ऋषि दयानंद के सपनों को साकार करने के लिए संकल्पित आर्य प्रतिनिधि सभा जनपद गौतम बुद्ध नगर ने आरंभ किया चतुर्वेद पारायण यज्ञ
ग्रेनो। (अजय कुमार आर्य) स्वामी दयानंद जी का सपना था कि वेदों की शरण में जाकर ही संसार का उद्धार हो सकता है। इसके लिए स्वामी जी महाराज ने यज्ञों की परंपरा को पुनर्जीवित किया और संसार को एक कुटुंब मानकर सभी नागरिकों को एक दूसरे के प्रति सहयोग व सद्भाव रखने के लिए प्रेरित किया।
वसुधैव कुटुंबकम और कृण्वंतो विश्वमार्यम् के संकल्प को लेकर आर्य समाज आज भी क्रांतिकारी कार्य कर रहा है। जहां तक आर्य प्रतिनिधि सभा जनपद गौतम बुद्ध नगर की बात है तो यह सभा अत्यंत ही प्रशंसनीय कार्य कर रही है। प्रतिवर्ष चतुर्वेद पर यज्ञ की प्रतिनिधि सभा गौतम बुध नगर के तत्वाधान में आयोजित चतुर्वेद पारायण महायज्ञ का आज विधिवत शुभारंभ वैदिक ध्वज ध्वजारोहण, वैदिक राष्ट्रीय प्रार्थना गाण के साथ आरंभ हुआ। ध्वजारोहण कार्यक्रम अध्यक्ष आदरणीय रामेश्वर सरपंच जी ने किया। इस अवसर पर गुरुकुल के ब्रह्मचारीयो ने मंगल गान किया। रामेश्वर सरपंच जी ने यज्ञ के ब्रह्मा आचार्य विद्यादेव जी को तिलक किया यज्ञ के मुख्य आचार्य दुष्यंत जी को तिलक किया गया यज्ञ मैं वानप्रस्थी देव मुनि जी, ओम मुनि जी का कभी सत्कार किया गया पश्चात में आर्य प्रतिनिधि सभा के यशस्वी अध्यक्ष महेंद्र आर्य जी ने अपना उद्बोधन शुभारंभ को लेकर किया। मुख्य यजमान कमल आर्य जी ने सभी का आशीर्वाद लिया। अवगत हो कि यह अनुष्ठान 21 दिवस तक प्रातः सायं सत्र में चलेगा,जिसमें 5 कुंटल शुद्ध गाय का घी 2 टन आम की शुद्ध संमिधा 10 कुंटल जड़ी-बूटी मेवा मिष्ठान से युक्त सामग्री का प्रयोग किया जाएगा। अनेकों विद्वान सन्यासी विभिन्न सामाजिक धार्मिक अध्यात्मिक विषय पर व्याख्यान देंगे सामान्य जनों की शंकाओं का समाधान किया जाएगा। राष्ट्र विश्व की शांति संपन्नता के लिए यह अनुष्ठान किया जा रहा है। वैदिक जीवन मुल्य संस्कृति को घर-घर प्रचारित प्रसारित करना स्थापित करना इस अनुष्ठान का मुख्य उद्देश्य है। आदर्श गुरुकुल शिक्षा पद्धति आज देश की मुख्य धारा की सर्वव्यापी शिक्षा पद्धति कैसे बने यह भी इस अनुष्ठान का मुख्य उद्देश्य है। अनुष्ठान के आरंभ के अवसर पर आर्य सागर खारी दिवाकर आर्य बलेराम आर्य इंजीनियर श्यामवीर भाटी मुख्य यजमान कमल आर्य जी जयप्रकाश आर्य जी स्वराज महाशय जी सहित दर्जनों गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे बाबूराम आर्य जी रविंद्र शर्मा राकेश यादव जी सतीश आर्य साथ ही गुरुकुल के आचार्य गण ब्रह्मचारी भी गणवेश में उपस्थित रहे।