——-इंजीनियर श्याम सुन्दर पोद्दार,महामन्त्री,अखिल
भारत हिन्दु महासभा ———————————————
हिंदुस्तान में जितना भर भी मुसलमान आज रहता है यह सभी उन लोगों की औलाद हैं जिन्होंने 1945 – 46 के नेशनल असेंबली के चुनावों में मुस्लिम लीग का समर्थन करते हुए पाकिस्तान की मांग को उचित माना था। आज यदि यह हिंदुस्तान में है तो बाई चॉइस नहीं बल्कि बाई चांस एक दुखद संयोग के कारण रह रहे हैं। देश की आजादी के लिए बलिदान देने की डींग मारने वाले असदुद्दीन ओवैसी और उस जैसे अन्य मुस्लिम नेता कभी भी इस बात को स्वीकार नहीं करेंगे कि यदि हमने देश की आजादी के लिए थोड़ा बहुत आंशिक बलिदान कहीं दिया भी तो उसकी बहुत बड़ी कीमत इस देश को तोड़कर हमने प्राप्त कर ली थी। एक बार बड़ी कीमत लेकर फिर बलिदानों का हवाला देकर बड़ी कीमत लेने की तैयारी अभी की जा रही है तो उसके लिए हिंदू समाज को जागना होगा।
भारत वर्ष में जितने भी मुसलमान रहते है उनमें से कोई भी नही कह सकता है मेरे बाप दादाओं ने पाकिस्तान नही बनाया। आपके याद दिलवा दूं आपके बाप दादाजी ने यह नारा लगाया था कि हम इस्लाम को मानने वाले काफिर हिंदुवो के साथ नही रह सकते। हमारा इस्लाम हमें इसकी इजाज़त नही देता। इसलिये हमें अलग से हमारा होमलैंड इस्लामिक राज्य पाकिस्तान चाहिये। आप के बाप दादाजी ने मुस्लिम लीग को वोट दिया व मुसलमानो के ९३ प्रतिशत वोट पाकर मुस्लिम लीग़ को
तीस सीट मिली इसलिये तो मुस्लिम लीग पाकिस्तान बनाने में सफल रही। जिन ७ प्रतिशत मुसलमान ने मुस्लिम लोगों ने मुस्लिमलीग को वोट नही दिया वे आज के पाकिस्तान इलाक़े में है। यानी आपके बाप दादाजी में किसी ने भी पाकिस्तान माँग का बिरोध नही किया। उस समय देश में मुसलमानो की जनसंख्या देश की जनसंख्या का २३ प्रतिशत थी। वे रिज़र्व बैंक का रुपया,भारत की सम्पत्ति,ओफिस की कुर्शी टेबुल,गाड़ी,घोड़ा,बग्गी,रेल का इंजन २३ प्रतिशत अपनी आबादी के हिसाब से ले गए।देश की ज़मीन के मामले में वे २३ प्रतिशत थे देश की ३० प्रतिशत ज़मीन पूर्व व पश्चिम में ले गये। आज आप कहते है पाकिस्तान बन जाने के बाद हमने पाकिस्तान को नही चुना हमने भारत को चुना सरासर मिथ्या है। गाँधी जी ने जिन्ना की जनसंख्या की अदला बदली की माँग को स्वीकार कर लिया था। इसके वास्ते उन्होंने स्थायी प्रधानमंत्री सरदार पटेल की मदद करने के लिये हिन्दु महासभा के प्रतिनिधि डॉक्टर श्यामा प्रसाद मुखर्जी, व हिन्दु मुस्लिम जनसंख्या की अदला बदली की माँग करने वाले व इस विषय के एक्स्पर्ट डॉक्टर भीम राव अम्बेडकर को केंद्रीय मंत्रिमंडल में नियुक्त किया था।
गाँधी जी ने मुस्लिम लीग के कांग्रेस में घुसपैठिए मौलाना आज़ाद को आदेश दिया वे नये लोगों के लिये जगह छोड दे व मंत्री पद से त्याग पत्र दे।
