———-इंजीनियर श्याम सुन्दर पोद्दार, महामन्त्री, वीर सावरकर फ़ाउंडेशन ———————————————
मां भारती के शत्रुओं को ढूंढ ढूंढ कर मारना और उसी के घर में जाकर मारना भारत के महान क्रांतिकारी राष्ट्रभक्त इतिहास पुरुषों की प्राचीन परंपरा है। शिवाजी महाराज ने अफजल बेग को उसी की भाषा में जवाब दिया और उसका काम तमाम कर दिया। बैरम खान को भी उन्होंने उसके घर में जाकर मारा।
इतिहास के ऐसे अनेक उदाहरण हैं जब हिंदू योद्धाओं ने मातृभूमि और धर्म की रक्षा के लिए इसी प्रकार के उत्कृष्ट उदाहरण प्रस्तुत किए परंतु मुगल छाप इतिहासकारों ने हमारे उन वीर योद्धाओं के ऐसे प्रसंगों को इतिहास में स्थान नहीं दिया।
आज हम सभी जानते हैं कि अंग्रेजों की धरती पर जाकर महान क्रांतिकारी मदनलाल धींगरा ने स्वाधीनता सेनानियों को मरवानेवाले कर्ज़न वायली को उसकी धरती लंदन में भारी सभा में खुले आम जान से नारा।भगत सिंह ने लाला लाजपत राय के हत्यारे सेंडरसन को खुले आम मारा।
जलिया वाला बाग हत्या काण्ड के खूनी डायर को उसी की धरती लंदन में ऊधम सिंह ने मारा। आज कुछ मुसलमान नेता हिन्दु नेताओं को धोखे से मरवाने के बाद जश्न मनाते है “सर तन से जुदा कर देंगे”किसी भी सैयद,शेख़.मुग़ल,पठान में इतनी हिम्मत नही थी कि कमलेश तिवारी को चुनौती देकर मारे धोखे से मिठाई का डब्बा लेकर जाते हैं और धोखे से मारते हैं। उदयपुर में भी दर्ज़ी गोपाल से कपड़ा सिलाने के लिए जाते हैं व धोखे से नाप लेते हुवे मार डालते हैं।
हिन्दु समाज के युवकों ने निर्णय लिया है कि रहमानी व जुबेर को ज़िंदा रहने का अधिकार नही है। रहमानी ने हमारे देवाधीदेव महादेव का अपमान ही नही किया, अपने गन्दी राजनैतिक खेल का शिकार हिन्दु युवकों की प्रेरणा श्रोत नूपुर शर्मा को बदनाम किया व मोहम्मद ज़ुबैर ने हमारे भगवान को जो गाली दी उसे पूरे इस्लामिक जगत तक पहुँचा कर हिंदुवो को इस्लामिक जगत में अपमानित किया। बोल रे गीदड़ ओबेसी हिन्दु युवक सभा की चुनौती स्वीकार करता है? रहमानी व जुबेर को बचा लेगा। दोनो ने यह अपराध इतना जघन्य किया है जिसे किसी क़ीमत पर क्षमा नही किया जा सकता। दोनो को जीने का अधिकार नही।
आज जब तन से सर जुदा करने के नारे खुलेआम लगते हैं तो क्या हिंदुओं को भी ऐसी ही भाषा का प्रयोग नहीं करना चाहिए ? माना कि समाज में शांति व्यवस्था बनाए रखने के लिए ऐसी भाषा उचित नहीं ,परंतु रोज-रोज हिंदुओं के सर तन से जुदा किए जाते रहे, यह भी तो उचित नहीं। इस प्रकार के अपमान और अराजकता को यह देश कब तक सहन करेगा? इस बात पर आज विचार करने की आवश्यकता है। ओवैसी और उस जैसे लोग जिस प्रकार खुलेआम हिंदुओं को चुनौती दे रहे हैं उस चुनौती को हिंदू समाज के लिए दी गई चुनौती नहीं माना जाना चाहिए बल्कि देश को दी गई चुनौती माना जाना चाहिए। तभी इन जैसे लोगों का सफाया किया जाना संभव है।