बात को यदि एक विदेशी इतिहासकार लिख सकता है और मान सकता है तो हमें भी मानना चाहिए कि हमारा स्वाधीनता संग्राम कल परसों का या किसी गांधी जैसे नेता की दिमाग की पैदाइश नहीं था बल्कि इसे हमने सदियों पहले लड़ना सीख लिया था और इसे अपने खून से सींचना भी सीख लिया था।
इस अवसर पर कार्यक्रम के संयोजक श्री देव मुनि जी ने भी अपने राष्ट्रवादी विचार रखे और लोगों से राष्ट्र के लिए समर्पित होकर काम करने के लिए आह्वान किया। उन्होंने कहा कि अपने यज्ञों के माध्यम से हमें विचारधारा को विस्तार देना चाहिए। यज्ञ की विचारधारा अंत में राष्ट्र के यज्ञ में परिवर्तित हो जाती है। जहां पर बलिदानों से राष्ट्रीय यज्ञ को सजाया जाता है। कार्यक्रम का सफल संचालन आर्य सागर खारी द्वारा किया गया। इस अवसर पर दिवाकर आर्य, विजेंद्र सिंह आर्य, प्रताप सिंह आर्य, आचार्य दुष्यंत कुमार,
सहित सैकड़ों गणमान्य लोग उपस्थित थे।