नेहरू ब्रिटिश हुकूमत के आदमी थे। अंगरेजो ने गाँधी जी से साफ़ साफ़ कह दिया था हम ट्रांसफ़र आफ़पावर सरदार पटेल के हाथ में नही करेंगे। हम अपने आदमी नेहरू के हाथ में ट्रांसफ़र आफ पावर करेंगे। जब ट्रांसफ़र आफ पावर की प्रक्रिया पूरी हो जाए आप पटेल को प्रधानमंत्री बना दे। अंगरेजो के नेहरू की पीठ पर हाथ रहने से नेहरू अधिक ताकतवर था। उसने मौलाना आज़ाद से गाँधी के आदेश के बाद भी त्यागपत्र नही माँगा। इस तरह मौलाना आज़ाद बच गये। आपके बाप दादाजी को दिल्ली की जामा मस्जिद में पाकिस्तान जाते हुवे मुसलमानो को यह कह कर मौलाना आज़ाद ने रोका “भारत जैसा देस जो कभी मुसलमानो के अधीन था वह छोड़ा नही जा सकता। इस्लाम के लिये इसको फिर से प्राप्त करने के लिये आप को यही रहना है। अर्थात् सत्य यह है भारत में इस्लामिक राज फिर से क़ायम करने के लिए आप अपनी होमलैंड पाकिस्तान प्राप्त कर लेने के बाद भी नही गए। नेहरू को ट्रांसफ़र ओफ़ पावर प्रक्रिया चलने तक ही प्रधान मंत्री रहना था। उसने अपनी कुर्शी को स्थाई बनाये रखने के लिए व भविष्य में जब सरदार पटेल प्रधान मंत्री बन जायेंगे। तो नेहरू राजनीति ही नही कर पाएँगे। क्योंकि कांग्रेस पार्टी पर तो नेहरू का पूरा सरदार पटेल का कंट्रोल था। अपनी भविष्य की राजनीति की पारी खेलने के लिए ही तो नेहरू ने गाँधी जी के आदेश के बाद भी मौलाना आज़ाद से इस्तीफ़ा नही माँगा।
।। पाकिस्तान को बँटवारे के समय रिज़र्व बैंक में जमा रुपए का २३ प्रतिशत पाकिस्तान को देना था। वह ७५ करोड़ होता है। पाकिस्तान को पाकिस्तान बनने के साथ साथ २० करोड़ की पहली किश्त दे दी गई। ५५ करोड़ बाद में देना तय हुवा। नेहरू जानते थे यह रुपया पाकिस्तान को दे दिया तो गाँधी पाकिस्तान जाकर जिन्ना से हिन्दु मुस्लिम जनसंख्या की अदला बदली की रूपरेखा पर बात करेगा। यह रुपया हम पाकिस्तान को नही देंगे तो गाँधी किस मुँह से जिन्ना के पास जायेगा। पाकिस्तान को ५५ करोड़ दिलवाने के लिए गाँधी ने नेहरू सरकार के बिरुद्ध अनशन किया। तीसरे दिन गाँधी जी के प्राण बचाने है नेहरू पाकिस्तान को ५५ करोड़ देने के लियें राज़ी हो गया। इस पर गाँधी ने अनशन नही तोड़ा।
कहा जब तक हिन्दु महासभा व रास्ट्रिय स्वयम सेवक संघ आकर नही कहेगा मै अनशन नही तोड़ूँगा चौथे दिन हिन्दु महासभा का प्रतिनिधि गाँधी के पास गया। पाँचवे दिन राष्ट्रीय स्वयम सेवक संघ के नेता गये। तब गाँधी ने अनशन तोड़ा। अनशन तोड़ने के बाद गाँधी ने अपनी सचिव सुशीला नैयर को जिन्ना से एपोईंटमेंट लेने भेजा। ३० जनवरी को गाँधी को उन सक्तियो ने मार डाला जो नही चाहते थे भारत पाकिस्तान में जनसंख्या