———————————————
देश आजाद हुआ तो देश के प्रधानमंत्री पद को नेहरू हथियाने में सफल हो गए। वास्तव में उनका इस पद पर पहुंचना देश का सबसे बड़ा दुर्भाग्य था। प्रधानमंत्री बनने के बाद उन्होंने देश के इतिहास के विकृति करण की प्रक्रिया को तेज किया। इसके चलते पूरा मुगलिया छाप इतिहास बना कर हमारे बच्चों के पाठ्यक्रम में सम्मिलित कर दिया गया। कार्य को पूर्ण करने के लिए उन्होंने अपना पहला शिक्षा मंत्री मौलाना अबुल कलाम आजाद को बनाया था।
आज नेहरू के हाथ में भारत की बागडोर आने के बाद नेहरू ने सफलता पूर्वक अपनी धुर्तता को प्रतिष्ठित किया। अपने राजनैतिक स्वार्थ के निमित्त स्वाधीनता के इतिहास के कलंकित अध्यायों को गौरवपूर्ण बनाया व गौरवपूर्ण अध्यायों को कलंकित अध्याय बनाया। पूरा का पूरा इतिहास गाँधी के महिमामंडन में लिखवाया गया कि उन्होंने देश को स्वाधीन किया व गाँधी की हत्या को केंद्र करके आज़ादी लाने वालों को गाँधी हत्या का गुनहगार बता कर बदनाम किया।
वह प्रक्रिया आज तक जारी है। गाँधी का असली इतिहास जो लिखा जायेगा वह तो यह है गाँधी को अंग्रेज दक्षिण अफ़्रीका से भारत लाए और उन्हें यहां की राजनीति में अपने हितों को साधने के लिए प्रतिष्ठित करने में सफलता प्राप्त की।
गाँधी ने अंगरेजो को क्रांतिकारियों के आक्रमण से बचाने के लिये अहिंसा से स्वाधीनता लाने का आंदोलन चलाया। गांधीजी ने बड़ी चालाकी से काम लिया और भारत के युवाओं को बंदूक की ओर जाने से रोक कर चरखा चलाने की ओर लगा दिया।
गाँधी ने सारी ज़िंदगी अंग्रेजों के लिये व अंग्रेज़ी साम्राज्य को बचाने के लिए काम किया।
गाँधी इसलिये भी याद किये जायेंगे की गाँधी ने मुस्लिम लीग के नेता मोहम्मद अली,सौकत अली,मौलाना आज़ाद को कांग्रेस में पाकिस्तान बनाने के लिये खुलेआम खेलने दिया व देश का विभाजन कर पाकिस्तान बनने दिया। यद्यपि नेहरु के द्वारा लिखवाए गए इतिहास में गांधी को हीरो दिखाने का प्रयास किया गया है , और गांधी के सारे पापों को बड़ी चतुराई से दबा दिया गया है।
२० लाख हिन्दुओं के पाकिस्तान में नरसंहार के लिये गाँधी ज़िम्मेदार है। देश को स्वाधीनता दिलवाने से गाँधी का दूर दूर का सम्बंध नही है।ब्रिटेन का प्रधानमंत्री ब्रिटिश संसद में भारत को स्वाधीन करने की संसद से अनुमति लेने के लिए कहता है भारत को स्वाधीनता ब्रिटेन की दो कमजोरी के चलते दी जा रही है एक भारत में ब्रिटिश सेना के भारतीय सैनिक ब्रिटेन के प्रति वफ़ादार नही रहे व बिद्रोही हो गये है दूसरा ब्रिटेन के पास वह ताक़त नही भारत को अपने नियंत्रण में रक्खे।
भारतीय सैनिकों को बिद्रोही बनाने का काम वीर सावरकर के सैनिकीकरण अभियान व उनके मार्गदर्शन में सुभाष चंद्र बोस का भारत से भाग कर जापान पहुँच कर आज़ाद हिन्द फ़ौज की कमान रासबिहारी बोस से लेना। आज़ाद हिन्द फ़ौज को जो ब्रिटिश सेना के ४५००० जवान मिले थे। वे वीर सावरकर के सैनिकीकरण अभियान के दौरान सैनिकों से कही गई नसीहत,”एक बार सेना में भर्ती होकर अस्त्र शस्त्र की ट्रेनिंग लेलो ,समय आने पर तुम स्वयम समझ जावोगे बंदूक़ की नाल किधर घुमानी है”का ही तो परिणाम है। १९४६ के भारतीय सैनिकों की शस्त्र क्रांति भी वीर सावरकर की सैनिकों को उनके द्वारा दी गई इसी नसीहत का परिणाम है।
ब्रिटेन के प्रधानमंत्री एटली जिन्होंने हमें स्वाधीनता प्रदान की उन्होंने पश्चिम बंगाल के राज्यपाल द्वारा पूछे गये सवाल कि ब्रिटेन ने तो बिश्व युद्ध जीत लिया था। भारत छोड़ो आंदोलन भी बहुत पहले १९४२ मेअसफल हो गया था। तब आपने किस मजबूरी के तहत भारत को आज़ादी दी ? एटली ने इस प्रश्न का उत्तर यह दिया कि प्रधान कारण है नेताजी सुभाष चंद्र बोस व आज़ाद हिन्द सेना के आंदोलन ने भारत की स्थल सेना,नौ सेना के भारतीय सैनिकों में ब्रिटिश शासन के प्रति वफ़ादारी को कमजोर कर दिया था। यह सच्चाई होते हुवे भारत में नेहरू सरकार व नेहरू आज तक देश को स्वतंत्र कराने वाली भारती रास्ट्रिय सेना व सुभाष चंद्र बोस को “देश द्रोही” कहती है। मुझे भारतीय रास्ट्रिय सेना के रानी झाँसी रानी रेजिमेंट की कर्नल डॉक्टर लक्ष्मी सहगल ने मुझे निम्न पत्र लिखा था, यह पत्र इसका प्रमाण है।
झूठे नेहरू ने झूठे महात्मा को देश पर थोप दिया और झूठे महात्मा ने झूठे नेहरू को देश पर थोप दिया। दोनों ने बराबर का खेल खेला और अपने इसी खेल को बढ़िया दिखाने के लिए देश के इतिहास को ही विकृत कर दिया। इस सच को देश की युवा पीढ़ी जितनी जल्दी समझ जाएगी उतना ही अच्छा होगा।