की अदला बदली हो। नाथूराम गोडसे ने कहा मैंने तो गाँधी को दो गोली ही मारी थी गाँधी को तीसरी गोली किसने मारी। एम्बुलेंस रहते हुवे गाँधी के प्राण बचाने के लिये अस्पताल क्यो नही ले ज़ाया गया। गाँधी के शव का पोस्ट्मॉर्टम क्यों नही किया गया। Pakistan’sबनाने वाले मुसलमान भारत में इस्लामिक राज्य क़ायम करने के लिये यही पर रह गये। आपको मालूम होना चाहिये आपको रखने के लिए हिन्दुओं को अरबों रुपये खर्च करने पड़ते है।
। ऊपर से इस्लामिक राज्य बनाने के लिये आप अपनी जनसंख्या हिन्दुओं की तुलना में २०११ तक दुगुनी बढ़ादी। यानी हिंदुवो पर डबल बोज। हिन्दु समाज यह बीजऔर नही उठा सकता। आपके पूर्वज व हमारे पूर्वजों की भारत भूमि पुण्य भूमि-पवित्र भूमि है। आप यह मानते है भारत भूमि आपके पूर्वजों की पुण्य भूमि-पवित्र भूमि है। इसीलिए तो शेख़-सैयद-मुग़ल-पठान आपको असली मुसलमान नही मानते। आपकी रंगों में मोहम्मद के बंसधर का खून नही है आपकी रगो में हिन्दुवो का खून है। हमें आपको भारत में रखने में कोई आपत्ति
नही। पर आपके दाना पानी की न्यवस्था करने के लिये ज़मीन तो चाहिये वह पाकिस्तान में है आपके हिस्से का रुपया पैसा,टेबुल कुर्सी पाकिस्तान क्यों नही देगा। आप
माँगिये तो। यदि नही ला सकते तो आपको खिलाने के लिये हमारे पास आपकी ज़मीन नही आपकी ज़मीन पाकिस्तान में है वहाँ चले जाइए। प्रेम से ज़ाते है तो ठीक है। अन्यथा हमक़ो अच्छे से भेजना आता है। एक बात मौलाना आज़ाद ने तो आपको पाकिस्तान जाने से रोका। नेहरू ने मौलाना की मदद इसलिए की की उसे राजनीति करने के लिये कोई पार्टी चाहिये थी। इसलिए भारत में बची हुवी मुस्लिम लीग को लनेहरु ने कांग्रेस में मिला दिया व मुस्लिम लीग़ नेतावो को केंद्र व राज्यों में मंत्री बनाया।
हर घर से शिवाजी निकलेगा – हिन्दु धर्म बचाने को।
हर गली मुहल्ले नुक्कड़ पर केशरिया ध्वज फहराने को।
जय शिवाजी जय भवानी
देश तोड़ने की गतिविधियों में संलिप्त किसी भी जिन्नाह या आज के किसी भी ओवैसी। को इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि हिंदू इस देश की मिट्टी से प्यार करता है इसलिए राष्ट्र के प्रति समर्पण का भाव यदि किसी के भीतर है तो वह केवल हिंदू के भीतर है। राष्ट्र की भूमि से प्यार करने के कारण अब हिंदू देश के दोबारा बंटवारे को कतई बर्दाश्त नहीं करेगा। हमारे राजनीतिक पूर्वाग्रह हो सकते हैं, हमारी राजनीतिक लड़ाई हो सकती है, हम एक दूसरे के दलों को कोसने की प्रवृत्ति के शिकार हो सकते हैं, पर राष्ट्र के प्रति हम सब एक हैं। इसलिए आज ओवैसी हो चाहे कोई अन्य मुस्लिम नेता हो उसे देश तोड़ने के लिए फिर से किसी जिन्नाह का अवतार बनने की इजाजत नहीं दी जा सकती।